G-7 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उठाया कोरोना वैक्सीन का मुद्दा, कहा- पेटेंट फ्री होने चाहिए टीके
भारत ने कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक आपदाओं से दुनिया को बचाने के लिए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र के आधार पर एकजुट एवं सामूहिक रूप से कदम उठाने तथा अधिनायकवाद, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, दुष्प्रचार एवं मिथ्या सूचनाओं तथा आर्थिक दमन के खतरों से मानवीय मूल्यों की रक्षा का रविवार को आह्वान किया।
नई दिल्ली। भारत ने कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक आपदाओं से दुनिया को बचाने के लिए ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मंत्र के आधार पर एकजुट एवं सामूहिक रूप से कदम उठाने तथा अधिनायकवाद, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, दुष्प्रचार एवं मिथ्या सूचनाओं तथा आर्थिक दमन के खतरों से मानवीय मूल्यों की रक्षा का रविवार को आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्रिटेन के कॉर्नवैल में आयोजित दो दिवसीय 47वें जी-7 शिखर सम्मेलन में वीडिया लिंक के माध्यम से भाग लिया। हाइब्रिड मॉड में आयोजित इस सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने की। शनिवार को ‘वन अर्थ-वन हेल्थ’ का मंत्र देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को भी लगातार दूसरे दिन समिट को वर्चुअल संबोधित किया।
सम्मेलन में दूसरे दिन रविवार को खुले समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्था शीर्षक वाले सत्र में प्रधानमंत्री मोदी प्रमुख वक्ता थे। प्रधानमंत्री के विचारों की अन्य नेताओं ने भूरि भूरि प्रशंसा की। विदेश मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी पी हरीश ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जी-7 देशों के नेताओं से कोरोना वैक्सीन को पेटेंट फ्री करने की वकालत की साथ ही सभी देशों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए सहयोग मांगा। इसके साथ ही उन्होंने यात्रा छूट के समर्थन का आग्रह किया। ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका ने इसका समर्थन किया।
जलवायु परिवर्तन पर भारत की उपलब्धियों पर चर्चा
जलवायु परिवर्तन पर आयोजित सत्र में मोदी ने सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करते हुए कहा कि इस चुनौती से अलग अलग प्रयासों से नहीं निपटा जा सकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर भारत की उपलब्धियों की चर्चा की और कहा कि जी-20 देशों में भारत एकमात्र देश है जो तापमान में दो डिग्री की कमी लाने संबंधी पेरिस सम्मेलन के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने जी-7 देशों के जलवायु कार्रवाई के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों एवं नेट जीरो लक्ष्यों की घोषणा की सराहना की और कहा कि इस कार्रवाई में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, वित्तपोषण एवं साझीदारी तथा जलवायु न्याय एवं जीवनशैली में बदलाव आदि सभी आयामों को जोड़ना होगा ताकि विकासशील देशों को प्रगति का मौका मिले। उन्होंने जी-7 को जलवायु वित्तपोषण के लिए सौ अरब डॉलर प्रतिवर्ष देने के पुराने वादे को पूरा करने को भी कहा। मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ तथा आपदा प्रतिरोधक अवसंरचना गठबंधन जैसे वैश्विक पहलों में भारत के नेतृत्व को भी रेखांकित किया।
इन्होंने लिया भाग
सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों, जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरिल रामाफोसा और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन शामिल हुए। जॉनसन ने टेलीफोन करके मोदी से ब्रिटेन आने एवं सम्मेलन में भाग लेने की आग्रह किया था लेकिन प्रधानमंत्री ने देश में कोविड-19 महामारी की गंभीर स्थिति को देखते हुए व्यक्तिगत रूप से आने में असमर्थता व्यक्त की थी।
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