मोदी ने यूक्रेन में फंसे लोगों को निकालने में नहीं छोड़ी कमी

लोगों की रक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले किए

मोदी ने यूक्रेन में फंसे लोगों को निकालने में नहीं छोड़ी कमी

मोदी ने जनता को यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित भारत लाने का केवल आश्वासन ही नहीं दिया, बल्कि जो कहा उसे पूरा भी कर दिखाया। उन्होंने देश की सुरक्षा एवं भारतीयों की रक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण फेसले किए।

मोदी ने जनता को यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित भारत लाने का केवल आश्वासन ही नहीं दिया, बल्कि जो कहा उसे पूरा भी कर दिखाया। उन्होंने देश की सुरक्षा एवं भारत के लोगों की रक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले किए। वह एक साहसी एवं कर्मयोद्धा की भांति राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद युद्धरत क्षेत्रों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित भारत लाने के काम को बड़ी सूझबूझ से सफल किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी भाजपा सरकार ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि उसके लिए सत्ता से अधिक महत्वपूर्ण लोगों की रक्षा है। उसने रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रहे घमासान युद्ध एवं आपदा में फंसे अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में कोई कमी नहीं छोड़ी। सबसे बड़ी राहत की खबर है कि यूक्रेन के घमासान वाले शहर सूमी में फंसे करीब सात सौ भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने में उसे सफलता मिली है, इससे पूर्व सत्रह हजार भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाया जा चुका है। आपरेशन गंगा के तहत चले इस अभियान में उसे यह अभूतपूर्व सफलता मिली है। यह भारत की विदेश नीति, मोदी की अन्तरराष्ट्रीय छवि एवं भारत की लगातार बढ़ती साख एवं शक्ति का परिणाम है। इसलिए आॅपरेशन गंगा के उजालों पर कालिख पोतने की बजाए उसकी प्रशंसा होनी चाहिए।

यह मोदी के दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है कि एक बड़ी चुनौती के बीच भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाना। इसीलिए भी यह सफलता उल्लेखनीय है, क्योंकि कभी रूस तो कभी यूक्रेन युद्धविराम के लिए बनी सहमति का उल्लंघन कर रहे थे। इससे सूमी में फंसे भारतीय छात्रों की मुसीबत बढ़ रही थी, उनका जीवन पल-पल खतरों से घिरा था। उन्हें संकट से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को न केवल यूक्रेन और रूस के राष्ट्रपति से बात करनी पड़ी, बल्कि संयुक्त राष्टÑ में भारतीय प्रतिनिधि को इन दोनों देशों के रवैये पर आपत्ति भी जतानी पड़ी। रूस पर यूक्रेन के हमले के बाद वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित बचाकर लाना एक जटिल काम था, इन जटिल  हालातों में 17 हजार से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकालकर लाना एक साहस का काम है। इस काम को किस तरह सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, इसे इससे समझा जा सकता है कि इसके लिए न केवल चार केंद्रीय मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा गया, बल्कि भारतीय वायुसेना की भी सेवाएं ली गईं।

मोदी ने जनता को यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित भारत लाने का केवल आश्वासन ही नहीं दिया बल्कि जो कहा उसे पूरा भी कर दिखाया। उन्होंने देश की सुरक्षा एवं भारतीयों की रक्षा को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। वे एक साहसी एवं कर्मयोद्धा की भांति अपनी तमाम राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद युद्धरत क्षेत्रों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित भारत लाने के काम को बड़ी सूझबूझ एवं जीवट से सफल किया। वे सफल जननायक हैं, ऐसे राजनेताओं के लिए जॉन एडम्स कहते है ‘सार्वजनिक नीतिमत्ता, व्यक्तिगत नीतिमत्ता से अलग नहीं होती। सार्वजनिक नीतिमत्ता यह गणराज्य की आधारशिला है। शासनकर्ताओं में सार्वजनिक हित, सार्वजनिक सम्मान, सार्वजनिक हित संबंधों के विषय में सकारात्मक रूख होना चाहिए। इन बातों के साथ ही सम्मान, शक्ति, तेजस्विता भी लोगों उत्पन्न की जानी चाहिए। मोदी ने एक अरब तीस करोड़ की विशाल आबादी वाले देश के जन-जन में यह आस्था एवं विश्वास पैदा किया है।

मोदी ने देश की जनता को सुरक्षित, भयमुक्त एवं सम्मानजनक जीवन का कोरा नारा ही नहीं दिया, बल्कि ऐसा करके दिखाया है। रूस एवं यूक्रेन युद्ध में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकाल कर ही नहीं बल्कि कोरोना महामारी एवं पूर्व के आतंकवादी दौर में भी जनता को शांति एवं भयमुक्त जीवन प्रदत्त किया। जैसा कि सर्वविदित है कि पूर्व सरकारों के दौर में देशवासी सबसे अधिक भयभीत आए दिन होने वाले आतंकवादी हमलों और सीरियल बम विस्फोटों से थे। नागरिकों में यह भय समा गया था कि न जाने कब, कहां, कैसे आतंकवादी हमला हो जाएं। लेकिन मोदी सरकार आने के बाद नागरिकों ने सुरक्षा के मामले में राहत की सांस ली है। मोदी के शासनकाल में नागरिक निर्भय एवं निसंकोच होकर कहीं भी देश के किसी भी कोने में आ-जा रहे हैं। एक ओर राष्ट्र सुरक्षा एवं जनता की रक्षा के लिए अनेकानेक उपाय-योजनाएं और नीतियां लागू की जा रही है। दूसरी ओर भारत तेजी के साथ विकास व प्रगति की ऊंचाइयों को छू रहा है। भारत ने मोदी के शासन में संकट एवं आपदा के समय जनता की रक्षा के अनूठे कीर्तिमान स्थापित किए हैं। कुछ वर्ष पहले ऐसा ही काम यमन में ऑपरेशन किया था। तब तो उसने बांगलादेश, नेपाल, श्रीलंका के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा समेत दो दर्जन देशों के नागरिकों को भी वहां से निकाला था। ऐसे अभियान न केवल भारत की बढ़ती क्षमता को रेखांकित करते हैं, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी देते हैं कि वह एक बड़ी और जिम्मेदार शक्ति बन रहा है। ऑपरेशन गंगा से भारत ने एक बार फिर साबित किया है कि वह संकट में स्वयं के साथ ही मानवीय आधार पर दूसरे देशों की मदद करने से भी कभी गुरेज नहीं करता है। भारत ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों के साथ ही बांग्लादेश, नेपाल और ट्यूनीशिया के नागरिकों को भी वहां से निकाला। भारत ने बांग्लादेश के 9 और पड़ोसी देश नेपाल के 3 छात्रों को यूक्रेन से रेस्क्यू किया था। भारतीयों ने यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया था, उन सभी को निकाल लिया गया है।            

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- ललित गर्ग
(ये लेखक के विचार हैं)

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