विधायक पिता को बेटियों के दबाव, आग्रह और उलाहना के कारण ग्रेजुएट होना पड़ा
जिस विवि से ग्रेजुएट, अब सवाल उठा रहे उसी की पाठ्य पुस्तकों की भाषा पर
जब बीए किया तो मन में टीस उठी कि विश्वविद्यालय की पुस्तकों में इस कदर त्रुटियां क्यों हैं- ‘जिसकी हिन्दी अच्छी है, यदि वह भी इन पुस्तकों का नियमित अध्ययन करे तो उसकी हिन्दी भी खराब हो जाए।’ यह कहानी ऐसे विधायक की है कि जिन्होंने जिस विश्वविद्यालय से डिग्री ली, उसकी त्रुटियां खोज निकाली। यह कहना है कि भाजपा के उदयपुर ग्रामीण से विधायक फूल सिंह मीणा का।
जयपुर। विधायक बना उस समय शैक्षणिक योग्यता मात्र सातवीं पास थीं। बेटियों के दबाव के चलते वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय से पहले दसवीं पास की। जब बीए किया तो मन में टीस उठी कि विश्वविद्यालय की पुस्तकों में इस कदर त्रुटियां क्यों हैं- ‘जिसकी हिन्दी अच्छी है, यदि वह भी इन पुस्तकों का नियमित अध्ययन करे तो उसकी हिन्दी भी खराब हो जाए।’ यह कहानी ऐसे विधायक की है कि जिन्होंने जिस विश्वविद्यालय से डिग्री ली, उसकी त्रुटियां खोज निकाली। यह कहना है कि भाजपा के उदयपुर ग्रामीण से विधायक फूल सिंह मीणा का। उनके पिता की जम्मू-कश्मीर में शहादत के बाद सातवीं की पड़ाई भी इसलिए करवाई कि उनकेदो बड़े भाई सातवीं पास थे। माताजी ने तय किया कि फूल सिंह भी सातवीं तो करे। इसके बाद पढ़ाई पर विराम लग गया।
मीणा बताते हैं कि पिताजी की शहादत के बाद सातवीं पासकर खेती करने लगा। विधायक बना तो एक शाम पांचों बेटियां घेरकर बोलीं-‘पापा, लोगों को भाषण देते हो कि बच्चों को पढ़ाना चाहिए, लेकिन खुद कितना पढ़े हो! मैंने कहा, मैं 55 साल का हूं। अब कैसे पढ़ाई होगी? बेटियों ने तर्कों से मुझे निढाल कर कोटा खुला विश्वविद्यालय में मेरा फॉर्म जमा करा दिया। बेटियां मुझे पाठ्यक्रम रिकॉर्ड कर देती, मैं उसे खाली समय में सुनता और पुस्तकों को पढ़ता। शाम को बेटियां पढ़ाई को लेकर पूछती। पहले तो पढ़ाई बोझ बनी, लेकिन बाद में इसके प्रति इतना अनुराग हो गया कि उदयपुर से जयपुर आता तो गाड़ी में पढ़ता आता। विधानसभा सत्र के दौरान खाली समय में पढ़ता, जिसका नतीजा रहा कि बीए के तृतीय वर्ष में आ गया।
पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती
मीणा ने बताया कि जब दसवीं कक्षा पास की तो मन में हिम्मत आ गई कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। अब एमए करने के बाद पीएचडी करने का मन है। पीएचडी का विषय भी सोच रखा है-‘ जनजाति समाज या फिर भारतीय कृषि’।
कितनी पढ़ी-लिखी बेटियां
संजना एमए भूगोल, रेखा एमए, एसटीसी, तृतीय श्रेणी शिक्षिका, दीपिका एमए, एमफिल,मनोविज्ञान, सहायक प्रोफेसर, सुमन एमकॉम, ज्योति, बीए, एलएलबी।
पिताजी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। बताया कि पढ़ेंगे तो जनता की अच्छे से सेवा कर पाओगे। काफी मान-मनोहार के बाद पिताजी मान गए।-रेखा मीणा, बेटी फूलसिंह मीणा, विधायक
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