युद्ध की कीमत
रविवार को रूस ने यूक्रेन से वार्ता की पेशकश की थी और वार्ता हुई भी, लेकिन सफल नहीं रही। यूक्रेन रूस के दबाव में नहीं आया और राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस को मुंह तोड़ जवाब देने का संकल्प दोहरा दिया।
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन पर युद्ध थोपने के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर भारी भरकम प्रतिबंध लगा देने का असर रूस की अर्थव्यवस्था पर पड़ने लग गया है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन पर युद्ध थोपने के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर भारी भरकम प्रतिबंध लगा देने का असर रूस की अर्थव्यवस्था पर पड़ने लग गया है। रविवार को रूस ने यूक्रेन से वार्ता की पेशकश की थी और वार्ता हुई भी, लेकिन सफल नहीं रही। यूक्रेन रूस के दबाव में नहीं आया और राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस को मुंह तोड़ जवाब देने का संकल्प दोहरा दिया। नाटो ने यूक्रेन में अभी तक अपनी सेना भले ही नहीं उतारी हो, लेकिन यूक्रेन को दूसरे पश्चिमी देश हथियार उपलब्ध करा रहे हैं और उसे आर्थिक मदद भी मिल रही है। युद्ध को छह दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन उम्मीद के मुताबिक रूस का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। पुतिन को इसकी उम्मीद नहीं थी कि युद्ध इतना लंबा खिंच जाएगा। यूक्रेन की सैन्य ताकत भले ही रूस के मुकाबले कम हो, लेकिन यूक्रेन की सेना और नागरिकों का मनोबल कहीं ज्यादा बड़ा दिख रहा है। नागरिक भी युद्ध के मोर्चे पर डटे हैं। हड़बड़ाए राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन को दबाव में लाने के लिए परमाणु हमले तक की धमकी भी दे दी। इस धमकी से दुनिया भी सकते में आई, लेकिन रूस को अच्छी तरह पता है परमाणु हमला आसान नहीं है। रूस-यूक्रेन का भले ही दो देशों के बीच युद्ध होता दिख रहा है, मगर इसकी मार रूस सहित पूरी दुनिया को किसी न किसी रूप में झेलनी पड़ेगी। यूक्रेन में भारी तबाही हो गई है तो डर यह भी बना हुआ है कि यह जंग दुनिया के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था को फिर से चौपट न कर दें। इसका असर अमेरिका, यूरोप से लेकर चीन व भारत तक पर भी पड़े बिना नहीं रहने वाला है। इसका असर ज्यादातर देशों में दिखने भी लगा है। शेयर बाजारों में उथल-पुथल मची हुई है। रूस में तो अर्थयुद्ध की स्थिति तक बन गई है। रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों का असर यहां तक हुआ कि सोमवार को रूसी करंसी रुबल 26 फीसदी कमजोर हो गई। एक अमेरिकी डॉलर अब 105.27 रुबल का हो गया है, जो शुक्रवार तक 84 रुबल तक था। इतनी बड़ी गिरावट के चलते रूस के सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरें 9.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी हैं। स्टॉक एक्सचेंज बंद कर दिए गए हैं ताकि रुबल और गिरे। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन की भरपाई यूरोपीय और अन्य देश भी जैसे-तैसे कर लेंगे, लेकिन रूस की भरपाई मुश्किल हो जाएगी। पुतिन भी इस बात को समझ रहे होंगे। युद्ध की वजह से हर देश चुनौतियों से जूझने को मजबूर होगा। रूस-यूक्रेन संकट को कैसे भी खत्म करने की जरूरत है।
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