पुलिस को मिलेगा विशेष अधिकार, गिरफ्तार शख्स की बना सकेगी ‘बायो कुंडली’

लोकसभा में दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक पेश

  पुलिस को मिलेगा विशेष अधिकार, गिरफ्तार शख्स की बना सकेगी ‘बायो कुंडली’

विपक्ष ने किया विधेयक का विरोध

नई दिल्ली। मोदी सरकार ने लोकसभा में दंड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पेश किया जिसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकॉर्ड रखने के लिये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है। विरोधी दलों के हंगामे के बीच लोकसभा में 58 के मुकाबले 120 मतों से विधेयक को पेश करने की मंजूरी दी गई। विधेयक पर संसद की मुहर लगने के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली से जुड़ा आइडेंटिफिकेशन ऑफ प्रिजनर्स एक्ट 1920 खत्म हो जाएगा।


लोकसभा में  विधेयक पेश करते हुए गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि मौजूदा अधिनियम को बने 102 साल हो गए हैं, उसमें सिर्फ  फिंगर प्रिंट और फुटप्रिंट लेने की अनुमति दी गई, जबकि अब नई प्रौद्योगिकी आई है और इस संशोधन की जरूरत पड़ी है।  दुनिया में बहुत से चीजें बदली हैं, अपराध करने का ट्रेंड भी  बढ़ा है इसलिए हम दण्ड प्रक्रिया शिनाख्त अधिनियम लेकर आए हैं। विधेयक में अपराधियों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या प्रिंट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना, लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं। सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी। इस तरह की जांच-पड़ताल से जो भी जानकारी इकट्ठा की जाएगी उसे डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में कलेक्शन डेट से 75 साल तक सुरक्षित रखा जाएगा। हालांकि ऐसे लोग जो पहले दोषी नहीं ठहराए गए लेकिन बिना ट्रायल के छूट गए या कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया, उनके माप या फोटोग्राफ की जानकारी को सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद नष्ट कर दिया जाएगा। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को राज्य सरकारों या केंद्रशासित प्रशासन से या किसी अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस जानकारी का रिकॉर्ड रखने के लिए अधिकृत किया गया है।

विपक्ष ने किया विधेयक का विरोध
विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह अनुच्छेद 20 और 21 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस सदन को यह चर्चा करनी चाहिए कि क्या सत्तापक्ष को यह अधिकार है कि वह ऐसा विधेयक लाए जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर कुठाराघात करता हो।

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