13 वर्षीय शिवांगी बनी साध्वी शुद्धिरेखा श्रीजी

मात्र 13 साल की आयु में चुना वैराग्य

13 वर्षीय शिवांगी बनी साध्वी शुद्धिरेखा श्रीजी

आचार्य पदम भूषण रत्न सूरीश्वर महाराज व आचार्य विजय निपुण रत्न सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा 46 की निश्रा में गन्ना परिवार की लाडली शिवांगी ने दीक्षा ग्रहण की।

ब्यावर। शहर के जैन जवाहर भवन में गुरुवार को आयोजित दीक्षा महोत्सव के दौरान 13वर्षीय मुमुक्षु शिवांगी ने सांसारिक मोह माया का त्याग कर संयम पथ अपना लिया। आचार्य पदम भूषण रत्न सूरीश्वर महाराज व आचार्य विजय निपुण रत्न सूरीश्वर महाराज आदि ठाणा 46 की निश्रा में गन्ना परिवार की लाडली शिवांगी ने दीक्षा ग्रहण की। आचार्यश्री ने मुमुक्षु को रजारोहण प्रदान कर संसार का त्याग करवाया।


संयम जीवन का महत्व बताते हुए मुनि ऋषभ रत्न विजय महाराज कहा कि खाने पीने तथा मौज शौक में रिकॉर्ड करने वालों के नाम गिनीज बुक आदि में रिकॉर्ड होते हैं। किन्तु त्यागी, तपस्वियों के नाम शास्त्र में दर्ज किए जाते हैं। साधु का वेश मोक्ष महल में प्रवेश करवाता है। मुनि राजरत्न विजय महाराज ने मानव जीवन की दुर्लभता तथा धर्म का महत्व बताया। दीक्षा समारोह के बाद मुमुक्षु शिवांगी का साध्वी शुद्धिरेखा श्रीजी के रूप में नामकरण किया गया है।


Post Comment

Comment List

Latest News