प्रशांत किशोर और कांग्रेस

कांग्रेस में शामिल होने के प्रस्ताव को क्यों अस्वीकार किया

प्रशांत किशोर और कांग्रेस

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की कई दिनों से चल रही अटकलों पर अब विराम लग गया है। प्रशांत ने कांग्रेस का प्रस्ताव अस्वीकार करते हुए कहा कि मुझसे ज्यादा पार्टी को एक अच्छे नेतृत्व, सामूहिक इच्छाशक्ति और बड़े पैमाने पर संगठनात्मक बदलाव की जरूरत है।

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की कई दिनों से चल रही अटकलों पर अब विराम लग गया है। प्रशांत ने कांग्रेस का प्रस्ताव अस्वीकार करते हुए कहा कि मुझसे ज्यादा पार्टी को एक अच्छे नेतृत्व, सामूहिक इच्छाशक्ति और बड़े पैमाने पर संगठनात्मक बदलाव की जरूरत है। अब सवाल है कि आखिर प्रशांत ने कांग्रेस में शामिल होने के प्रस्ताव को क्यों अस्वीकार किया। इसके बारे में स्पष्ट रूप से अभी तो कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन ऐसा लगता है कि वह अपनी कुछ शर्तो के साथ पार्टी में शामिल होना चाहते थे। कांग्रेस नेतृत्व उनकी शर्तों को स्वीकार करने को तैयार नहीं था। यह लगभग सही हो सकता है, क्योंकि प्रशांत को सोनिया गांधी की ओर से गठित विशेषाधिकार प्राप्त समूह के सदस्य के तौर पर पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव मिला था। सूत्रों का कहना है कि प्रशांत को यह प्रस्ताव उचित नहीं लगा, जबकि वह तो पार्टी में असीमित अधिकार चाहते थे। इसी बीच प्रशांत पिछले दिनों कांग्रेस के कायाकल्प की रूपरेखा तैयार करने के फौरन बाद उन्होंने हैदराबाद में तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेताओं से मुलाकात करना शुरू कर दिया।

कांग्रेस आलाकमान को इससे कुछ संदेह हुआ, जबकि प्रशांत ने कांग्रेसके नेतृत्व से अपनी पहली मुलाकात के बाद कहा था कि अब उनका अपनी कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है। यदि यह सही है, तो फिर उन्हें हैदराबाद जाने की जरूरत क्यों पड़ी। चर्चा भी है कि कांग्रेसके कई नेता प्रशांत को पार्टी में शामिल करने पर सहमत नहीं थे। यह सही है नए राजनीतिक दौर में चुनावी रणनीतिकारों की जरूरत महसूस की जा रही है, लेकिन कांग्रेस पुरानी और राष्ट्रीय पार्टी को किसी चुनावी रणनीतिकार की जरूरत महसूस होती है, तो यह पार्टी की आंतरिक कमजोरी को ही दर्शाता है। कांग्रेस पार्टी में कई बड़े-बड़े और कुशल रणनीति कर रहे हैं और अनुभवी नेताओं की कमी नहीं है। कांग्रेस नेतृत्व तो अपनी रणनीति के तहत ही पार्टी को चलाना चाहता है। अब पता नहीं प्रशांत के दिए चुनावी सुझावों को कांग्रेस लागू करेगी या नहीं, लेकिन कांग्रेस को कुछ बड़े बदलावों की जरूरत तो है। प्रशांत और कांग्रेस के बीच संबंधों को लेकर आगे क्या होता है, यह देखने की बात होगी।

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