कंधे से कंधा मिलाकर चलना, एकतरफा संभव नहीं: धनखड़ / विधायकों पर विधि निर्माण की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी: गहलोत
केन्द्र से इतर सरकारों में राज्यपाल होता है सबसे सॉफ्ट टारगेट
कहीं नहीं लिखा-मुख्यमंत्री होता है कैबिनेट का फेस:धनखड़
जयपुर। पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है। राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को सेमिनार में धनखड़ ने कहा कि कंधे से कंधा मिलाकर चलना, एक तरफ से ही संभव नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से कैसे लड़ सकते हैं। मैंने हमेशा प्रयास किया और आगे भी करूंगा कि कंधे से कंधा लगाकर सरकार का सहयोग करूं, लेकिन एक हाथ से यह सहयोग कतई संभव नहीं है। यह हालत मैं देख रहा हूं, जो चिंता का विषय है। यदि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच संवाद नहीं रहेगा तो हम डेमोक्रेसी से भटक जाएंगे। राज्यपाल को पिछले ढाई साल में बार-बार मांगने के बावजूद कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई। मेरे खिलाफ एक नरेटिव बनाया जाता है कि मैं टकराव पैदा कर रहा हूं। विधानसभा का सत्र नहीं बुलाना चाहता, इससे राज्य में संवैधानिक संकट खड़ा हो जाएगा।
कहीं नहीं लिखा-मुख्यमंत्री होता है कैबिनेट का फेस
उन्होंने कहा बंगाल में विधानसभा सत्र बुलाने के लिए मुझे वहां के गृह सचिव और मुख्य सचिव पत्र लिखकर कह रहे हैं। मैंने जब उनसे पूछा कि इसका संवैधानिक आधार क्या है तो वे चुप हो गए। बाद में मुख्यमंत्री ने अनुरोध भेजा तो मैंने समझाया कि कैबिनेट से प्रस्ताव आना चाहिए तो वह बोली मैं कैबिनेट का फेस हूं। मैंने कहा कि संविधान में कहीं भी ये नहीं लिखा कि मुख्यमंत्री कैबिनेट का फेस है। आखिर में उन्होंने कैबिनेट से प्रस्ताव बनाकर भेज तो दिया, लेकिन उसमें विधानसभा सत्र रात दो बजे बुलाने का जिक्र किया। जब मैंने कैबिनेट से प्रस्ताव पास कर दिया तो उसमें रात दो बजे सदन बुलाने का प्रस्ताव था, जिसे मैंने स्वीकार भी कर लिया। अब रात में सदन बुलाने का मामला पूरे दिन ट्विटर पर चलता रहा। धनखड़ ने कहा कि जिन राज्य सरकारों की पार्टी की सरकार केन्द्र में नहीं होती, उनके लिए राज्यपाल सबसे सॉफ्ट टारगेट होता है।
जनप्रतिनिधि के रूप में अपने दायित्वों के निर्वहन के साथ ही विधि निर्माण की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में सांसद और विधायकों पर एक जनप्रतिनिधि के रूप में अपने दायित्वों के निर्वहन के साथ ही विधि निर्माण की भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। गहलोत विधान सभा में शुक्रवार को राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में आयोजित सेमिनार संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल एवं विधायकों की भूमिकाा् को संबोधित कर रहे थे। गहलोत ने कहा कि राजस्थान में पक्ष एवं प्रतिपक्ष के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंध रहे हैं। इससे विधानसभा में विधायी कार्यों के संपादन एवं जनहित से जुड़े विषयों पर निर्णय लेने में आसानी होती है। मुख्यमंत्री ने संसदीय लोकतंत्र के प्रति जागरूकता बढ़ाने में राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब से डॉ. सीपी जोशी विधानसभा अध्यक्ष बने हैं तब से उन्होंने नए आयाम दिए हैं। इस अवसर पर डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ ने संसदीय परंपराओं को समझाने की एक श्रृंखला बनाई है। इस क्रम में संघ ने गणमान्यजन को आंमत्रित कर कई सेमिनारों का आयोजन किया है।
राज्यपाल की होती है दो तरह की भूमिका
उन्होंने कहा कि डॉ. बी. आर अंबेडकर ने कहा था कि कानून कुछ भी बना लो, व्यक्ति जो उस जगह पर बैठा, उसकी भूमिका भी होती है। राज्यपाल की दो तरह की भूमिका होती है एक्टिव और पेसिव। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक्टिव भूमिका को इस संसदीय लोकतंत्र के सामने रख रहे हैं। संविधान में राज्यपाल की भूमिका को लोकतंत्र के समक्ष समझाना है कि राज्यपाल लोकतंत्र को किस प्रकार मजबूत कर सकता है। प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ विधायकों का चयन उनकी योग्यता को देखते हुए किया गया है। उन्होंने कहा कि जनता के निर्णय के आधार पर इस देश के लोकतंत्र को मजबूत करना सदन के सभी सदस्यों का कर्तव्य है।
Comment List