किसानों को मंडी में लहसुन बेचना नहीं आ रहा रास

बंपर उत्पादन के कारण नहीं मिल रहे भाव, लागत निकालना हुआ मुश्किल, एक सप्ताह बाद मंडी में 9 हजार बोरी की हुई आवक

किसानों को मंडी में लहसुन बेचना नहीं आ रहा रास

हाड़ौती संभाग में इस बार लहसुन की बंपर पैदावर हुई है। जिससे लहसुन के दामों में गिरावट आई है। हालांकि खुदरा में लहसुन 40 से 50 रुपए किलो ही बिक रहा लेकिन मंडी में नए लहसुन के दाम नहीं मिलने से किसान पिछले एक सप्ताह से भामाशाह मंडी में लहसुन लाना ही कम कर दिया है।

कोटा। हाड़ौती संभाग में इस बार लहसुन की बंपर पैदावर हुई है। जिससे लहसुन के दामों में गिरावट आई है। हालांकि खुदरा में लहसुन 40 से 50 रुपए किलो ही बिक रहा लेकिन मंडी में नए लहसुन के दाम नहीं मिलने से किसान पिछले एक सप्ताह से भामाशाह मंडी में लहसुन लाना ही कम कर दिया है। पिछले एक सप्ताह से मंडी में 4500 हजार बोरी लहसुन ही आ रहा था। बुधवार को त्यौहारी सीजन शुरू होने से 9 हजार बोरी की आवक हुई है। हालांकि भामाशाह मंडी  में अन्य जिंसों की बंपर आवक हो रही है। बुधवार को 1 लाख 10 हजार बोरी की आवक हुई। मौजूदा भाव इतने कम है कि किसान मंडी में नया लहसुन लाने से कतरा रहे है।

संभाग में एक लाख 15 हजार में हुई बुवाई
 हाड़ौती संभाग में रबी में लहसुन की बंपर बुवाई हुई थी। बुवाई के समय लहसून का भाव आसमान छू रहे थे जिसके चलते किसानों रबी में जमकर लहुसन की बुवाई की थी। संभाग में 1 लाख 15 हजार हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस बार इस बार कोटा संभाग में 7 लाख मीट्रिक  टन लहसुन के उत्पादन का अनुमान है। बंपर उत्पादन के चलते नए लहसुन के दाम गिर गए है। बुवाई के समय लहसुन 70 से लेकर 100 रुपए किलो तक बिका था। वहीं लहुसन अब मंडियों में होलसेल में 25 से 30 रुपए किलो बिक रहा है। ऐसे में इस बार किसानों के लिए लहसुन की पैदावार करना घाटे का सौदा साबित होता जा रहा है।

इस बार लहसुन 2017-18 वाली स्थिति की करा सकता पुनरावृत्ति
 संभाग में इस बार लहसुन की बंपर पैदावार हुई है। ऐसे में किसानों के लिए लहुसन उत्पादन करना घाटे का सौदा साबित हो रहा है। एक बार फिर 2017-18 जैसे हालात फिर से बन रहे है। 2017 में  जब लहसुन की फसल के दाम नहीं मिलने पर हाड़ौती में एक दर्जन किसानों की सदमे से मौत हो गई थी। इसके बाद किसानों की आत्महत्या का मामला पूरे देश भर में गूंजा था। इसके बाद लहसुन की खेती कम नहीं हुई, हालांकि इसके बाद लहसुन के दाम किसानों को अच्छे मिले और अच्छे दामों की आस में ही किसान बड़े पैमाने पर हाड़ौती में लहसुन की खेती करने लगा। लेकिन इस साल फिर वही स्थिति बनने जा रही है जब लागत निकलना भी किसान के लिए मुश्किल हो गया है। इस साल भी हाड़ौती की किसानों के लिए लहसुन की खेती घाटे का सौदा ही साबित हो रही है। स्थिति यह है कि दाम गिरने के कारण मंडियों में किसान लहसुन ला ही नहीं रहे है।

तापमान बढ़ने से भंडारण करने में भी आ रही परेशानी
लहसुन की उपज को किसानों घर पर रखना भी भारी पड़ रहा है। बाजार में भाव नहीं मिल रहे उसके उस पर इस बार तापमान 43 डिग्री पहुंच गया है। ऐसे में लहुसन के भंडारण करने में किसानों पसीने छूट रहे है। तापमान बढ़ने से लहसुन के खराब होने और उसकी नमी खत्म हो जाती जिससे लहसुन की कलिया पोची हो जाती जिससे दाम नहीं मिलते है।  किसान धर्मराज मीणा ने बताया कि मावठ होने और जमीन में लगातार नमी रहने के कारण पहले ही उत्पादन कम हुआ और अब बाजार में कम दाम के चलते किसान फिर परेशान है। लहसुन के दामों की बात की जाए तो मंडियों में औसत भाव 25 से 35 रुपए किलो चल रहे हैं, जबकि लहसुन की बुवाई के समय यह दाम 70 से 100 रुपए किलो तक भी पहुंच गए थे। वर्तमान कीमतों के हिसाब से किसानों की लागत ही नहीं निकलेगी।

बाजार हस्तक्षेप योजना से ही मिलेगा लाभ
प्रगतिशील किसान रामराज गोचर ने बताया कि  एक तरफ कम दाम और दूसरी तरफ तेज गर्मी परेशान कर रही है। लहसुन के भंडार के लिए 30 से 35 डिग्री का तापमान अनुकूल है लेकिन अभी तापमान 43 डिग्री पार कर गया।  बाजार हस्तक्षेप योजना में लहसुन की खरीद हो जिससे अच्छे दाम किसानों को मिल सकेंगे। नहीं तो किसानों भारी नुकसान होगा।



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