'इंडिया गेट'
जानें इंडिया गेट में क्या है खास
पर्दे के पीछे की खबरें जो जानना चाहते है आप....
नजर 2024 पर!...
प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेस भले ही यूपी में जोर शोर से चुनाव लड़ रही हो। लेकिन इस मेहनत का परिणाम क्या आएगा। सबको इंतजार। वैसे चुनावी दौरे से लेकर जनता के विभिन्न वर्गों से वायदे करने में प्रियंका गांधी ने कोई कोताही नहीं बरत रहीं। हां, सवाल भी उठ रहे। जब इतना ही पार्टी का वादा। तो वह जहां सत्ता में। वहां इन्हें पूरा करने में क्या परेशानी? लेकिन सवाल करने वालों को यह कौन समझाए कि प्रियंका की नजर 2022 के बहाने 2024 के आम चुनाव पर। अभी पार्टी केवल यूपी में प्लेटफॉर्म तैयार कर रही। आम चुनाव में देशभर में मुख्य मुकाबला भाजपा एवं कांग्रेस के बीच ही होगा। ऐसा कांग्रेस के रणनीतिकार मान रहे। ऐसे में यूपी जैसा बड़ा सूबा मजबूत रहा। तो बाकी राज्यों में भी अच्छी संभावनाएं बनेंगी। क्योंकि विधानसभा चुनाव अपनी जगह। लोकसभा चुनाव पार्टी, विचारधारा एवं मुद्दों पर लड़े जाते हैं। कोई माने या न माने। पार्टी के रणनीतिकार तो यही मान रहे।
मिशन पर केसीआर?
तो तेलंगाना के सीएम केसीआर मिशन मोदी पर निकल गए। हाल ही में पहले वह मुंबई पहुंचे। अब वह कभी भी डीएमके चीफ एमके स्टालिन से मिलने चैन्नई पहुंच सकते हैं। बंगाल की ममता दीदी से उनकी बात इस बारे में चल ही रही। केसीआर वायएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी से लेकर बीजद के नवीन पटनायक से संपर्क साध चुके। ऐसे में लग रहा मानो केसीआर ने विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरु कर दीं। हालांकि तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में करीब डेढ़ साल बाकी। लेकिन केसीआर के हालिया कदमों एवं बयानों से लग रहा। इस बार वह आरपार के मूड में। चर्चा तो यह भी। वह हैदराबाद में अपने बेटे एवं बेटी को सेट करना चाह रहे। जबकि खुद को अब राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करना चाह रहे। ऐसे में यह मौका एवं अवसर उन्हें ठीक ही लग रहा। देशभर के अन्य क्षत्रप भी उन्हें चुनौती देते नजर आ रहे। फिर सवाल मोदी विरोध की अगुवाई का भी।
ओपीएस.. बल्ले, बल्ले!
ओल्ड पेंशन स्कीम यानी ओपीएस। देशभर में चर्चा का विषय बन गई। वजह बनी अपने जादूगर जी की इस बजट में की गई घोषणा। अशोक गहलोत सरकार ने ऐलान किया कि वह 2104 के बाद सरकारी सेवा में आए कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करेगी। अब चारों ओर तारीफ होनी ही थी। लेकिन सीएम की जो असल में चाहत। उसका आगाज किया अजय माकन ने। जो खुद कभी नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे। यहां भारत के किसी भी लोकसभा क्षेत्र से सबसे ’यादा सरकारी कर्मचारी। सो, मोर्चा उन्होंने ही संभाला। बोले, केन्द्र एवं बाकी राज्य सरकारों के लिए यह नजीर बनेगा। लगे हाथ कहा, कांग्रेस हमेशा सरकारी कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखती है। जबकि भाजपा उनके हितों पर कुठाराघात। सो, ओपीएस पर फोलोअप का सिलसिला भी चल पड़ा। झारखंड ने भी ऐलान किया। तो महाराष्ट्र सरकार ने भी आपीएस लागू करने का संकल्प जताया। मतलब ओपीएस के बहाने अपने जादूगरजी की बल्ले बल्ले!
महाराष्ट्र में ट्वीस्ट!
जिस दिन से महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार बनी। कुछ न कुछ ऐसा हो रहा कि इसकी स्थिरता पर सवाल खड़े होते रहे। पहले रा’य के गृहमंत्री वसूली मामले में जेल गए। अब नवाब मलिक को ईडी ने मनी लांड्रिग मामले में धर लिया। संजय राउत वैसे ही आपा खो रहे। शरद पवार छापेमारी से खासे परेशान। उपर से मुंबई महानगर पालिका के चुनाव सिर पर आ रहे। जिसमें शिवसेना की जान अटकी हुई। सो, भाजपा खुलकर खेल रही। अब गठबंधन धर्म का पालन तो करना नहीं। हां, भाजपा की सबसे बड़ी उम्मीद पर अब भी पानी फिरा हुआ। एमवीए सरकार अभी तक गिरी नहीं। जो उसके अनुमान के विपरीत। अभी भी यह सरकार चल कैसे रही? यह भाजपा को भी समझ नहीं आ रहा। इसीलिए कई बार उसके नेताओं के बयानों में यह झलक भी मिलती है। देवेन्द्र फड़नवीस अभी भी आशान्वित। हां, नवाब मलिक मामले में कांग्रेस की चुप्पी बहुत कुछ कह रही। सो, महाराष्ट्र की राजनीति में ट्वीस्ट पर ट्वीस्ट।
आभा विखंडित!
यूक्रेन विवाद ने अमरीका की सुपर पावर वाली आभा मानो विखंडित कर दी। अमरीका, रूस को लगातार धमकाता रहा। लेकिन ब्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के मामले में एक न सुनी। बात चाहे अमरीका की अगुवाई नाटो की हो या यूएनएससी में लाए गए प्रस्ताव की। रूस ने आर्थिक प्रतिबंधों की भी परवाह नहीं की। पुतिन ने वही किया जो वह चाहते थे। हां, भारत अभी तटस्थ बना हुआ। तो चीन उसे समर्थन दे रहा। क्योंकि उसे भी वियतनाम पर रूस का समर्थन चाहिए। सो, कभी भारत ने पीओके को हासिल करने की कोशिश की। तो रूस, भारत के साथ खड़ा होगा! इस बीच जो बाइडेन की खासी किरकिरी हो रही। अमरीकी कह रहे। ट्रम्प ही अच्छे थे। सारी अमरीकी रूतबा तिरोहित हो गया। रूस को बाइडेन रोक नहीं सके। मतलब पुतिन सोवियत संघ का गौरव लौटा रहे! आखिर वह केबीजी के अफसर रहे। उनके मन में सोवियत संघ के टूटने की टीम आज भी। जिसको कभी अमरीका ने मुकाम तक पहुंचाया। समय बड़ा बलवान!
-दिल्ली डेस्क
Comment List