राज्य के छह शहरों में सार्वजनिक उद्यानों की दुर्दशा को लेकर केन्द्र सरकार ने जताई चिन्ता
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की कमेटी के सर्वे में राजस्थान फिसड्डी साबित
गाइडलाइन के अनुसार क्या होना चाहिए
अजमेर। राज्य के छह प्रमुख शहरों में स्वायत्तशासी एवं नगरीय निकायों के सार्वजनिक उद्यानों की दुर्दशा को लेकर केन्द्र सरकार ने चिन्ता जताई है। उसका मानना है कि निकायों के स्तर पर उद्यान विकास के नाम पर हर साल लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद उनकी सार-संभाल के मापदण्डों को ताक पर रख दिया गया है। ऐसे में उनके विकास पर खर्च की जा रही राशि अपव्यय के सिवाय कुछ नहीं है। इन छह शहरों में संभागीय मुख्यालय जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, भरतपुर और उदयपुर शामिल हैं। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की एक कमेटी ने उत्तर भारत के सभी प्रदेशों के प्रमुख शहरों में विकसित उद्यानों का सर्वे कराया है, जिसमें राजस्थान अन्य राज्यों की तुलना में फिसड्डी साबित हुआ है। मंत्रालय की टीम ने इस बात पर हैरानी जताई है कि इन शहरों में सार्वजनिक उद्यानों का रखरखाव ठेके पर देने के साथ अंधाधुंध व्यवसायीकरण कर दिया गया है, जिससे उद्यान तो नाम मात्र के रह गए हैं। बल्कि व्यवसायिक गतिविधियांं अधिक संचालित की जा रही हैं।
दी दशा सुधारने की नसीहत: कमोबेश हर शहर में सार्वजनिक पार्क को रखरखाव के लिए जिस स्थानीय विकास समिति को दिया गया है, वह समिति उसका व्यवसायिक उपयोग कर रही है। ऐसे में अनेक उद्यान तो शादी समारोह स्थलों में तब्दील हो गए हैं, जो पर्यावरणीय सन्तुलन बनाए रखने की बाधा बन गए हैं। इसीलिए केन्द्र के पर्यावरण मंत्रालय के प्रमुख शासन सचिव ने केन्द्र की चिन्ता से अवगत कराते हुए राज्य के मुख्य सचिव को खत लिखकर उद्यानों की निगरानी के लिए कमेटी का गठन कर सार्वजनिक उद्यानों की दशा सुधारने की नसीहत दी है।
गाइडलाइन के अनुसार क्या होना चाहिए
भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार निकाय के उद्यान में चौकीदार के रहने के लिए एक कमरा व टॉयलेट के अलावा अन्य किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता है। उद्यान में केवल घास लगाने, क्यारी लगाने, पानी के फव्वारे लगाने, फुटपाथ बनाने व ट्यूबवैल खुदवाने जैसे कार्य ही कराए जा सकते हैं। इनमें फुटपाथ की चौड़ाई 5 फीट तक ही हो सकेगी, जबकि उद्यान के क्षेत्रफल के 20 प्रतिशत हिस्से में ही निर्माण किया जा सकेगा।
उद्यानों की वर्तमान स्थिति तलब की
सूत्रों के मुताबिक केन्द्र की चेतावनी के बाद स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक ने सभी निकायों तथा यूडीएच के उप शासन सचिव ने जयपुर, जोधपुर और अजमेर विकास प्राधिकरण सहित तमाम नगर विकास न्यास के प्रशासनिक मुखियाआें को खत लिखकर उद्यानों की स्थिति तलब की है। सरकार ने निकायों से जानकारी मांगी है कि उद्यानों में पक्के निर्माण की स्थिति क्या है। कितने उद्यान स्थानीय विकास समिति या वार्ड समितियों को गोद दिए गए हैं। उसका वे व्यवसायिक उपयोग तो नहीं कर रहे हैं, यदि कर रहे हैं तो निकाय स्तर पर उनके विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई? प्रसंगवश अजमेर में आजाद पार्क का तो स्वरूप ही बदल दिया है, जहां स्मार्ट सिटी के अनेक पक्के निर्माण कार्य चल रहे हैं। वहीं लवकुश उद्यान परिसर की भूमि पर फूड कोर्ट का निर्माण कर ठेके पर दिया गया है।
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