चित्तौड़, बारां, बूंदी, भीलवाड़ा सहित कई जिलों में... हर साल 11.50 लाख मैट्रिक टन की पैदावार, फिर भी एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद शून्य

उपज बेचान के लिए आठ किसानों ने कराया था रजिस्ट्रेशन, खरीद केन्द्र तक वे भी नहीं पहुंचे

चित्तौड़, बारां, बूंदी, भीलवाड़ा सहित कई जिलों में... हर साल 11.50 लाख मैट्रिक टन की पैदावार, फिर भी एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद शून्य

खरीद-2021-22 में सोयाबीन की उपज बेचान के लिए आठ किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन वे भी खरीद केन्द्र तक नहीं पहुंच सके।

 जयपुर। किसानों से एमएसपी पर उपज खरीद की गारंटी को लेकर भले ही देश में एक नई मुहिम चल रही हो, लेकिन जिन फसलों की खरीद के लिए एमएसपी तय है, उससे भी धीरे-धीरे किसान दूर होते जा रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजस्थान में गत दो साल से एमएसपी पर सोयाबीन की खरीद का आंकड़ा शून्य है। अर्थात चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बूंदी, बारां सहित कई जिलों में सोयाबीन का भारी उत्पादन होने के बाद भी सरकारी खरीद नहीं हो सकी है। खरीद-2021-22 में सोयाबीन की उपज बेचान के लिए आठ किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन वे भी खरीद केन्द्र तक नहीं पहुंच सके।

यूं हुई थी खरीद शुरू
खरीफ सीजन 2021-22 में समर्थन मूल्य पर किसानों से मूंग, उड़द, सोयाबीन की खरीद एक नवंबर-21 से तथा मूंगफली की आवक देरी से होने, अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में भी राज्य में वर्षा जारी रहने, प्रारंभ में नमी की मात्रा अधिक होने एवं दीपावली पर श्रमिकों की अनुपलब्धता से मूंगफली की खरीद 18 नवंबर, 2021 से आरंभ  की गई थी।

उड़द भी लक्ष्य से नीचे
राज्य में एमएसपी पर उदड़ की खरीद भी ज्यादा नहीं हो सकी है। केवल 40 मै. टन ही उड़द खरीदी जा सकी है, जो 25 लाख किसानों से खरीद है। इसका समर्थन मूल्य 6300 रुपए प्रति क्विंटल तय था। इसके साथ ही मूंग की 57,260 मै. टन खरीद हुई है, यह 29,615 किसानों से 416.57 करोड़ की 29 जनवरी, 2022 तक खरीद की गई है। इसी तरह मूंगफली की 55,059 मै. टन खरीद हुई है। यह खरीद 24,330 किसानों से 305.58 करोड़ की हुई है। इसकी खरीद का समय 15 फरवरी, 2022 को पूरा हो चुका है।

एमएसपी की दर 3950 और बाजार में 6000 प्रति क्विंटल तक बिकी
केन्द्र सरकार ने सोयाबीन की खरीद के लिए एमएसपी 3950 रुपए प्रति क्विटल तय की। इसकी खरीद की आखिरी तारीख 29 जनवरी, 2022 को समाप्त हो चुकी है। हालांकि शुरुआत में सोयाबीन बेचान के लिए आठ किसानों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया, जिसमें बारां के दो, भीलवाड़ा के तीन, बूंदी के दो और चित्तौड़ का एक किसान शामिल है। बाजार में 5500 से 6000 रुपए प्रति क्विंटल का भाव होने के कारण किसानों ने खरीद केन्द्रों की बजाय निजी बाजार में अपनी उपज का बेचान किया।

सरकार की एमएसपी पर एक तरह से यह सवालियां निशान है कि एमएसपी पर दो साल से राज्य में सोयाबीन की खरीद नहीं हो सकी। इससे यह साबित हो गया है कि एमएसपी केवल दिखावे के लिए हैं। -रामपाल जाट, अध्यक्ष, राष्ट्रीय किसान महापंचायत

एमएसपी से बाजार भाव ज्यादा होता है, जिसके कारण किसान सोयाबीन को बाजार में बेच देते हैं। इस बार शुरुआत में तो कुछ किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन वे भी उपज बेचने नहीं आए। इस कारण एमएसपी पर सोयाबीन की कोई खरीद नहीं हो सकी है। -सुषमा अरोड़ा, एमडी, राजफैड

इन जिलों में सोयाबीन की पैदावार
राज्य के करीब एक दर्जन जिलों में सोयाबीन की खेती होती है अर्थात सालाना सोयाबीन का 11.50 लाख मै. टन तक उत्पादन होता है। यह कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़, सवाई माधोपुर, चित्तौड़ जिलों में खास तौर पर उत्पादित होती है।

वर्ष 2021-22 में यह था खरीद लक्ष्य
मूंग    3,61,282 मै. टन
उड़द    61,807 मै. टन
मूंगफली    4,27,000 मै. टन
सोयाबीन    2,93,000 मै. टन

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