महंगाई की मार

महंगाई से कोई राहत मिलने वाली नहीं है

महंगाई की मार

हाल ही में आए महंगाई के सरकारी आंकड़े लोगों की चिंता बढ़ाने वाले हैं। थोक और खुदरा महंगाई अभी जिस उच्चत्तम स्तर पर है। भविष्य में महंगाई से कोई राहत मिलने वाली नहीं है।

हाल ही में आए महंगाई के सरकारी आंकड़े लोगों की चिंता बढ़ाने वाले हैं। थोक और खुदरा महंगाई अभी जिस उच्चत्तम स्तर पर है। भविष्य में महंगाई से कोई राहत मिलने वाली नहीं है। महंगाई तो आगे और रफ्तार पकड़ने वाली है। ऐसा लगा रहा है कि आने वाले दिनों में महंगाई अपने पिछले सारे रिकार्ड न दोड़ डाले। फरवरी में खुदरा महंगाई पिछले 8 महीने में सबसे ज्यादा 6.07 फीसदी रही। इसी तरह थोक महंगाई दर भी 13.11 फीसद रिकार्ड की गई है। पिछले लंबे समय से थोक की कीमतें दो अंकों में चली आ रही है, जो हालात की गंभीरता को समझने के लिए काफी है। महंगाई के सरकारी आंकड़े एक तय सरकारी फार्मूले के हिसाब से तैयार किए जाते हैं। जिससे महंगाई की हकीकत का पूरा पता नहीं चल सकता। हकीकत तो तब सामने आती है जब कोई बाजार से सामान खरीद करने जाता है। बाजार में शायद कोई ऐसी वस्तु बची हो, जिसके दाम न बढ़े हों। चाहे अन्य रोजमर्रा के काम आने वाली सामान्य चीजें। कुछ दिनों पहले दूध के दाम दो रुपए प्रति लीटर बढ़ाने के साथ ही घी और दूग्ध निर्मित हर वस्तु के दाम स्वत: ही बढ़ गए। दूध आदि वस्तुओं के अलावा आटा, गेहूं, दाल, चावल, चाय, काफी, पेय पदार्थ व कई डिब्बा बंद चीजें महंगी हो चली हैं।

खाद्य तेलों के दाम तो लंबे समय से लगातार तेज ही चल रहे हैं तो अब तेल उत्पादक कंपनियों ने यूक्रेन युद्ध का हवाला देकर खाद्य तेलों के दाम और बढ़ा दिए हैं। महंगाई बढ़ने का एक बड़ा कारण उत्पादन लागत का लगातार बढ़ना भी रहा। थोक महंगाई दो अंकों में बने रहने का यही अर्थ है कि फैक्ट्रियों, कारखानों से सामान महंगा होकर ही बाजार में आ रहा है। इसका मूल कारण कच्चे माल का महंगा होना है। इसके अलावा बिजली महंगी होने से भी लागत बढ़ रही है। फिर माल ढुलाई का खर्चा भी इसी लागत में जुड़ जाता है। महंगाई थोक की हो या फिर खुदरा बाजार की इसका सारा असर आम आदमी को ही झेलना पड़ता है। आज आम आदमी से लेकर मध्यम वर्ग के परिवार बढ़ते घरेलू बजट से चिंतित हो चले हैं। अब तक कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था गड़बड़ाई और लोगों के रोजगार छिन जाने को महंगाई का कारण माना जा रहा था तो अब यूक्रेन-रूस युद्ध के नाम पर महंगाई बढ़ रही है। कच्चा तेल महंगा होने व कच्चा माल की आपूर्ति का प्रभाव भी देखा जा रहा है। तेल कंपनियां डीजल- पेट्रोल के दाम बढ़ाने की तैयारी कर रही है। महंगाई एक बड़े संकट का रूप धारण कर रही है, तो महंगाई की मार झेलना मुश्किल बन रहा है।


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