आमजन का सहयोग, सरकारी स्कूल का कायाकल्प, चलती रेल के लुक वाले विद्यालय में बच्चे कर रहे पढ़ाई

भामाशाहों से दान लेकर शहर के साथ ही प्रदेश के कई स्कूलों की बदली तस्वीर, बच्चे स्मार्ट कक्षाओं में कर रहे पढ़ाई

आमजन का सहयोग, सरकारी स्कूल का कायाकल्प, चलती रेल के लुक वाले विद्यालय में बच्चे कर रहे पढ़ाई

आमेर का प्रतापपुरा कला गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय इन दिनों अपने लुक के कारण चर्चा में है। 1995 में स्थापित स्कूल कुछ दिन पहले तक बदरंग और बेहाल था, लेकिन आज यहां स्मार्ट कक्षाओं में पढ़ाई करवाई जा रही है।

 जयपुर। आमेर का  प्रतापपुरा कला गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय इन दिनों अपने लुक के कारण चर्चा में है। 1995 में स्थापित स्कूल कुछ दिन पहले तक बदरंग और बेहाल था, लेकिन आज यहां स्मार्ट कक्षाओं में पढ़ाई करवाई जा रही है।  प्रधानाध्यापक रामावतार जांगिड़ ने बताया, विद्यालय को एक ट्रेन और स्टेशन के रूप में विकसित करने का प्लान बनाया। कमरों को ट्रेन के डिब्बों का और बरामदे को प्लेटफॉर्म का लुक देते हुए रंग रोगन करवाने के लिए स्टाफ व ग्रामीणों से बातचीत कर कार्य प्रारंभ करवाया तो विद्यालय परिसर एक अलग ही रूप में निखर कर सामने आया। अध्यापिका अंजू बसल ने कहा कि विद्यालय भवन के रंग-रोगन का काम पूरा होने पर अब बच्चों को कक्षा कक्ष के दरवाजे में खड़ा किया गया, तो यूं लगा जैसे वे एक ट्रेन में सफर करने का आनंद ले रहे हो।

रंग-रोगन में खर्च हुए 50 हजार रुपए
भवन का रंग-रोगन करवाने में लगभग 50 हजार रुपए का खर्चा आया है, जो ग्रामवासियों और स्टाफ के सहयोग से पूरा हुआ है। पास के गांव देवगुड़ा के पेंटर ओमप्रकाश बुनकर ने भी विद्यालय भवन को 15 दिन में ट्रेन का रूप दे दिया। ग्रामवासी रुडमल जाट व माधव सिंह शेखावत ने कहा कि इस स्कूल को देखकर ऐसा लगता है, अब सरकार द्वारा राजकीय विद्यालयों में भी बच्चों के कॅरिअर को लेकर पढ़ाई को बहुत ध्यान में रखते हुए सरकारी स्कूलों को आगे बढ़ाया जाएगा। ग्रामवासी मालीराम वर्मा ने कहा कि विद्यालय अभी आठवीं तक है, लेकिन अब इसको आगे बढ़ाया जाएगा।

अगले स्टेशन तक पढ़ाई
जब घर से स्कूल आता हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं ट्रेन में बैठकर पढ़ रहा हूं और अध्यापक मुझे अगले स्टेशन तक पढ़ाएंगे, आज ट्रेन के द्वारा शिक्षा के लिए आगे बढ़ रहा हूं। कल इसी शिक्षा से मैं आगे बढूंगा।
- गणेश, कक्षा 6 का छात्र


और कहीं पढ़ने का नहीं है मन
मैं पहली क्लास से यहां पढ़ रही हूं, इस वर्ष मेरा यह लास्ट है। स्कूल का रंग-रोगन करके कक्षाओं को ट्रेन में बदला है। बहुत अच्छा लग रहा है। मन नहीं करता की अगली कक्षा कहीं और जा कर पढूं।
-प्रिया बिलोनिया, कक्षा 8 की छात्रा

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