ये पांच महिलाएं करती हैं सांप, हाइना, मोनिटर लिजार्ड और मगरगच्छ का रेस्क्यू
कोबरा सांप का नाम सुनते ही खौफ और डर जेहन में छा जाता है
वन विभाग में कार्यरत प्रदेश की पांच महिलाएं अलग-अलग जिलों में बिना डर के सांपों के रेस्क्यू जैसे चैलेंजिंग काम कर रही हैं।
जयपुर। कोबरा सांप का नाम सुनते ही खौफ और डर जेहन में छा जाता है, लेकिन वन विभाग में कार्यरत प्रदेश की पांच महिलाएं अलग-अलग जिलों में बिना डर के सांपों के रेस्क्यू जैसे चैलेंजिंग काम कर रही हैं। ये महिलाएं 60 से 70 फुट गहरें कुएं में जाकर सांपों के साथ हाइना जैसे एनिमल्स को रेस्क्यू करती हैं।
वन विभाग में सिरोही में रेस्क्यू इंचार्ज और फोरेस्ट गार्ड के पद पर कार्यरत 38 वर्षीय अंजु चौहान ने साल 2016 में नौकरी ज्वाइन की। वह अब तक अजगर, कोबरा, रसैल वाइपर, कॉमन स्नैक, मगरमच्छ, स्लोथ बियर, नीलगाय, हायना को रेस्क्यू कर चुकी हैं। इनमें सांपों की संख्या तकरीबन 1500 से ज्यादा है। परिवार का सपोर्ट रहता है। बेटा थैलेसिमिया से पीड़ित है, लेकिन रात को भी रेस्क्यू कॉल आने पर निकल जाती हैं।
सीकर में वन रक्षक के पद पर कार्यरत 25 वर्षीय बिमला धाकड़ ने 2016 में नौकरी ज्वाइन की। अब तक वह तकरीबन 30 से अधिक कोबरा सांप, मोनिटर लिजार्ड सहित अन्य प्रजातियों के सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं। पहले पिताजी मुझे रेस्क्यू देख घबराते थे, लेकिन एक दिन घर में घुसे सांप को रेस्क्यू कर दिखाया तो उनका डर खत्म हो गया।
बाड़मेर में वनरक्षक पद पर कार्यरत 27 वर्षीय प्रियंका चौधरी ने अब तक करीब 100 से अधिक विभिन्न प्रजातियों के सांपों का रेस्क्यू किया है। इसमें सबसे ज्यादा कोबरा है। प्रियंका का कहना है कि परिवार और खासकर पति का सपोर्ट रहा। तभी मैं इस चैलेंजिंग कार्य को कर पा रही हूं।
जैसलमेर के मोहनगढ़ में सहायक वनपाल के पद पर कार्यरत 29 वर्षीय झमकू ने 2011 में वन विभाग में आई। ट्रेनिंग के बाद विभिन्न प्रजातियों के करीब 50 से अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं, जिनमें कोबरा, अजगर आदि शामिल हैं।
वन मंडल प्रतापगढ़ में वनपाल के पद पर कार्यरत 27 वर्षीय सोनम कुमारी मीणा कोबरा, रसैल वाइपर सहित तकरीबन 60 प्रजातियों के सांपों को रेस्क्यू कर चुकी हैं। सोनम ने बताया कि पथरीला और चट्टानी इलाका होने के कारण यहां अजगर ज्यादा निकलते हैं।
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