महंगाई की मार

भारत में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.1 फीसदी पर पहुंच गई है।

महंगाई की मार

चिंता की बात यह है कि जनवरी में दर्ज महंगाई का आंकड़ा ज्यादा चिंताजनक इसलिए है कि यह रिजर्व बैंक के निर्धारित दो से छह फीसदी के दायरे से ऊपर चली गई है।

भारत में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 6.1 फीसदी पर पहुंच गई है। यह पिछले छह माह में सबसे ज्यादा है। दिसंबर 21 में महंगाई दर 5.66 फीसदी थी। हालांकि जनवरी में थोक महंगाई दर में मामूली गिरावट भी दर्ज हुई है। यह 12.96 फीसदी तक है, जबकि दिसंबर 21 में यह आंकड़ा 13.56 फीसदी पर था। चिंता की बात यह है कि जनवरी में दर्ज महंगाई का आंकड़ा ज्यादा चिंताजनक इसलिए है कि यह रिजर्व बैंक के निर्धारित दो से छह फीसदी के दायरे से ऊपर चली गई है। यदि महंगाई की दर तय दायरे में होती तो यह बैंक के लिए कोई समस्या नहीं होती। अब जब महंगाई दर दायरे से बाहर है तो महंगाई बड़ा संकट बन जाती है। हालांकि रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपनी नीतिगत दरों को पेश करते समय साफ इशारा किया था कि मार्च से सितंबर तक महंगाई से राहत नहीं मिलने वाली है। साथ ही बैंक ने ब्याज दरों में भी कोई बदलाव नहीं किया। नीतिगत दरें बढ़ाने का असर महंगाई बढ़ने पर और पड़ता। सरकार के ताजा आंकड़े बताते हैं कि खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने से खुदरा महंगाई बढ़ी हैं। खाने-पीने की सभी वस्तुओं के दाम काफी बढ़े हुए हैं। जनवरी में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.33 फीसदी पर पहुंच गई है, जो आम आदमी पर काफी बोझ डालने वाली है। आज दालें, धान, खाद्य तेल आदि सभी काफी महंगे मिल रहे हैं। जनवरी में सब्जियों व फलों के दामों में भी उछाल देखा गया। सवाल है कि अगर खाने-पीने की वस्तुएं इसी तरह महंगी होती रही तो आम आदमी का गुजारा कैसे हो सकेगा। यह सब उस हालत में हो रहा है, जब देश में महंगाई के साथ बेरोजगारी भी बड़ा संकट बना हुआ है। केन्द्र से लेकर राज्य सरकारें बेशक यह दावा करती रहे हैं कि लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया करवाया जा रहा है, लेकिन हकीकत से सभी वाकिफ हैं। बेरोजगारी की वजह से महंगाई की मार ज्यादा पड़ रही है। रसोई गैस सिलेण्डरों के दाम से लेकर पेट्रोल-डीजल तक लंबे समय से महंगे बने हुए हैं और कहा जा रहा है कि पांच राज्यों के चुनावों के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतें और बढ़ सकती हैं। लंबे समय से महंगाई का सिलसिला बने रहना कतई अच्छा संकेत नहीं है। कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो सालों में लाखों परिवारों पर काफी विपरीत असर पड़ा है। परिवार कई संकटों से उबर नहीं पाए हैं। मध्यम वर्ग व गरीब तबका तो काफी चिंता के दौर से गुजर रहा है। खाद्य वस्तुएं ही नहीं बल्कि हर चीज महंगी हो रही है। सरकारें यदि कोई राहतकारी कदम नहीं उठाती है तो आने वाले दिनों में लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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