स्टेम प्रत्यारोपण के बाद एचआईवी से स्वस्थ होने वाली पहली महिला

मले को डेनवर में एक चिकित्सा सम्मेलन में पेश किया

स्टेम प्रत्यारोपण के बाद एचआईवी से स्वस्थ होने वाली पहली महिला

ल्यूकेमिया से ग्रस्त अमेरिका की एक महिला स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद एचआईवी से स्वस्थ होने वाली विश्व की तीसरी मरीज एवं पहली महिला बन गयी है।

वाशिंगटन। ल्यूकेमिया से ग्रस्त अमेरिका की एक महिला स्टेम सेल प्रत्यारोपण के बाद एचआईवी से स्वस्थ होने वाली विश्व की तीसरी मरीज एवं पहली महिला बन गयी है। इस मरीज के मामले को डेनवर में एक चिकित्सा सम्मेलन में पेश किया गया। यह पहली बार है कि इस पद्धति को एचआईवी के लिए एक कार्यात्मक इलाज के तौर पर प्रयोग किया गया है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि महिला में एक ऐसे व्यक्ति के स्टेम सेल (गर्भनाल) का प्रत्यारोपण किया गया, जो इस वायरस का स्वाभाविक प्रतिरोधी था। इसके बाद से उसे एचआइवी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी की भी जरूरत नहीं पड़ी। वह एचआईवी से स्वस्थ है तथा इससे मुक्ति पाने वाली वह दुनिया की पहली महिला और तीसरी मरीज बन गयी है।

वैज्ञानिकों के अनुसार चयनित प्रतिरोपित कोशिकाओं में एक विशिष्ट आनुवंशिक उत्परिवर्तन है, जिसका कारण वे एचआईवी वायरस से संक्रमित नहीं हो सकते। इसके परिणामस्वरूप प्राप्तकर्ताओं की प्रतिरक्षा प्रणाली एचआईवी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकती है। पहली बार स्टेम सेल प्रत्यारोपण 2007 में किया गया था। टिमोथी एचआईवी से स्वस्थ होने वाले पहले व्यक्ति थे। दूसरे मरीज एडम कैस्टिलेजो थे। ल्यूकेमिया एक प्रकार का कैंसर है, जो अस्थि मज्जा में खून का निर्माण करने वाली कोशिकाओं में उत्पन्न होता है। इससे पहले एक श्वेत और एक अश्वेत पुरुष में स्टेम सेल का प्रत्यारोपण हो चुका है, जिनका अक्सर अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण में प्रयोग किया जाता है।
 

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