बुलडोजर मुहिम

गुजरात के बाद दिल्ली भी पहुंच चुकी है

बुलडोजर मुहिम

उत्तर प्रदेश से शुरु हुई बुलडोजर मुहिम अब मध्यप्रदेश और गुजरात के बाद दिल्ली भी पहुंच चुकी है। दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती पर हिंसा भड़क गई थी।

उत्तर प्रदेश से शुरु हुई बुलडोजर मुहिम अब मध्यप्रदेश और गुजरात के बाद दिल्ली भी पहुंच चुकी है। दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती पर हिंसा भड़क गई थी। रथ यात्रा में हथियार लहराए गए, दो समुदायों के बीच भिड़न्त हुई। हादसे की जांच करती दिल्ली पुलिस, राज्य सरकार और यहां तक की केन्द्र सरकार स्पष्ट रूप से अभी तक यह नहीं बता सकी है कि आखिर हिंसा भड़की कैसे। दिल्ली दो साल में दो बार हिंसा की शिकार हो चुकी है। केन्द्र सरकार से ये सवाल पूछा जा सकता कि जब दिल्ली पुलिस उसके अधीन है, तब उससे बार-बार ऐसी चूक क्यों हो जाती है। हालात बिगड़ जाते हैं, पुलिस को कोई भनक तक नहीं लगती। शोभायात्रा धार्मिक थी, तो मार्ग में सुरक्षा के इंतजाम भी होने चाहिए थे। अब हिंसा में शामिल कुछ लोगों की गिरफ्तारी की गई है, जांच चल रही है और इसी दिल्ली नगर निगम के बुलडोजर जहांगीरपुरी इलाके में पहुंच जाते हैं और अवैध निर्माण तोड़ने की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है। पूछा जा सकता है कि हिंसा के हादसे के दो-तीन दिन बाद ही अवैध निर्माण तोड़ने की क्यों सूझी।

अवैध निर्माण हटाने का काम एमसीडी का है तो कार्रवाई पहले क्यों नहीं की गई, जिनको अवैध निर्माण बताकर तोड़ा गया है, सभी काफी पुराने हैं। कुछ विपक्षी नेताओं की आपत्ति और सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाने के बाद अदालत ने कार्रवाई को रोकने और यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दे दिए हैं। बुलडोजर का भय दिखाकर, हिंसा को कभी भी रोका नहीं जा सकता है। बुलडोजर की कार्रवाई से अब नया विवाद खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संदेश उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व गुजरात तक पहुंच गया है। जहांगीरपुरी के मामले में अदालत ने अभी फौरी आदेश ही दिया है, लेकिन अदालत को इस मामले का शीघ्र निपटारा करके ऐसा फैसला देना चाहिए, जो पूरे देश के लिए नजीर बने। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि देश में जहां भी ऐसी कार्रवाई होती है, तब उसे लेकर विवाद हो जाते हैं। यथास्थिति के कायम रहने से अतिक्रमण और अवैध निर्माण बढ़ते चले जाते हैं। सरकारी भूमि पर अवैध अधिकार हो जाते हैं। अतिक्रमण राष्ट्रव्यापी समस्या बन गई है। आखिर इसका अंत होना चाहिए।

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