पहला निलंबन : 1982 में दाऊदयाल जोशी का हुआ, अब तक 58 विधायक हो चुके हैं निलंबित

पहला निलंबन : 1982 में दाऊदयाल जोशी का हुआ, अब तक 58 विधायक हो चुके हैं निलंबित

निलंबित हो चुके विधायकों में से अभी अधिकांश मंत्री, वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष भी हो चुके हैं एक बार निलंबित

जयपुर। विधानसभा में अब तक 58 विधायक निलंबित हो चुके हैं। निलंबन की पहली कार्रवाई 40 साल पहले सातवीं विधानसभा में हुई थी। निलंबित हुए थे दाऊदयाल जोशी। घटना 15 मार्च 1982 की है। इसके बाद 11 मार्च 1983 को भाजपा के देवीसिंह भाटी निलम्बित हुए। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी भी एक बार निलंबित हो चुके हैं। विधानसभा में भाजपा के चार सदस्यों के निलंबन के विरोध में दो दिन से गतिरोध है। विधानसभा के अनुसार आठवीं विधानसभा में 18 जुलाई 1989 को जगतसिंह दायमा, जगदीप धनकड़, अमराराम चौधरी, भंवरलाल शर्मा और जुबेर खान भी निलम्बित हुए। धनकड़ अभी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं। 11वीं विधानसभा में 10 अप्रैल, 2002 को देवीसिंह भाटी और 19 मार्च को नाथूलाल गुर्जर तथा 2 अप्रैल 1999 को मदन दिलावर को निलम्बित किया गया। 12वीं विधानसभा में 24 मार्च 2006 को एक साथ छह सदस्यों को निलम्बित किया गया था। इनमें डॉ.सीपी जोशी, अत्तर सिंह भड़ाना, अशोक बैरवा, संयम लोढ़ा, सीडी देवल और रणवीर गुढ़ा थे। डॉ.जोशी अब विधानसभा अध्यक्ष हैं। इसके बाद विभिन्न सत्रों में आठ और विधायकों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई। उस समय अध्यक्ष पद पर सुमित्रा सिंह थी। 13वीं विधानसभा में विभिन्न सत्रों के दौरान पांच सदस्यों का निलंबन हुआ,जिनमें ज्ञानदेव आहुजा, हेमसिंह भड़ाना, भवानीसिंह राजावत, राजेन्द्र राठौड़ और हनुमान बेनीवाल शामिल हैं। राठौड़ अभी विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता है। सबसे ज्यादा सदस्यों का निलंबन 14वीं विधानसभा में हुआ। इस विधानसभा में अध्यक्ष पद पर दीपेन्द्र सिंह शेखावत थे। इसमें विभिन्न सत्रों में 22 सदस्यों का निलंबन हुआ।

एक बार ऐसा मौका भी आया, जब 14 सदस्यों का हुआ निलंबन
सबसे ज्यादा 14 सदस्यों का एक साथ निलंबन 26 अप्रैल 2017 को हुआ। उस दिन अशोक, गोविन्द सिंह डोटासरा, घनश्याम, धीरज गुर्जर, भजनलाल, मनोज कुमार, मेवाराम जैन, रमेश, राजेन्द्र सिंह यादव, शंकुन्तला रावत, श्रवण कुमार, सुखराम विश्नोई, हनुमान बेनीवाल और हीरालाल दरांगी शामिल हैं। इससे पहले तीन मार्च, 2015 को अशोक चांदना, श्रवण कुमार, धीरज गुर्जर, गोविन्द्र सिंह डोटासरा, सुखराम विश्नोई, रमेश, बिजेन्द्र ओला और गिरिराज सिंह को निलम्बित किया गया । इनमें से डोटासरा अभी राजस्थान प्रदेश कांगे्रस के अध्यक्ष, राजेन्द्र सिंह यादव, शकुंतला, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना और बृजेन्द्र सिंह ओला मंत्री हैं और बेनीवाल लोकसभा सदस्य। 15वीं विधानसभा में 24अगस्त,2020 को राजेन्द्र सिंह राठौड़ तथा एक मार्च 2021 को वासुदेव देवनानी को निलम्बित किया गया था। एक दिन पहले गुरुवार को भाजपा के चार विधायकों को  निलम्बित किया गया।

पहले सदस्य सदन में आचरण का ध्यान रखते थे : सुमित्रा सिंह

 सन् 1957 से सबसे लम्बे समय तक सदस्य रहीं और पूर्व विधानसभाध्यक्ष सुमित्रा सिंह का मानना है कि 1977 के बाद सदस्यों के आचरण में गिरावट शुरू हुई। इससे पहले हर सदस्य सदन के नियमों और परम्पराओं का पूरा ध्यान रखते थे। इसलिए किसी सदस्य को निलंबित करने की नौबत ही नहीं आई। आसन जब पैरों पर रहता था तो कोई भी सदस्य अपनी सीट पर खड़ा नहीं होता था और न बीच में बोलता था। आसन पैरों पर रहते समय पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया तक सदन में प्रवेश तक नहीं करते थे। कई मौके ऐसे आए, जब सुखाड़िया दस मिनट तक गेट पर इंतजार करते रहे। नेता प्रतिपक्ष सदन के नेता पर जमकर आरोप लगाते थे, लेकिन न तो सदन का नेता और न उसकी पार्टी के सदस्य बीच में बोलते थे। पहले जब कोई सदस्य बोलता था, तो दूसरा सदस्य उसके सामने से नहीं गुजरता था। बिना आसन की इजाजत के कोई भी सदस्य सदन नहीं छोड़ता था।

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