'राजकाज'

जानें राज-काज में क्या है खास

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पर्दे के पीछे की खबरें जो जानना चाहते है आप....

चिढ़ आप से
जब से पड़ोसी सूबे में भी आप ने असर दिखाया है, तब हाथ वालों के साथ कमल वाले भी आप शब्द बोलने से पहले आगा-पीछा सोचते हैं। पंजाब के रिजल्ट से मरु प्रदेश के लीडर्स की भी रातों की नींद और दिन का चैन काफूर हो गया और उनको भी आप शब्द से चिढ़ होने लगी है। अब देखो ना, हाथ वाले नेताजी का देवरा ढोकने पहुंचे सरहद जिले के वर्कर को गेट पर समझा दिया कि साहब को आप से बहुत चिढ़ है, से तुम कह कर बात करने में ही भलाई है। वर्कर भी स्याणा निकला, सौ सालों का बैर निकालने के मौके को लपक लिया और तू-तड़ाके से बात कर चक्रवर्ती ब्याज सहित वसूल लिया।


चर्चा में कमरा
इन दिनों सूबे में एक कमरे की तरफ हर किसी की नजरें हैं। हो भी क्यों ना, कमरा ही ऐसा है। कमरा भी छोटी-मोटी जगह नहीं, बल्कि सूबे की सबसे बड़ी पंचायत के प्रथम तल पर बना है, उसका नंबर भी 104 हैं। नजरें इसलिए टिकती हैं कि इसमें एक कुर्सी है, जो साढ़े तीन साल से खाली है और उस पर बैठने के लिए कई पंच ऐड़ी से चोटी तक जोर लगा चुके हैं। इस कमरे को लेकर कई भाई लोगों को उम्मीद थी कि इस सत्र में उनकी नेम प्लेट जरूर लगेगी और होली पर खूब गुलाल उड़ेगी, लेकिन उनके सपनों पर पानी फिरता दिखाई दिया तो बेचारों के पास उम्मीद छोड़ने के सिवाय कोई चारा भी तो नहीं है। वैसे गुजरे जमाने में नायब सदर की इस कुर्सी की कई धुरंधर शोभा बढ़ा चुके हैं।


दिल्ली से दिल्लगी
राज का काज करने वाले कई साहबों को अचानक दिल्ली से दिल्लगी हो गई। जबसे उनका दिल दिल्ली पर आया है, तब से दिन का चैन और रातों की नींद फुर्र हो गई। सूबे के दो दर्जन से ज्यादा बड़े साहबों को दिल्ली से प्रेम हो गया। वे दिल्ली के लिए हाथ पैर भी मारने के साथ जोड़ तोड़ भी बिठा रहे हैं। हमने भी पता लगाया तो माजरा समझ में आया कि कई बड़े साहब किसी न किसी बहाने अभी से वेटिंग सीएम से नजदीकियां बनाने के जुगाड़ में हैं। इसके लिए दिल्ली सबसे बढ़िया जगह है। अभी डेपुटेशन करा कर दिल्ली में बैठो और डेढ़ साल तक मेल मुलाकात करो। बाद में वापस आकर मनमाफिक कुर्सी के मजे लो।


तलाश अदद सीईओ की
जब से लालकोठी स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय भवन में शहरों की सरकार का ठिकाना गया है, तब से कोई न कोई कूण्डा जरूर हुआ है। और तो और पिंकसिटी के फर्स्ट सिटीजन भी राहू-केतु के चपेट में आए बिना नहीं रहते। अब देखो ना जब से सौम्य मन वाली बहनजी ने मेयर का ताज पहना है, चैन से नहीं बैठ पाई। इस भवन से अब तक एक दर्जन अफसरों को बेआबरू होकर जाना पड़ा। पुराने राज ने भी टोना टोटका करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मेष राशि वाले ललित, लालचंद और लोकनाथ को भी लगा कर देख था, पर पार नहीं पड़ी। तुला राशि वाले आरपी एवं राजेश को टटोला तो उनको भी बैरंग लौटना पड़ा। पंडितों की सलाह पर लगाए सिंह राशि वाले दोनों एमपी भी नहीं चल पाए तो मकर राशि वाले जगरूप को संवारा गया, तो पार्षद आड़े आ गए थे। इस राज ने भी पंडितों की सलाह पर यज्ञ करने वाले मित्र और देव समान साहब को कुर्सी थमाई पर टोटका फिट नहीं बैठ रहा। अब वृष, मिथुन, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन राशि वालों की सूची बनाई जा रही है, मगर उसमें में भी कोई न कोई रोड़ा आड़े आ रहा है।

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एक जुमला यह भी
इन दिनों राज का काज करने वालों में एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा मोटा नहीं, बल्कि पिंकसिटी की पॉश कॉलोनी  में हुई एक हाई लेवल की पार्टी को लेकर है। राज का काज करने वाले कुछ साहब लोग भी पार्टी में मौजूद थे, जो माजरा देखकर सब कुछ भांपने में माहिर है। पार्टी में दोनों तरफ के नेताओं ने पकवानों का स्वाद लिया, मगर एक खेमे में कॉंफिडेंस कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा था, जिसके छुटभैये नेताओं के भी जमीन पर पैर नहीं टिक रहे थे। दूसरे खेमे के बड़े नेता एक कौने में चुपचाप बैठे थे। बात होटल से निकल कर जेएलएन मार्ग होते हुए सचिवालय तक पहुंची तो, साहब लोगों ने अपने हिसाब से मायने निकाल लिए।

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          एल. एल. शर्मा

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(यह लेखक के अपने विचार हैं) 

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