गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल कितना हानिकारक -एक्सपर्ट्स
कंप्यूटर स्क्रीन के सामने काम करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक लोग डिजिटल आई स्ट्रेन नामक स्थिति का अनुभव करते हैं।
अगर आप महिला हैं और आपको भी स्क्रीन देखने की लत हो चुकी है तो आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि इसका खामियाजा आपके साथ आपके बच्चों को भी उठाना पड़ सकता है,क्योंकि गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल आप को देखकर बच्चे जरूर सीखेंगे।
अगर आप महिला हैं और आपको भी स्क्रीन देखने की लत हो चुकी है तो आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि इसका खामियाजा आपके साथ आपके बच्चों को भी उठाना पड़ सकता है,क्योंकि गैजेट्स का अधिक इस्तेमाल आप को देखकर बच्चे जरूर सीखेंगे।
आज के डिजिटल दौर में शायद ही कोई हो जो इन गैजेट्स का इस्तेमाल न कर रहा हो। चाहे घंटों नेटफ्लिक्स देखना हो, कंप्यूटर या लैपटॉप पर सारा दिन काम करना हो, वीडियो गेम्ज या फिर मोबाइल पर गेम या सोशल मीडिया देखना ही क्यों न हो। हम सभी अपने दिन का अच्छा ख़ासा वक्त स्क्रीन को देखते हुए गुजारते हैं।
हाल ही में हुई रिसर्च
70 प्रतिशत टीनएजर्स महसूस करते हैं कि उन्हें मोबाइल की लत लग चुकी है, और 40 प्रतिशत पैरेंट्स ये मानते हैं कि वे भी अपने स्मार्टफोन्स से दूर नहीं रह पाते। हम में से ज्यादातर लोग सोने से ज्यादा वक्त स्क्रीन्स को देखने में लगाते हैं। यह समस्या किसी एक देश की नहीं है, यह देखना आसान है कि डिजिटल उपकरणों पर निर्भरता एक विश्वव्यापी समस्या है।
डिजिटल आई स्ट्रेन
कंप्यूटर स्क्रीन के सामने काम करने वाले 50 प्रतिशत से अधिक लोग डिजिटल आई स्ट्रेन नामक स्थिति का अनुभव करते हैं। डिजिटल आई स्ट्रेन के सामान्य लक्षणों में आंखों की थकान, आंखों में ड्राईनेस, आंखों में जलन या खुजली, आंखों का लाल होना और सिरदर्द होना शामिल हैं। इन लक्षणों को उच्च-ऊर्जा दृश्य प्रकाश या डिजिटल उपकरणों द्वारा उत्सर्जित नीली रोशनी के अत्यधिक संपर्क के कारण माना जाता है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
आंखों पर जोर पड़ना एक सामान्य स्थिति है, जो विशेष रूप से लंबे समय तक कंप्यूटर, फोन और टैबलेट सहित डिजिटल उपयोग की वजह से होती है। आंखों पर जोर कम पड़े इसके लिए आप हर 20 मिनट बाद 20 सेकेंड का ब्रेक लें और डिजिटल स्क्रीन को 20 फीट दूर रखें। साथ ही आईड्रॉप्स का उपयोग भी कर सकते हैं। लाइटिंग का ध्यान भी रखें ताकि आंखों पर स्ट्रेन कम पड़े। इसके अलावा हर आधे घंटे पर 5 मिनट का ब्रेक लेने से थकावट और स्ट्रेन दोनों से बचा जा सकता है।
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