कैनबरा से भारत वापस लाए गए 29 पुरावशेष: प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलिया द्वारा लौटाए गए पुरावशेषों का किया निरीक्षण

व्यापार, रक्षा, निवेश और नवाचार में भारत-आस्ट्रेलिया सहयोग घनिष्ठ हुआ: मोदी

कैनबरा से भारत वापस लाए गए 29 पुरावशेष: प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलिया द्वारा लौटाए गए पुरावशेषों का किया निरीक्षण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन एक आभासी शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले हैं।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत ऑस्ट्रेलिया शिखर सम्मेलन से पहले कैनबरा से भारत वापस लाए गए 29 पुरावशेषों का निरीक्षण किया। सूत्रों ने कहा कि प्राचीन वस्तुओं को विषयों के आधार पर छह व्यापक श्रेणियों में बांटा गया है। इन वस्तुओं में भगवान शिव और उनके शिष्य, शक्ति की पूजा, भगवान विष्णु और उनके रूप, जैन परंपरा, चित्र और सजावटी वस्तुएं शामिल हैं।ये पुरावशेष अलग-अलग समयावधियों के हैं। बताया जा रहा है कि यह पुरावशेष 9वीं से 10वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व के हैं।
ये मुख्य रूप से मूर्तियां और पेंटिंग हैं जिन्हें विभिन्न प्रकार की सामग्रियों, बालू, पत्थर, संगमरमर, कांस्य, पीतल, कागज पर बनाया किया जाता है ।

यह भारत के एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन प्राचीन वस्तुओं को राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल से छीन लिया गया था। गौरतलब है कि केंद्र पिछले कुछ समय से चोरी हुए भारतीय पुरावशेषों को वापस भारत ला रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन एक आभासी शिखर सम्मेलन में शामिल होने वाले हैं, जहां वे व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत विभिन्न पहलों पर प्रगति की समीक्षा करेंगे।यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब रूस और यूक्रेन में युद्ध चल रहा है और भारत ने क्वाड के अन्य सदस्यों के विपरीत एक मध्यस्थता का रुख अपनाया है, जिसमें भारत और आस्ट्रेलिया के अलावा जापान और अमेरिका भी शामिल हैं। जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा शनिवार को भारत में थे और मोदी से मिले थे।

व्यापार, रक्षा, निवेश और नवाचार में भारत-आस्ट्रेलिया सहयोग घनिष्ठ हुआ: मोदी
 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और आस्ट्रेलिया के संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और व्यापार, निवेश, रक्षा , सुरक्षा , शिक्षा , नवाचार , विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारा सहयोग घनिष्ठ हुआ है।री मोदी ने सोमवार को दूसरे भारत-आस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन में अपनी आरंभिक टिप्पणी में कहा , '' पिछले कुछ वर्षों में हमारे संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। व्यापार, निवेश, रक्षा , सुरक्षा , शिक्षा , नवाचार , विज्ञान और प्रौद्योगिकी इन सभी क्षेत्रों में हमारा बहुत करीबी सहयोग है। कई अन्य क्षेत्र जैसे महत्वपूर्ण खनीज, जल प्रबंधन, अक्षय ऊर्जा और कोविड 19 अनुसंधान में भी हमारा सहयोग बढा है।''

उन्होंने कहा, ''  बेंगलुरु में उभरती प्रौद्योगिकी के लिए उत्कृष्टता केन्द्र  की स्थापना की घोषणा का मैं ह्रदय से बहुत बहुत स्वागत करता हूँ। साइबर और महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकी में हमारे बीच बेहतर सहयोग अनिवार्य है। हम जैसे समान मूल्यों वाले देशों की यह जिम्मेदारी है, कि इन उभरती टेक्नोलॉजीज में उचित वैश्विक मापदंड अपनाये जाएँ।''

 उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता 'सीका' पर भी बहुत कम समय में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और  पूरा विश्वास है कि बाकी बचे मुद्दों पर भी शीघ्र सहमती बन जायेगी। 'सीका' का शीघ्र समाधान आर्थिक संबंधों, आर्थिक मजबूती और आर्थिक सुरक्षा के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होगा।

 मोदी ने कहा, '' क्वाड में भी हमारे बीच अच्छा सहयोग चल रहा है। हमारा यह सहयोग मुक्त, खुले और समावेशी हिन्द प्रशांत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए क्वाड की सफलता बहुत महत्त्वपूर्ण है।''

प्रधानमंत्री ने प्राचीन भारतीय कलाकृतियों को लौटाने की पहल के लिए आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा , '' आपने जो कलाकृतियाँ भेजी हैं, इनमें राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हिमाचल प्रदेश इसके साथ कई अन्य भारतीय राज्यों में से अवैध तरीकों से निकाली गयी सैकड़ों वर्ष पुरानी मूर्तियाँ और चित्र हैं। और इसके लिए मैं सभी भारतवासियों की तरफ से आपका विशेष आभार व्यक्त करता हूँ।अब इनको जो आपने हमें मूर्तियां लौटाई हैं, सारी ची•ों लौटाई हैं, उसको सही स्थान पर लौटाया जा सकेगा। मैं सभी भारतीय नागरिकों की तरफ से इस पहल के लिए आपका फिर से एक बार हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ।''

  प्रधानमंत्री ने कहा, ''  हमारे पिछले वर्चुअल सम्मेलन के दौरान हमने अपने संबंधों को व्यापक सामरिक साझेदारी का रूप दिया था। और मुझे प्रसन्नता है कि आज हम दोनों देशों के बीच वार्षिक सम्मेलन का तंत्र स्थापित कर रहे हैं। इससे हमारे संबंधों की नियमित समीक्षा की एक व्यवस्था तैयार होगी।''

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