पति की दोनों किडनियां हो गई थी खराब, पत्नी ने किडनी देकर बचाई जान

पत्नी की किडनी नहीं हो रही थी मेच, फिर प्लाज्मा थैरेपी से सफल हुआ किडनी ट्रांसप्लांट

पति की दोनों किडनियां हो गई थी खराब, पत्नी ने किडनी देकर बचाई जान

मनोहरथाना कस्बा निवासी नीलू परतानी को जब पता चला कि पति अमित की किडनी खराब है तो अपनी किडनी देकर पति जान की बचाई। पति का हौसला बढ़ाते हुए एवं स्वयं भी हौसला रखते हुए जिंदगी से हार नहीं मानी।

 मनोहरथाना। मनोहरथाना क्षेत्र की नीलू ने अपने पति के प्राणों को बचाने के लिए सावित्री की तरह यमराज से लड़कर अपने पति की जान बचाकर एक मिसाल पेश की है।  मनोहरथाना कस्बा निवासी नीलू परतानी को जब पता चला कि पति अमित किडनी खराब है तो मानो दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। अनेकों परेशानियों का सामना करते हुए पति का हौसला बढ़ाया। इस विपदा की घड़ी में अपनी किडनी देकर पति जान बचाई। महिला दिवस के अवसर पर हम मनोहरथाना कस्बे की एक ऐसी साहसी महिला से आपको परिचित करवाने जा रहे हैं, जिसने अपने पति के दोनों किडनी खराब होने पर अपने पति का हौसला बढ़ाते हुए एवं स्वयं भी हौसला रखते हुए जिंदगी से हार नहीं मानी एवं अपनी किडनी देकर के अपने पति को जीवन दान दिया।

दैनिक नवज्योति टीम को अमित एवं नीलू ने बताया कि सर्वप्रथम वर्ष 2014 में ज्ञात हुआ कि एक किडनी खराब है, यहीं से हंसते खेलते दांपत्य जीवन में मानो ग्रहण सा लग गया। हर समय चिंता सताने लगी। घर से डॉक्टर एवं अस्पतालों के चक्कर काट लगाने में ही व्यवस्था इतनी बढ़ गई कि घर को भी संभालना भारी पड़ने लगा। धीरे-धीरे जब पति अमित की तकलीफ बढ़ती गई चिकित्सकों के इलाज से कुछ राहत मिली, किंतु वर्ष 2018 में चिकित्सकों ने बताया कि दोनों ही किडनी डैमेज हो चुकी है, ऐसे में किडनी डोनेट करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है, जब पत्नी नीलू को यह ज्ञात हुआ पति की दोनों किडनी खराब है तो नीलू परतानी बताती है मैंने तुरंत निर्णय किया एवं अपने पति को इस विपदा की घड़ी में अपनी किडनी देने का निर्णय किया, इसमें परिवार जनों के साथ सभी मित्रों ने एवं मिलने वालों ने मेरा सहयोग किया। मेरे निर्णय को सराहा और मैंने पूर्ण हौसले के साथ अपने आपको तैयार किया। वह दिन भी आ गया जब पति की किडनी ट्रांसप्लांट हुई, इससे पूर्व चिकित्सकों ने मेरी जांच की।

 वहीं पति अमित ने बताया कि दोनों किडनी फेल होने के बाद 1 सप्ताह में कम से कम 3 बार डायलिसिस होती थी। मनोहरथाना जैसी जगह पर राजस्थान के सुदूर कोने में जांच चिकित्सा के नाम पर कुछ नहीं है, ऐसे में कोटा, जयपुर एवं गुजरात में इलाज कराया, किंतु हौसला नहीं हारा। पत्नी एवं परिवारजनों का सहयोग बराबर बना रहा। भाई किशन परतानी ने भी किडनी देने के लिए जांच कराई, किंतु उनके एक ही किडनी थी। चिकित्सकों के अनुसार पत्नी की किडनी मैच नहीं हो रही थी, उसके बाद प्लाज्मा थैरेपी से पत्नी की किडनी मैच हुई। किडनी ट्रांसप्लांट के बाद अब दम्पती स्वस्थ है एवं सुखद जीवन जी रहे है। 

Post Comment

Comment List

Latest News