कांग्रेस आईटी सेल की निष्क्रियता जाहिर, डोटासरा पर खुद बीती तो अधिवेशन में छलका दर्द

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कांग्रेस अधिवेशन में पार्टी का माउथ मीडिया कमजोर होने की बात कहकर आईटी सेक्टर की कमजोरी भी जाहिर की।

कांग्रेस आईटी सेल की निष्क्रियता जाहिर, डोटासरा पर खुद बीती तो अधिवेशन में छलका दर्द

डोटासरा ने बिड़ला सभागार में कांग्रेस अधिवेशन में स्वीकार किया कि हमारा मीडिया ही नहीं, माउथ मीडिया भी कमजोर है।

 जयपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कांग्रेस अधिवेशन में पार्टी का माउथ मीडिया कमजोर होने की बात कहकर आईटी सेक्टर की कमजोरी भी जाहिर की। यह कमजोरी उनके अध्यक्ष बनने से ही बनी हुई है, लेकिन उनको इसकी याद अब ज्यादा आई, जब कुछ परीक्षाओं में धांधली के आरोपों पर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ही सोशल मीडिया पर उनको मनचाहा समर्थन नहीं दिया। दरअसल डोटासरा ने बिड़ला सभागार में कांग्रेस अधिवेशन में स्वीकार किया कि हमारा मीडिया ही नहीं, माउथ मीडिया भी कमजोर है। यह मानने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है। जब हम एक ट्वीट करते हैं तो विपक्षी पार्टी के लोग 100 ट्वीट कर देते हैं। ऐसे में हमारे माउथ मीडिया और आईटी सेल को भी मजबूत करना होगा।

इसलिए छलका दर्द
डोटासरा पहले आरएएस परीक्षा में परिजनों को लाभ पहुंचाने के मामले में विपक्ष के निशाने पर आए। उसके बाद नाथी का बाड़ा बोलने और रीट पेपर लीक मामले में विपक्ष के निशाने पर आए। इस दौरान भाजपा के लोग जहां सोशल मीडिया पर जमकर विरोध दर्ज कर रहे थे, वहीं डोटासरा के समर्थन में गिने चुने लोगों ने ही उपस्थिति दर्ज कराई। डोटासरा को इस बात का अफसोस है कि कांग्रेस कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर विपक्ष का पुरजोर विरोध नहीं करते, इसीलिए जिलों में पार्टी का पक्ष मजबूती से नहीं जा पाता। वहीं कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का तर्क है कि जब सत्ता-संगठन में चहेते कार्यकर्ताओं के निजी कार्यों को ही तवज्जो मिलती तो दूसरे कार्यकर्ता भी दूरी बना लेते हैं।

पार्टी के कैम्पेन और ट्वीट तक ट्रेंड नहीं हो पाते

कांग्रेस अपनी कमजोर आईटी सेल के जरिए 2023 विधानसभा चुनाव में उतरेगी तो इस कमजोरी का नुकसान उठाना पड़ेगा। सोशल मीडिया पर मुकाबले के लिए आईटी सेल का काम भाजपा की तुलना में काफी कमजोर है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी और अग्रिम संगठनों में मीडिया और सोशल मीडिया पर पार्टी की सक्रियता खानापूर्ति ही बनी हुई है। अधिकांश जिलों में तो प्रवक्ता तक नहीं बने, ऐसे में लोगों के बीच पार्टी की बात पहुंचाने वाले लोग तक नहीं है। भाजपा की तुलना में पार्टी का आईटी सिस्टम इतना कमजोर है कि खुद की पार्टी के नेताओं के ट्वीट ट्रेंड नहीं हो पाते। प्रदेश कांग्रेस कमेटी से लेकर अग्रिम संगठनों में ट्वीटर, इंस्टाग्राम आदि एकाउंट और टीम तो है, लेकिन गिने चुने लोगों पर जिम्मेदारी के बीच बात जनता तक पहुंच नहीं पाती। यदि पार्टी के नेता और कार्यकर्ता ही सत्ता और संगठन के ट्वीट को रिट्वीट कर अपनी टीम को काम में लें तो पार्टी की बातें बार-बार ट्रेंड हो सकती हैं।

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