दिव्यांग को कुचल-कुचलकर मारा

मनरेगा में घोटाला पकड़ में आने के बाद रूपनगढ़ में हत्याकांड

दिव्यांग को कुचल-कुचलकर मारा

बाजार बंद हुए, पुलिस अधिकारियों ने समझाइश से संभाली स्थिति

 रूपनगढ़। ग्राम पनेर में मनरेगा कार्यस्थल के निरीक्षण के दौरान सामने आई घपलेबाजी का मामला हत्या तक पहुंच गया। एक दिव्यांग युवक के साथ बुरी तरह मारपीट करते हुए उसे बोलेरो कैम्पर से दो बार कुचल दिया। गंभीर रूप से घायल युवक की अजमेर उपचार के दौरान मौत हो गई वहीं दो अन्य जने घायल हो गए।


रूपनगढ़ थाने में मनरेगा जेटीए पर्वत सिंह ने रिपोर्ट देते हुए बताया कि बुधवार को मनरेगा कार्य का निरीक्षण करने वे जब पनेर गए तो मस्टररोल में इन्द्राज पूरे श्रमिक ही गायब मिले। जवाब मांगने पर सरपंच संजु देवी, सरपंच पति धर्मीचन्द बांगड़ा व सरपंच के ससुर मांगीलाल जाट ने उनके साथ गाली-गलौच व मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी। जैसे-तैसे वह वहां से रूपनगढ़ आ गए। बुधवार रात्रि 8 बजे पर्वतसिंह अपने साथियों कुलदीप सिंह राठौड़, प्रताप भींचर, भानुप्रतापसिंह व धर्मेन्द्र सिंह देवनारायण होटल से संजुनगर रूपनगढ़ में घर जा रहे थे। तब सलेमाबाद रोड पर सीएम कॉलोनी के पास उनकी गाड़ी के आगे उक्त आरोपियों ने अन्य गाड़ी लगाकर उन्हें रुकवा लिया और उनकी गाड़ी पर डंडे व सरियों से पीटना शुरू कर दिया। आरोपियों ने पर्वतसिंह व उनके साथी कुलदीप सिंह, प्रताप भींचर आदि को गाड़ी से बाहर निकालकर लाठियों व सरियों से धुनाई शुरू कर दी। दबंगई के बीच बेखौफ हुए आरोपियों ने कुलदीप सिंह को इतना पीटा गया कि वह मौके पर ही बेहोश हो गया। गाड़ी को क्षतिग्रस्त कर दिया। जैसे-तैसे जान बचाने के लिए भागे पर्वत सिंह पर धर्मीचन्द ने दो फायर भी किए। उनके साथ अन्य साथी भी वहां से भाग छूटे लेकिन कुलदीप सिंह दिव्यांग होने के चलते भाग नहीं सके और आरोपियों ने उन पर गाड़ी चढ़ा दी।

मृतक के शरीर पर मिले 22 फ्रेक्चर
पनेर में मनरेगा कार्यस्थल पर जारी फर्जीवाड़े का खुलासा होने की खुन्नस पाले आरोपियों ने उक्त जानलेवा हमला किया। परिजन ने बताया कि कुलदीप पर आरोपियों ने अंधाधुंध वार करते हुए गंभीर घाव कर दिए। उनके शरीर पर कुल 22 फ्रेक्चर पाए गए।


इधर, बाजार बन्द
कुलदीपसिंह राठौड़ का पूरे मनरेगा प्रकरण से कोई लेना देना नहीं था और वे गढ़ का दरवाजा क्षेत्र में रेड़ीमेड़ वस्त्रों का व्यवसाय चलाते हैं। पनेर में हुए घटनाक्रम के चलते वे केवल साथी पर्वतसिंह को सुरक्षित होटल से घर तक छोड़ने के मकसद से वहां पहुंचे थे लेकिन वे काल का शिकार बन गए। गुरुवार सायं कुलदीपसिंह की मौत की खबर आते ही नगर के बाजार बन्द हो गए।

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