प्रेम के रंग में रंगी हाथियों वाली होली
कभी राजाओं के शौक पूरा करने हेतु हाथियों की लड़ाई कराई जाती थी,उसी चौगान स्टेडियम पर भी कई बार हाथी होली खेली गई थी।
रंगों के त्यौहार के दिन शाम के समय हाथियों पर बैठकर होली खेली जाती थी।
रंगीले त्यौहार होली पर हर साल जयपुर में हाथी होली के नजारे को देखने के लिये समूचा शहर टूट कर जुटता था और देखते ही देखते वहां हर्षोल्लास का वातावरण बन जाता था। जहां कभी राजाओं के शौक पूरा करने हेतु हाथियों की लड़ाई कराई जाती थी,उसी चौगान स्टेडियम पर भी कई बार हाथी होली खेली गई थी।
रंगों के त्यौहार के दिन शाम के समय हाथियों पर बैठकर होली खेली जाती थी। इस अनूठी गज होली को देखने के लिए भारतीय और विदेशी पर्यटकों के अलग-अलग दल बनाए जाते थे तथा होली में चार चांद लगाने के लिये हाथियों के सवारो के सिर पर रंग-बिरंगी पगड़ियां बांधी जाती थीं। हाथियों को राजसी पोशाकों से सजाया जाता था। महावतों का निर्देश पा हाथी झूमने लगते थे और हंसते-हंसाते हाथी होली आई,के स्वर के साथ हाथियों पर बैठे भारतीय दल के सदस्य अपने हाथों में छुपी थैलियों में से हरा,नीला,पीला,लाल आदि रंग निकाल कर विदेशी लोगों पर उछालते थे। बैंडबाजे बज उठते थे और क्षणभर में आसमान का नजारा रंगीन हो जाता था।
संगीत के मधुर स्वरों एवं उड़ते विभिन्न रंगों का नजारा देख हाथियों पर आराम से बैठे विदेशी दल के लोग अचंभित हो उठते। दर्शकों में विशेषकर बच्चों को यह इतना आकर्षित करती थी कि वे भी इस मस्ती में डूब जाने को बेताब हो उठते थे। इस विचित्र होली को देखकर,हाथी भी मस्त हो जाते और वे गुलाल उछालने वालों की ओर बढ़-बढ़ कर उन्हें भी इस मनोरंजक खेल में सम्मिलित करने के लिए संकेत देते। क्षणभर में वे हाथियों को लाल, पीले,नीले रंगों से रंग देते और हाथी भी झूम-झूम कर नाचने लगते। जब पहली बार हाथी होली खेली गई तब इस अनूठी होली को विश्वभर में सराहा गया। बीबीसी लंदन ने इस होली पर एक फिल्म बना कर दुनिया के लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था। उसके बाद से यहां पर हर वर्ष हाथी होली,खेली जाती।
हाथी होली का शुभारंभ चमकीली रंग-बिरंगी पोशाकें पहने हाथियों के राजसी जुलूस के साथ जिनके मस्तक कलात्मक ढंग से सिंदूर से सजे होते उनके ऊपर बैठे होते थे पगड़ी पहने महावत और वे मैदान के चक्कर लगाते हुए हर आगन्तुक का स्वागत करते। इस जुलूस में पालकी में दुल्हन के साक्षात दर्शन होते थे। दूसरी ओर मजदूरी के दृश्य में अनाप-शनाप सामान लादे हाथी अपना अलग ही परिचय देते हुये आगे बढ़ते जाते। जब सैकड़ों पर्यटकों एवं दर्शकों की भीड़ इकट्ठे हो जाती थी तो तालियों की गड़गड़ाहट व हंसी की आवाज से समूचा मैदान गुंजायमान हो जाता था। हाथियों की दौड़ में जब भारी भरकम हाथियों को दौड़ते देख उपस्थित जन समूह हंसते हंसते लोटपोट हो जाते थे। प्रेम व सद्भाव के प्रतीक गुलाल का भरपूर प्रयोग कर विदेशी एवं भारतीय एक-दूसरे से गले मिल कर दुनिया को प्रेम का संदेश देते थे।
Comment List