फुटपाथ पर सोने वालों की रियलिटी चैक: कुछ सिस्टम की खामियों से तो कुछ लालच में सो रहे फुटपाथ पर

यूएचडी मंत्री की घोषणा के चार दिन बाद भी नहीं जागा प्रशासन, नहीं शुरू किया सर्वे, अधिकांश रैन बसेरे बंद

 फुटपाथ पर सोने वालों की रियलिटी चैक: कुछ सिस्टम की खामियों से तो कुछ लालच में सो रहे फुटपाथ पर

शहर में 14 अप्रैल की रात को हिट एंड रन मामले में एक मजदूर परिवार के दो लोग घायल हो गए थे और मुखिया दिनेश की मौत हो गई थी। पत्नी व बच्चा गंभीर घायल होने के बाद भी जिला प्रशासन नहीं जागा ।

कोटा । शहर में 14 अप्रैल की रात को हिट एंड रन मामले में एक मजदूर परिवार के दो लोग घायल हो गए थे और मुखिया दिनेश की मौत हो गई थी। पत्नी व बच्चा  गंभीर घायल होने के बाद भी जिला प्रशासन नहीं जागा । स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने 17 अप्रैल को घायलों से मिलकर एक लाख रुपए चेक की मदद की थी। इसके साथ पालनहार वह इंदिरा रसोई में जोड़ने का आश्वासन देने के साथ ही उन्होंने घोषणा की थी कि घुमंतू परिवारों का सर्वे कराकर उन्हें आवासीय योजनाओं से जोड़ा जाएगा।  घटना के 6 दिन बीतने के बावजूद पुलिस, प्रशासन व निगम की ओर से अभी तक कोई सर्वे शुरू नहींं किया। प्रशासन, निगम और पुलिस की ओर से घटना के छह दिन बाद भी तीनों विभागों में कोई भी एक्शन में नहीं आए हैं।  फुटपाथ पर सोने वाले घुमंतु  जाति के लोगों का कहना है कि सरकार आवास योजना से जोड़े तो कौन जान जोखिम में डालकर फुटपाथ पर सोएगा? कुछ लोगों ने कहा कि रैन बसेरे बंद रहते हैं और सामुदायिक भवनों में चौकीदार पैसा मांगते हैं। घुमंतु लोगों ने कहा कि  कुछ रैनबसरे खुले तो रहते हैं, लेकिन वहां निवास करने वाले लोग गंदे रहते हैं। ऐसे में मजदूर और साफ सफाई पसंद लोग जाना पसंद नहीं करते हैं। कुछ का कहना है कि अन्य स्थानों पर जहरीले जीव जंतुओं का खतरा रहता है। फुटपाथ पर साफ सफाई के साथ जीव जंतुओं का खतरा नहीं रहता। हालांकि फुटपाथ पर सोने वाले  अधिकांश ने माना कि जान का खतरा है, लेकिन रोजी रोटी फुटपाथ से चलती है।  कुछ लोगों ने कहा शहर के कुछ ठीए ऐसे हैं जहां सर्दी में कंबल,गर्मी तीज त्यौहारों में मिलने वाली दक्षिणा के चलते वहीं डेरा डाला हुआ है। कुछ फेरीवाले माल बेचने से लेकर रहने तक सब काम फुटपाथ पर करना सुगम मानते हैं।

केस 01 केशवपुरा फ्लाईओवर धंधे के लिए जगह मिले तो कौन रहेगा फुटपाथ पर
शहर के  केशवपुरा फ्लाई ओवर  के नीचे भांड जाति के 25-30 परिवार निवास करते हैं। इन लोगों ने फ्लाईओवर के नीचे और सड़क के किनारे अपनी टापरियां बनाकर यहां ढोल और घोड़ी बग्घी का धंधा करते हैं। रोड किनारे ही डेरा जमाने से आए दिन जाम लगते हैं। रोड के पास खाट लगाकर दिनभर ग्राहकों का इंतजार करते हैं। रात को फ्लाईओवर के नीचे सो जाते हैं। यहां निवास करने वाले  बनवारी भांड ने बताया कि पहले जवाहर नगर के खाली भूखंडों में पूरा परिवार निवास करता था। वहां भूखंड पर मकान बनने से अब रोड किनारे नाले के पास आकर रहने लगे हैं। अभी यह फ्लाई ओवर बनने और नीचे स्लिप लेन निकलने से अब परिवार के लोग यहां सोते हैं। सारे ढोल नगाडे वालों का धंधा जवाहर नगर के ठीए से चलता है। परिवार के साथ घोड़ा, बग्घी है। इनको रैन बसेरा लेकर कैसे जाएं।

केस 02 आवास मिले तो छोड़ देंगे फुटपाथ
जवाहर नगर पेट्रोल पंप पर फुटपाथ के किनारे निवास करने वाले मुकेश भांड ने बताया कि वह 25 साल से यहां शहनाई, ढोल  नगाड़ा बजाने का कार्य कर रहे हैं। पहले जवाहर नगर पेट्रोल पंप के पीछे खाली जगह पर निवास करते थे । वहां मकान बनने से कुछ साल से जवाहर नगर के नाले के पास निवास कर रहे हैं। हम घुमंतु जाति में आते हैं। सबके आधार कार्ड,राशन कार्ड सब बने हुए हैं। लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला। राजाराम रावण सरकार ने 25 परिवारों को आवास के लिए फार्म भरकर दिए, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई।

03. बाजार या हाट तैयार कर दें तो तभी छूटेगा फुटपाथ
सीएडी रोड पर सड़क किनारे रहने वाले बंशी लाल ने बताया कि वह पिछले 25 साल से फुटपाथ पर परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे है। सरकार की योजनाओं का लाभ हम गरीबों नहीं मिलता है। देवनारायण आवसीय योजना जैसी कॉलोनियां घुमंतु जाति के लोगों के लिए भी विकसित करें तभी फुटपाथ से डेरे हटेगे। निगम के अतिक्रमण दस्ते के लोग आए दिन आते हैं और सामान  भरकर ले जाते हैं। हजार रुपए जुर्माना देकर ढोल छुड़ाकर लाते हैं। हमारे बच्चें स्कूल नहीं जाते हैं। स्थाई ठिकाना नहीं होने से रोड पर घूमते हैं। हमेशा वाहनों से बचाने के लिए चौकीदारी करनी पड़ती है। जंगल में रहे तो ग्राहक नहीं आते हैं।

केस 04  सामुदायिक वाले भवन रुपए मांगते
श्रीनाथपुरम के पास स्लिप लेन के पास 5-6 परिवार निवास कर रहे हैं। लोगों ने यहां टपरियां बना रखी थी। पुरुष स्लिप लेन में ही सो रहे हैं। यहां सो रहे सीताराम ने बताया कि उसका परिवार पहले जवाहर नगर में रहता था। वहां से भगा दिया तो चावला सर्किल आ गए। वहां से भी भगा दिया तो चार माह से यहां आकर रहने लगे। सीताराम ने बताया कि पास में ही सामुदायिक भवन है। वहां नहीं जाने देते। भगा देते हैं। विकास बावरिया ने बताया कि रैन बसेरे में सोने नहीं देते। वहां से भगा देते हैं। मंत्री से लेकर अधिकारियों तक शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हुई।

केस-07 कोटडी सर्किल
कोटड़ी सर्किल पर निगम द्वारा रैन बसेरा संचालित किया जाता था। एक डेढ़ महीने से बंद कर दिया । यहां बारां  से मजदूरी के लिए कोटा आया राजेश ने बताया कि  कोटड़ी सर्किल के आसपास दो-तीन रैन बसेरे थे। एक डेढ़ महीने से बंद कर दिए गए। एमबीएस अस्पताल में रैन बसेरा है। लेकिन वहां मरीजों के परिजनों को जगह मिलती है। मजदूर लोग आसपास मंदिरों में या फुटपाथ पर सो रहे हैं। उससे पूछा कि सामुदायिक भवन में क्यों नहीं जाते,राजेश ने बताया कि 400-500 रुपए की मजदूरी में घर वालों को रुपए भेजें या खुद के सोने का इंतजाम करें।

केस-8  रैनबसेरे में नहीं है सफाई
नाग नागिन चौराहे पर भी सड़क किनारे फुटपाथ पर  कई लोग सोते हुए मिले। अटरू  निवासी 45 साल के ओंकारलाल  ने  बताया कि  फुटपाथ पर रहने का कारण यह है कि  रैन बसेरे में मच्छर काटते हैं। बीमारी हो जाती है। वहां लोग नहाते धोते नहीं है। जुएं पड़ जाती है। लोगों के कपड़ों से  वहां के बिस्तर में बदबू आती है। यहां त्यौहारी सीजन में लोग उपहार खाने पीने की सामग्री देते हैं। सुबह से शाम तक यहीं रहते हैं। रात को फुटपाथ छोड़कर अन्य स्थान पर जाएं तो वहां लाइट पानी और सफाई नहीं मिलेगी।

शहर के इन स्थानों पर फुटपाथ पर सो रहे लोग
शहर में तालाब की पाल, बड़ तिराहा, लक्खी बुर्ज, जैन दिवाकर अस्पताल के पास, छावनी चौराहा, कोटड़ी में मंदिर के पास, बजरंग नगर पुलिया के नीचे, जवाहर नगर, केशवपुरा फ्लाई ओवर के नीचे, दशहरा मैदान रोड,संतोषी नगर से श्रीनाथपुरम जाने वाली रोड,तेजाजी मंदिर चौराहा नयापुरा, छावनी सर्किल,सीबी गार्डन के पास, के अलावा अन्य स्थानों पर भी फुटपाथ पर लोगों को सोते हुए देखा जा सकता है। ऐसे लोगों में अधिकतर घुमंतु जाति के, बेसहारा, भिक्षावृत्ति करने वाले और मजदूर वर्ग के लोग हैं जो दिहाड़ी पर काम करते हैं। रिक्शा  व ठेला चालक हैं।

निगम हर साल करता है आश्रय स्थल की व्यवस्था
नगर निगम की ओर से शहर में कई स्थाई आश्रय स्थल तो पूरे साल चल रहे हैं। जहां ऐसे बेसहारा लोगों को रहने की सुविधा है। उसके अलावा हर साल सर्दी के मौसम में अस्थाई आश्रय स्थल भी बनाए जाते हैं। लेकिन उसके बाद भी अधिकतर लोग उनमें नहीं सोते। वे खुले में ही सड़क किनारे सोते हैं। हालांकि कई लोग तो सर्दी में कम्बल के लालच में खुले में सोना पसंद करते हैं। लेकिन गर्मी में ठंडी हवा के कारण सोते हैं।

इनका कहना है
स्वायत शासन मंत्री के निर्देश के बाद सर्वे के लिए टीमों को आदेश जारी कर दिए है। अभी मैं अवकाश पर चल रहा हूं। आने के बाद सर्वे की स्थिति की जानकारी ली जाएगी।
-हरिमोहन मीणा, कलक्टर कोटा

बेसहारा लोगों के लिए नगर निगम के स्थाई आश्रय स्थल हैं। लेकिन वहां बहुत कम लोग रहते हैं। जो भी आता है उन्हें मना नहीं किया जाता। एक दिन पहले मंत्री धारीवाल ने सभी बेसहारा के लिए आश्रय स्थलों में नि:शुल्क रहने व भोजन की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। जिसकी पालना कर दी गई है।    - वासुदेव मालावत, आयुक्त

नगर निगम कोटा उत्तर
नगर निगम के स्थाई रेन बसेरे पूरे साल संचालित हो रहे हैं। जिसमे लोगों को नि:शुल्क रहने की सुविधा है। सर्दियों में अस्थाई रेन बसेरे तैयार कर अतिरिक्त व्यवस्था की जाती है। मंत्री के निर्देश के बाद रेन बसेरों में नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था की जाएगी।    - राजीव अग्रवाल, महापौर नगर निगम दक्षिण

 

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