LJP में दो फाड़: चाचा पशुपति पारस समेत 5 सांसदों ने की बगावत, अकेले रह गए चिराग पासवान

LJP में दो फाड़: चाचा पशुपति पारस समेत 5 सांसदों ने की बगावत, अकेले रह गए चिराग पासवान

दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी दो-फाड़ हो गई है। रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने 5 सांसदों को साथ लेकर अब पार्टी पर अपना अधिकार जता दिया है। पशुपति कुमार पारस के साथ मिलकर सांसद चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया है। साथ ही पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है।

पटना। दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी दो-फाड़ हो गई है। रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने 5 सांसदों को साथ लेकर अब पार्टी पर अपना अधिकार जता दिया है। पशुपति कुमार पारस के साथ मिलकर सांसद चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया है। साथ ही पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का जिम्मा भी सौंपा गया है। वहीं चिराग पासवान अब अलग-थलग हो गए हैं। एलजेपी में टूट की बड़ी वजह चिराग से उनके अपनों की नाराजगी रही। चिराग पासवान सोमवार को चाचा पशुपति पारस को मनाने के लिए उनके घर पहुंचे। इस दौरान वह अपने चाचा के घर के बाहर 25 मिनट तक कार में बैठे रहे और बार-बार कार का हॉर्न बजाते रहे, ताकि घर का दरवाजा खुले। करीब 25 मिनट बाद उनके चाचा के घर का दरवाजा खुला।

लोजपा में टूट के बाद सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पशुपति कुमार पारस ने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि उसके अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में 6 में से 5 सांसदों ने बड़ा फैसला लिया है। पारस ने कहा कि रविवार को देर शाम लोजपा के 6 में से 5 सांसदों की बैठक हुई, जिसमें उन्हें सर्वसम्मति से संसदीय दल का नेता चुना गया। इसके बाद सभी सांसद रात 8:30 बजे लोकसभा अध्यक्ष से मिले और उन्हें पत्र सौंपकर नए नेता चुने जाने के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने पार्टी तोड़ी नहीं बल्कि बचाई है। यह पार्टी के अस्तित्व को बचाने के लिए मजबूरी में लिया गया फैसला है।

लोजपा नेता ने कहा कि हम तीनों (रामविलास पासवान, पशुपति कुमार पारस, रामचंद्र पासवान) भाइयों में बहुत प्रेम था, यह पूरी दुनिया जानती है। 28 नवंबर 2000 में लोजपा का गठन बड़े भाई रामविलास पासवान ने किया था, तब से पार्टी बहुत अच्छे ढंग से चल रही थी। कहीं किसी को कोई शिकवा शिकायत नहीं थी, लेकिन मेरा दुर्भाग्य था कि मेरे बड़े भाई और छोटे भाई दोनों हमको छोड़कर चले गए। मैं अकेला रह गया। बहुत अकेला महसूस कर रहा हूं। पारस ने कहा कि लोजपा की बागडोर जिनके हाथ में गई, उन्होंने पार्टी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता, सांसदों, और विधायकों की अनदेखी कर मनमाने ढंग से फैसला लिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के 99 प्रतिशत लोगों की इच्छा थी कि जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा बनी थी, उसी तरह वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी लोजपा राजग का हिस्सा बनकर चुनाव लड़े, लेकिन इसकी अनदेखी कर राजग से गठबंधन तोड़ दिया गया।

पशुपति कुमार पारस ने कहा कि इसके बाद दूसरे ढंग से ही चुनाव लड़ा गया। एक ही गठबंधन में शामिल दो दलों में से एक से दोस्ती और दूसरे से नफरत। इसके कारण बिहार में राजग तो कमजोर हुआ ही लोजपा भी बिल्कुल समाप्ति के कगार पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि पिछले 6 महीने से पार्टी के 6 में से 5 सांसदों की इच्छा थी, कि किसी तरह पार्टी के अस्तित्व को बचाया जाए। पारस ने कहा कि स्व. रामविलास पासवान की आत्मा की शांति और उनके विचारों को जिंदा रखने के लिए लोजपा के अस्तित्व को बचाना जरूरी था। वह जब तक जीवित हैं, तब तक पार्टी पर आंच नहीं आने देंगे। उन्होंने कहा कि देश के दलित, गरीब, मजदूर और अगड़ी जाति के भी जो गरीब सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक दृष्टिकोण से कमजोर हैं, स्व. रामविलास पासवान उनके उत्थान की बात करते थे। इसलिए उन्होंने दलित सेना और लोजपा का गठन किया था, लेकिन पार्टी में कुछ असामाजिक तत्व घुस आए और उन्होंने बिहार में गठबंधन तोड़ कर नुकसान पहुंचाया।

 

लोजपा नेता ने कहा कि दलित, शोषित और समाज में जितने भी गरीब लोग हैं, वह उनकी सेवा के लिए 24 घंटे तैयार हैं। उन्होंने कहा कि आज वह पूरे देश के वैसे सभी लोगों से माफी के साथ आग्रह करते हैं, वे फिर से लोजपा में वापस लौट आएं जो किसी कारणवश पार्टी को छोड़कर चले गए थे। पारस ने एक सवाल के जवाब में कहा कि लोजपा सांसद चिराग पासवान से उन्हें कोई शिकवा शिकायत नहीं है। वह परिवार के सदस्य और उनके भतीजे भी हैं। वह पार्टी में रहे और स्वर्गीय पासवान के सपने को साकार करने के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि चिराग पासवान जिस तरह से पार्टी को चला रहे थे, उससे सब नाराज थे। लोजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी राजग के साथ थी आगे भी रहेगी और गठबंधन धर्म का पूरी तरह पालन करेगी। उन्होंने कहा कि जहां तक बिहार का सवाल है वह नीतीश कुमार को अच्छा नेता और विकास पुरुष मानते हैं। पारस से जब यह पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी का जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में विलय होगा, तब उन्होंने कहा कि लोजपा का पूरे देश में संगठन है और बिहार में उसका बहुत मजबूत जनाधार है, इसलिए इसका कोई सवाल ही नहीं उठता है। 

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