महाशिवरात्रि आज, मंदिरों में उमड़ेगा आस्था का सैलाब

शिवयोग सहित अन्य संयोगों में मनाई जा रही शिवरात्रि

महाशिवरात्रि आज, मंदिरों में उमड़ेगा आस्था का सैलाब

ज्योतिष आचार्यों के अनुसारमकर राशि में पंचग्रही योग चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र और शनि विराजमान रहेंगे। इसलिए भक्तों को भक्ति का विशेष फल मिलेगा।

 जयपुर। शिवयोग और घनिष्ठा नक्षत्र में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी यानी मंगलवार को महाशिवरात्रि मनाई जा रही है। ज्योतिष आचार्यों के अनुसारमकर राशि में पंचग्रही योग चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र और शनि विराजमान रहेंगे। इसलिए भक्तों को भक्ति का विशेष फल मिलेगा। इससे पहले सोमवार को सर्वार्थसिद्धि योग में सोमप्रदोष व्रत रहा। व्रत रखकर श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ की पूजा की। शाम को मंदिरों में विशेष श्रृंगार हुआ। वहीं शिवरात्रि पर इस बार भक्त जलाभिषेक सहित पूजा भी कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महाशिवरात्रि पर्व पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ की आराधना का महापर्व है। भगवान शिव जीवन से संकटों को हरने वाले देवाधिदेव है। भक्तों पर वे हमेशा विशेष कृपा बरसाते हैं।

मंदिरों में कार्यक्रम
एक साल बाद वैशाली नगर स्थित झाड़खंड महादेव मंदिर में जल चढ़ा सकेंगे। सुबह 4:45 बजे से दर्शन शुरू होंगे। 200 से अधिक स्वयंसेवक व्यवस्थाएं संभालेंगे। मंदिर में चार प्रहर की पूजा होगी। बब्बू सेठ मेमोरियल ट्रस्ट झाडखंड महादेव मंदिर के अध्यक्ष जयप्रकाश सोमानी ने बताया कि भक्तों को लाइनों के जरिए ही प्रवेश दिया जा रहा है।
 सिटी पैलेस स्थित राजराजेश्वर मंदिर में भक्त दर्शन कर सकेंगे। बनीपार्क के जंगलेश्वर महादेव, छोटी चौपड़ स्थित रोजगारेश्वर महादेव, झोटवाड़ा रोड स्थित चमत्कारेश्वर महादेव में भी भक्त जलाभिषेक कर सकेंगे।

कूकस स्थित सदाशिव ज्योर्तिलिंगेश्वर
कूकस स्थित सदाशिव ज्योर्तिलिंगेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं को दूध मिश्रित गंगाजल और बिल्व पत्र मंदिर द्वारा दिया जा रहा है। वहीं मोती डूंगरी एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर कोरोना की वजह से बंद है।

रोजगारेश्वर महादेव
छोटी चौपड़ स्थित रोजगारेश्वर महादेव मंदिर में मान्यता है कि बीते कई दशकों से इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल जाती है। वैसे तो यहा हर उम्र के भक्त आते हैं, लेकिन युवाओं की संख्या ज्यादा रहती है। सुबह है से ही यहां श्रद्धालुओं के सैलाब उमड़ा है।

प्रमुख शिव मंदिरों पर एक नजर
ताड़केश्वर महादेव मंदिर: ताड़केश्वर महादेव मंदिर काफी प्राचीन है। मान्यता है कि यहां सैकड़ों साल पहले ताड़ के पेड़ों का जंगल था। एक ग्वाले की गाय यहां एक ताड़ के पेड़ के नीचे आती थी तो उसके थनों से स्वत: ही दूध निकलने लगता था। इसी दौरान भगवान भोलेनाथ ने ग्वाले को स्वप्न में दर्शन दिए और शिवलिंग के बारे में बताया। ग्वाले ने जब जमीन खोदी तो उसमें से शिवलिंग निकला। ताड़ के पेड़ों की बहुलता के कारण इस शिवलिंग का नाम ताड़केश्वर पड़ा। इनके दर्शन से काशी विश्वनाथ के दर्शनों का जितना पुण्य मिलता है। जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह ने यहां भव्य मंदिर बनवाया था।


झारखंड महादेव मंदिर: जयपुर में त्रिनेत्रधारी भगवान का झारखंड महादेव मंदिर भी है। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू शिवलिंग बताया जाता है। लोगों का कहना है कि यह स्थल गोरखपंथी नाथों का तपस्या स्थल भी रहा है।


आकड़ेश्वर मंदिर: जयपुर के आकड़ेश्वर मंदिर में विराजे शिवलिंग के साथ इस मंदिर का नाम भी श्रद्धालुओं के लिए खासा आकर्षण रहता है।

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