चित्तौड़गढ़ के बस्सी में किले की तलहटी में मिले पाषाणकालीन औजार
विशेषज्ञों का दावा: 15 लाख साल पुराने हैं औजार
करीब पांच किलोमीटर के दायरे में और औजारों की तलाश हुई तेज
उदयपुर। चित्तौड़गढ़ के बस्सी में हाल ही एक सर्वेक्षण में पाषाणकालीन औजारों की खोज हुई है। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि ये करीब 15 लाख साल पुराने पाषाणकालीन औजार है। ये औजार राजस्थान में मानव जीवन की उत्पत्ति को सिद्ध करने में सहायक हो सकते हैं। राजस्थान विद्यापीठ के संघटक साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. जीवनसिंह खरकवाल, चिंतन ठाकर, स्वाति वर्मा ने इस स्थल का सर्वेक्षण कर तथ्य स्पष्ट किए हैं। प्रो. खरकवाल ने बताया कि इससे पूर्व निम्बाहेड़ा में वर्ष 1960 से 1965 में हुए सर्वेक्षण में इस तरह के औजार प्राप्त हुए थे, लेकिन बस्सी के किले की तलहटी में पहाड़ी का ढलान जहां समाप्त होता है, वहीं पर ये औजार मिले हैं। इन औजारों के क्रमबद्ध तरीके से आसपास ही प्राप्त होने से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह वही स्थान है जहां इन औजारों को बनाया जाता था। खरकवाल ने बताया कि आदिकाल से जब मानव की उत्पत्ति मानी जाती है, उस समय की तिथियों आदि में काफी बदलाव आए हैं। इनको देखने से स्पष्ट होता है कि ये आदिकालीन पाषाण औजारों के नमूने हैं। इसमें कतई संदेह भी नहीं है कि ये औजार 15 लाख साल पुराने होंगे। करीब पांच किलोमीटर के दायरे में और औजारों की तलाश की जा रही है।
आशुलियिन परंपरा के हैं औजार
प्रो. खरकवाल ने बताया कि बस्सी गढ़ के निकट विंध्य की पहाड़ी की ढलान पर पाषाण काल की हाथ की कुलहड़िया, क्लीवर, स्क्रैपर आदि बडी संख्या मे पाए गए। ये औजार सेल चट्टान के ऊपर कोलूवियल जमाव में पाए गए हैं, जहां पर दो संस्कृति निम्न पुरा पाषाण काल तथा मध्य पाषाण काल के औजार खोजे गए हैं। यह औजार अशुलियिन परम्परा के है जिनकी तिथि भारत में 15 लाख से वर्ष पूर्व में है। इस तरह के औजार बस्सी के अतिरिक्त बूंदी में भी खोजे गए हैं। बनास औरे बेडच की घाटियों में इस तरह के औजार पिछली शताब्दी में 60 के दशक के प्रख्यात पुरातत्वविद वीएन मिश्र ने खोजे थे, उनके द्वारा खोजे गए औजार मुख्यत: नदियों की घाटियों में थे परन्तु पहली बार बस्सी में ये औजार पहाड़ी के ढलान पर मूल जगह पर खोजे गए हैं।
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