गर्मी से बार हेडेड गूंज बैचेन, वापसी की करने लगे तैयारी

बोरबास में छिछला पानी और पर्याप्त भोजन की उपलब्ध से पसंदीदा क्षेत्र, इस माह करेंगे पलायन, सर्वाधिक ऊंचाई पर उड़ने वाला पक्षी

गर्मी से बार हेडेड गूंज बैचेन, वापसी की करने लगे तैयारी

तापमान में बढ़ोतरी के साथ प्रवासी पक्षी बैचेन हो उठे है। बोराबास में प्रवासी पक्षी बारहेडेड गूज का जमावडा लगा हुआ है। इनकी 70 से 80 संख्या में मौजूदगी दर्ज की जा रही है।अब इनका अंतिम पडाव है। गर्मी की शुरूआत होते ही यह वतन को लौट जाएंगे।

कोटा। तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही गर्मी ने दस्तक दे दी है। गर्मी के कारण प्रवासी पक्षी बैचेन हो उठे है। वे अब वतन को लौटने लगे है, लेकिन बोराबास में प्रवासी पक्षी बारहेडेड गूज का जमावडा लगा  हुआ है। ये क्षेत्र इन मेहमानों को खूब रास आ रहा है। तालाब के छिछले पानी में अनकी अठखेलियां देखते बन रही है। अभी भी इनकी 70 से 80 संख्या में मौजूदगी दर्ज की जा रही है। इनके साथ में अन्य स्थानीय प्रवासी पक्षी है। उनकी संख्या कम है। बार हेडेड गूज  की संख्या यहां पर अधिक होने से अच्छा संकेत है। हालांकि, अब इनका अंतिम पडाव है। क्योंकि, गर्मी की शुरूआत होते ही यह वतन को लौट जाएंगे। पक्षी विशेषज्ञ बताते है कि हर साल कोटा जिले में सर्दी की शुरूआत होने पर बफीर्ले क्षेत्रों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां पहुंचते है। बर्फ जमने के कारण बफीर्ले क्षेत्रों में भोजन की दिक्कत हो जाती है। यहां पर बर्फ की कमी के कारण भोजन की उपलब्धता रहती है। इसी कारण यहां आते है।


25 हजार की ऊचाई से आगमन
पक्षियों की यह प्रजाति सर्दियों के मौसम में तिब्बत, कजाकिस्तान, मंगोलिया, रूस, हिमालय आदि जगहों से एक लंबा सफर तय करके हिमालय की ऊंची चोटियों के ऊपर से उड़ कर भारत में आते हैं। ये दुनिया के सबसे अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले पक्षी हैं। ये लगभग 25 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ कर भारत में पहुंचते हैं। जब इनके गृह क्षेत्र में ठंड बढ़ती है और बर्फबारी शुरू होती है। उस समय ये दक्षिणी एशिया की तरफ प्रवास आरंभ करते है।


इसलिए खास बारहेडेड गूज
. सर्वाधिक ऊंचाई पर उड़ने वाला पक्षी।
. दो से तीन किलोग्राम वजन।
. मादा 7 से 8 अंडे देती है।
. दलदली क्षेत्र, खेती के आसपास और झीलों में मौजूद।
. गर्दन व सिर का रंग सफेद, शरीर के बाकी हिस्सों का रंग दूधिया।
.  चोंच व पंजों का रंग नारंगी और सिर पर काले रंग की दो धारियां।
. बार की तरह धारियां होने से बार हेडेड गूज नाम पड़ा।


अब करेंगे यहां से पलायन
बारहेडेड गूज हर साल नवंबर-दिसंबर माह में यहां आते है। करीब तीन से चार माह रूकने के बाद हम वतन लौट जाते है। इनकी खास बात यह है कि कोटा जिले में हजारों की संख्या में इनकी मौजूदगी रहती है, लेकिन यह नेस्ट नहीं बनाते न ब्रिडिंग करते। इनका यहां आने के पीछे उद्देश्य केवल भोजन रहता है। कोटा जिले में भोजन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने से हर साल यहां पर प्रवास पर रहते है।

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इनका कहना है।
यहां पर इनकी संख्या पिछली बार की अपेक्षा बढ़ी है। करीब 70 से 80 की संख्या में मौजूद है। इनके साथ अन्य पक्षी भी है। मार्च के इस माह  में यहां से पलायन कर जाएंगे।
- अनुराग भटनागर, सहायक वन संरक्षक, वन्यजीव विभाग, कोटा

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