महाविनाश की ओर जा रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध

इस युद्ध का तो बिल्कुल भी नहीं

महाविनाश की ओर जा रहा है रूस-यूक्रेन युद्ध

रूस-यूक्रेन युद्ध को 50 से ज्यादा दिन हो गए। युद्ध का लंबा खिंचना ठीक नहीं होता। इस युद्ध का तो बिल्कुल भी नहीं। ये युद्ध जितनी जल्दी समाप्त हो जाए, उतना अच्छा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध को 50 से ज्यादा दिन हो गए। युद्ध का लंबा खिंचना ठीक नहीं होता। इस युद्ध का तो बिल्कुल भी नहीं। ये युद्ध जितनी जल्दी समाप्त हो जाए,  उतना अच्छा है। युद्ध जितना लंबा खिंच रहा है, उतना गंभीर हो रहा है। संकेत ऐसे हैं कि ये युद्ध विश्व युद्ध की और न चला जाए। इसीलिए इस युद्ध को रोकने के लिए विश्व के सभी देशों को ईमानदारी के साथ प्रयास करने होंगे। रूस के मित्र देशों को इसके लिए प्रयास करने होंगे। युद्ध, युद्ध होता है, वह न हो तो बहुत ही बढ़िया। कभी मजबूर में हो तो बहुत संक्षिप्त। बड़ा युद्ध लड़ने वाले देश ही नहीं पूरी दुनिया को प्रभावित करता है। रूस औरयूक्रेन युद्ध  55 दिन से जारी है। बातचीत और मान-मनवल की कोशिश बेकार हो गई। अब ऐसा नहीं लगता कि जल्दी युद्ध रूकेगा। रूस को उम्मीद नहीं थी कि यूक्रेन इतनी मजबूती के साथ मुकाबला करेगा। युद्ध के चलते 55 दिन बीत गए। रूस ने यूक्रेन के शहरों  पर बमबारी करके लगभग उन्हें तबाह कर दिया। वहां जरूरत के सामान का संकट है, फिर भी  यूक्रेन युद्धरत है। उसने हथियार नहीं डाले। वहां की जनता हार मानने को तैयार नहीं है। अब तो  समाचार ये आ रहे हैं कि रूस के हमलों से डरकर देश छोड़ने वाले यूक्रेनवासी वापस लौट रहे हैं। देश छोड़कर जाने वाले यूक्रेन वालों की वापसी यह बताने के लिए काफी है कि वे प्रत्येक परिस्थिति को समझकर लौट रहे हैं। वह अपने देश और  देशवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के लिए लौट रहे हैं।

भारी बमबारी और मिजाइल हमले के बाद भी यूक्रेन पर विजय न मिलने के हालात से रूस के राष्टÑपति व्लादीमिर पुतिन परेशान हैं। वह गुस्से में  हैं। युद्ध में उनके बड़ी संख्या में सैनिक तो मारे ही गए हैं। हाल में यूक्रेन ने काला सागर में एक रूसी युद्धपोत को भी तबाह कर दिया। बड़ी तादाद में रूस के विमान हैलिकाप्टर और टैंक आदि के पहले ही क्षतिग्रस्त होने की सूचनाएं है। रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध कुछ ही दिनों में जीत लेने की उम्मीद थी, लेकिन 55 दिनों बाद भी वह ऐसा नहीं कर सका हैं। उधर अमेरिका और उसके मित्र देश यूक्रेन को लगतार अस्त्र- शस्त्र  उपलब्ध करा रहें हैं। 25 मार्च को जर्मनी से 1500 स्ट्रेला विमान भेदी मिसाइलों और 100 एमजी3 मशीनगनों की एक खेप यूक्रेन पहुंची है। अमेरिका व उसके अन्य मित्र देश भी शस्त्र भेज रहे हैं। यह सही है कि वह युद्ध में शामिल नहीं। उनकी सेनाएं युद्ध में भाग नहीं ले रहीं। उनके सैनिक नहीं लड़ रहे, किंतु यह भी सत्य है कि उनके शस्त्रों और आधुनिक युद्धक सामग्री की बदौलत यूक्रेन अभी युद्ध के मैदान में जमा है। मित्र देशों के प्रमुख युद्धरत यूक्रेन के दौरे कर रहे हैं। अभी तक अमेरिकी राष्टÑपति के यूक्रेन दौरे की खबरें थीं, किंतु आज उनके कार्यालय ने इन्हें गलत बताया। यूक्रेन को समर्थन देने के लिए व्हाइट हाउस की तरफ से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के कीव जाने वाला है। इसके बाद बाइडेन या वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस के यूक्रेन जाने की उम्मीद जताई जा रही है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने नौ अप्रैल को कीव जाकर हालात का जायजा लिया था।

55 दिन से चल रहे युद्ध से रूस की सुपरपावर इमेज को धक्का लगा है। ऐसे में यूक्रेन को न जीत पाने की झुंझलाहट में रूस यूक्रेन के खिलाफ टेक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। यह भी हो सकता है कि वह शस्त्र लेकर आने वाले मित्र देशों के युद्धपोत को निशाना बनाए। वह बार-बार अमेरिका और मित्र  देशों को इसकी चेतावनी भी दे रहा है। यदि मित्र देशों के युद्धपोत  निशाना बने तो फिर मित्र देश युद्ध में सीधे उतरने को मजबूर होंगे। यूक्रेन के रूस के खिलाफ  युद्ध में टिके रहने की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और उसके मित्र देशों से मिल रही हथियारों की मदद है। रूस शुरू से इसका विरोध करता रहा है। ऐसे में नाटो को सबक सिखाने के लिए रूस यूक्रेन के खिलाफ  टेक्टिकल परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। टेक्टिकल परमाणु हथियार कम क्षमता के और सीमित एरिया में ही विनाश करते हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के डायरेक्टर विलियम जे बर्न्स ने कहा है कि यूक्रेन में जीत हासिल करने के लिए रूस टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल कर सकता है। युद्ध  शुरू होने के  बाद ही रूसी राष्टÑपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा था कि उन्होंने अपने न्यूक्लियर वेपन तैयार रखे हैं। अब एक बार फिर से न्यूक्लियर वेपन के इस्तेमाल की चर्चा शुरू होने से दुनिया की टेंशन बढ़ गई है। यूक्रेन युद्ध लंबा खिंचने से भी परमाणु हमले की आशंका बढ़ गई है। इन सब हालात को देखते  हुए जरूरी हो गया है कि पूरी दुनिया इस युद्ध को रोकने के लिए एक बार फिर प्रयास करें। दोनों देशों को समझाए कि वह आमने सामने बैठें। अपना-अपना अहम त्यागें और वार्ता कर समस्या का निदान निकालें।     

- अशोक मधुप
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Read More कुपोषण की भयावह समस्या से जूझती पूरी दुनिया

Post Comment

Comment List

Latest News

कैलाश चौधरी की नामांकन सभा में उमड़ी भीड़, वरिष्ठ नेताओं ने किया जनसभा को संबोधित कैलाश चौधरी की नामांकन सभा में उमड़ी भीड़, वरिष्ठ नेताओं ने किया जनसभा को संबोधित
जनसभा को संबोधित करते हुए विजया रहाटकर ने कहा कि देश में लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व...
झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर बड़ी जीत दर्ज करेगा NDA: सुदेश महतो
मेक्सिको के 19 प्रांतों में फैली जंगलों में लगी आग, 42 स्थानों पर काबू 
लोकसभा आम चुनाव में प्रथम चरण के लिए 124 प्रत्याशियों के 166 नामांकन पाए गए सही
Delhi Liqour Policy : केजरीवाल को राहत नहीं, ईडी की हिरासत 1 अप्रैल तक बढ़ी
भाजपा पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतकर फहरायेगी परचम : दीयाकुमारी
अनदेखी के चलते लगभग 3 करोड़ के राजस्व की हानि