पंचायतों की पीड़ा: करोड़ों का फंड बैंकों में अटका, टर्नओवर मेंटेंन के लिए बैंक और अफसरों के बीच होती है मिलीभगत!

प्रदेश की कई नवगठित ग्राम पंचायतों सहित सैकड़ों पुरानी पंचायतों के विकास फंड का पैसा बैंक खातों में अटका है।

पंचायतों की पीड़ा: करोड़ों का फंड बैंकों में अटका, टर्नओवर मेंटेंन के लिए बैंक और अफसरों के बीच होती है मिलीभगत!

गलत खाता संख्या और आईएफएससी कोड, बैंकों का विलय जैसे कारणों से यह पैसा ग्राम पंचायतों को समय पर नहीं मिल पा रहा।

जयपुर। प्रदेश की कई नवगठित ग्राम पंचायतों सहित सैकड़ों पुरानी पंचायतों के विकास फंड का पैसा बैंक खातों में अटका है। गलत खाता संख्या और आईएफएससी कोड, बैंकों का विलय जैसे कारणों से यह पैसा ग्राम पंचायतों को समय पर नहीं मिल पा रहा। करोड़ों रुपए का यह भुगतान छह महीने से ज्यादा समय से बैंकों के पास लम्बित है। ऐसे में ग्राम पंचायतों को कर्मचारियों का वेतन और ठेकेदारों को भुगतान करने में परेशानी हो रही है। नवगठित पंचायतों में विकास कार्यों के लिए फंड केन्द्र और राज्य प्रवर्तित योजनाओं के जरिए राष्ट्रीयकृत बैंक खातों में दिया जाता है। नवगठित 250 ग्राम पंचायतों और 550 पुरानी पंचायतों में फंड का पैसा नहीं मिलने की शिकायतें हैं। इनकी पुष्टि के बाद विभाग का कहना है कि पहले कुछ ग्राम पंचायतों में नवगठन के बाद राजस्व दस्तावेजों की समस्या थी, उसके अधिकांश मामले निस्तारित हो गए। अब कई ग्राम पंचायतों से जुड़ी बैंकों के विलय मामले में खातों की जानकारी अपडेट नहीं होने से परेशानी बनी हुई है। बैंकों के आईएफएससी कोड भी बदले तो भुगतान मामले अटक गए। वहीं, सरपंचों का कहना है कि पिछले छह महीने से इन ग्राम पंचायतों के पास कोई फंड नहीं आया। कई ग्राम पंचायतों ने फंड बैंक में पड़े रहने के कारण काम करा लिए, लेकिन अब तकनीकी खामियों की वजह से भुगतान में समस्या आ रही है।

बैंक और अफसरों की सांठगांठ
ग्राम पंचायतों के खाते राष्ट्रीयकृत सरकारी और निजी बैंकों में खुले हैं। सूत्रों का कहना है कि कई बैंकों की जिला शाखाओं में टर्नओवर मेंटेंन लायक पैसे नहीं रहते तो बैंक वाले पंचायतीराज विभाग के अफसरों से मिलीभगत करते हैं। इन खातों में पैसा कुछ महीनों के लिए डलवा दिया जाता है। निजी बैंक विभागीय अफसरों को ज्यादा प्रलोभन देते हैं। गलत आईएफएससी कोड और खाता संख्या की आड में इस पैसे की महीनों की ब्याज विभाग और ग्राम पंचायतों को नहीं मिलती और ग्राम पंचायतें भुगतान के लिए परेशान रहती हैं।

ऐसे मिलता है भुगतान
वित्त आयोग और केन्द्र-राज्य प्रवर्तित योजनाओं के मद में ग्राम पंचायतों को जो राशि मिलती है। उसमें 75 प्रतिशत सीधे ग्राम पंचायत के खाते में, 20 प्रतिशत पंचायत समिति के खाते में और पांच प्रतिशत जिला परिषद के खाते में जाती है। पंचायतों से जुड़े सभी विकास कार्यों का ऑनलाइन भुगतान होता है। सूत्रों के अनुसार पंचायतों के चुनाव से पहले वीडीओ ही सर्वेसर्वा होते थे, इसलिए भुगतान मामलों में बैंकों से मिलीभगत हुई। अब पंचायतों में सरपंच, प्रधान और प्रमुख चुनकर आ गए तो वीडिओ की मिलीभगत के प्रकरणों से धूल साफ होने लगी है।

कई नई और पुरानी ग्राम पंचायतों में पिछले छह महीने से फंड राशि नहीं मिल पा रही है। फंड मिला, लेकिन गलत जानकारी की आड में बैंकों में अटका है। कर्मचारी तनख्वाह, ठेकेदारों और फर्मों को भुगतान नहीं कर पा रहे। - रफीक पठान, प्रवक्ता, राजस्थान सरपंच संघ

ग्राम पंचायतों को फंड देने की तय व्यवस्था के तहत हम संबंधित बैंक खातों में राशि रिलीज कर देते हैं। पैसे अटकने के मामले जब वीडिओ के माध्यम से हमारे पास आते हैं, तो हम संबंधित बैंकों से बातकर उनका निदान करवाते हैं। - एचआर पंवार, वित्तीय सलाहकार, पंचायतीराज विभाग

Post Comment

Comment List

Latest News

कश्मीर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का पार्टी का था फैसला : आजाद कश्मीर से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का पार्टी का था फैसला : आजाद
संसद का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला पार्टी ने लिया है। उन्होंने कहा कि वह चुनाव नहीं लड़ने के लिए...
इस बार मोदी की बेव नहीं, विकास के मुद्दों पर राजनीति नहीं केवल चुनाव हो : पायलट
राजस्थान में सभी 25 लोकसभा सीट जीतेगी भाजपा : पूनिया
पाकिस्तान में आत्मघाती हमला, बचे 5 जापानी नागरिक
निर्वाचन विभाग की नहीं मिली वोटर पर्ची, बूथ पर मतदान कर्मियों से उलझे लोग
बंगाल में चुनाव के दौरान हिंसा, भाजपा-तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच पथराव 
अर्विक बैराठी ने लोगों को वोटिंग के लिए किया प्रोत्साहित