आजादी के 75 वर्ष के बाद भी नहीं बदली बोकी भागली की तस्वीर
देश को आजाद हुए 75 साल बीत गए है, लेकिन जिले का बोकी भागली गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं का इंतजार कर रहा है।
जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर पर स्थित बोकी भागली गांव जंगल से घिरे पहाड़ पर बसे गांव की न तो तस्वीर बदली ओर नही यहां बसे लोगों की तकदीर।
सिरोही। देश को आजाद हुए 75 साल बीत गए है, लेकिन जिले का बोकी भागली गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं का इंतजार कर रहा है। जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर पर स्थित बोकी भागली गांव जंगल से घिरे पहाड़ पर बसे गांव की न तो तस्वीर बदली ओर नही यहां बसे लोगों की तकदीर। राज्य में गहलोत सरकार आते ही गांव में बसे आदिवासी समुदाय के लोगों ने सोचा था कि अब इलाके का तेजी से विकास होगा, लेकिन उनका ये सपना-सपना ही रह गया।
हकीकत में तब्दील नही हो सका है। जिले के सिरोही ब्लॉक के गोयली ग्राम पंचायत के तहत आने वाले बोकी भागली गांव में सड़क, बिजली, पानी, दवा जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीना पड़ रहा है। गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है तो उसे खाट पर लिटा कर 3 किलोमीटर का सफर तय कर कलंदरी ग्राम पंचायत तक ले जाना पड़ता है। वहां से टैक्सी में बैठाकर 21 किलोमीटर का सफर तय करते हुए जिला अस्पताल लाया जाता है। इतनी लंबी दूर तय करने के दौरान कई लोगों ने अपनी जान गवाह दी है।
जिला प्रभारी मंत्री ने भी किया था दौरा
प्रशासन शहरो व गांवो संग अभियान के दौरान ग्राम पंचायत कलदरी में आयोजित शिविर में जिला प्रभारी मंत्री एवं सरकारी उप सचेतक महेन्द्र चौधरी ने भाग लिया था। मुख्यमंत्री सलाहकार एवं सिरोही-शिवगंज विधायक संयम लोढा ने प्रभारी मंत्री चौधरी को बोकी भागली में सड़क, बिजली, पानी, दवा जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव की जानकारी प्रदान की थी। उसी दौरान गांव के विकास को लेकर मंत्री साहब ने आश्वासन तो जरूर दिया था, लेकिन उस आश्वासन के बाद अभी तक इस गांव की तस्वीर नही बदली है। विडंबना यह है कि आदिवासियों के तेजी से विकास और उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के नाम पर मात्र खानापूर्ति नजर आ रही है।
नहीं मिलता पोषाहार व शुद्ध पानी
गांव में आंगनवाड़ी केन्द्र नहीं होने के कारण गर्भवती महिलाओं को राज्य सरकार की योजना के तहत नहीं मिलता है समय पर पोषाहार। महिलाओं ओर ब च्चों को पोषाहार के लिए ग्राम पंचायत गोयली में आना पड़ता है महिला व बच्चे इतना लंबा सफर तय नहीं कर पाते है। वही शुद्ध पेयजल की बात करें तो मुख्यमंत्री सलाहकार एवं सिरोही-शिवगंज विधायक संयम लोढा द्वारा शुद्ध पेयजल के लिए गांव में आरो प्लांट भी लगाया गया था, लेकिन वो भी लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है।
शिक्षा पर अंधकार का डेरा
बोकी भागली गांव में 5वीं तक ही विद्यालय बना हुआ है। अधिकांश बच्चे ही पढ़ाई करने जाते है। वही गांव में बिजली के अभाव में बच्चे रात को लाटेन की रोशन के सहारे अपनी पढ़ाई करते है। वही देश के प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया की बात करते नजर आते हैं, लेकिन इस गांव में आज भी आदिवासी समुदाय की बेटियां अनपढ़ है। जिले में बेटियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए दर्जन भर एनजीओ कार्य कर रहे है। लेकिन आज दिन तक कोई ऐसा एक भी एनजीओ बोकी भागली तक नहीं पहुंचा है।
गांव में 5वीं तक पढ़ने वाले बच्चे आगे की पढ़ाई के लिए 3 किलोमीटर व 21 किलोमीटर का सफर तय की मजबूरी देखकर अपनी पढ़ाई छोड़कर बाल श्रमिक बन जाते है। गरीबी रेखा में जीवन यापन करने वाले आदिवासी समुदाय के लोग मजबूर होकर अपने बच्चों को मजदूरी के लिए सिरोही शहर सहित अन्य जिले में भेजते है।
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