विवाद का ERCP प्रोजेक्ट: केन्द्रीय नियमों से कैनाल बनी तो किसानों को नहीं मिलेगा पानी

3700 एमसीएम की जगह 2000 एमसीएम ही मिलेगा पानी

विवाद का ERCP प्रोजेक्ट: केन्द्रीय नियमों से कैनाल बनी तो किसानों को नहीं मिलेगा पानी

केवल 13 जिलों की प्यास बुझा पाएगा प्रोजेक्ट, 2 लाख हैक्टेयर में सिंचाई का सपना टूटेगा

 जयपुर। ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार आमने सामने हैं। अगर प्रोजेक्ट की वर्तमान डीपीआर को बदलकर राज्य सरकार इसे केन्द्र के राष्टÑीय परियोजना के तय नियमों के अनुसार बनाएगा तो प्रदेश के 13 जिलों के किसानों का इससे 2 लाख हैक्टेयर में सिंचाई के लिए मिलने वाले पानी का सपना खटाई में पड़ जाएगा। केवल इन जिलों के आम-अवाम को पीने का ही पानी मिल पाएगा। कैनाल से प्रदेश को करीब 1700 एमसीएम पानी कम मिलेगा। वर्तमान डीपीआर जिसे केन्द्र सरकार ने रद्द कर नई डीपीआर बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है, उसके मुताबिक 3700 एमसीएम पानी मिलना चाहिए। लेकिन राष्ट्रीय परियोजना के तय मापदंडों के अनुसार अगर नई डीपीआर बनी तो प्रदेश को 2000 एमसीएम पानी ही मिल सकेगा जो केवल पेयजल आवश्यकताओं के अनुरूप ही होगा।

केन्द्रीय नियमों से यूं होगा राजस्थान को नुकसान'
नई डीपीआर बनी तो छोटी बनेंगी नहरें
वर्तमान में तय ईआरसीपी प्रोजेक्ट की डीपीआर पूर्व वसुन्धरा सरकार के वक्त 50 फीसदी मानदंड (भराव क्षमता ज्यादा वाली नहर) के आधार पर बनाई गई थी। जबकि केन्द्र की राष्टÑीय परियोजना घोषित किए जाने के लिए इसे तय गाइडलाइन के अनुसार 75 फीसदी क्षमता मापदंड (भराव क्षमता अपेक्षाकृत्त कम) पर बनाना होगा। इसके चलते ही पुरानी डीपीआर को केन्द्र सरकार ने रिजेक्ट कर दिया। राज्य को नई डीपीआर बनाने का प्रस्ताव भेजा। 75 फीसदी क्षमता मापदंडों से कम पानी आएगा। ऐसे में सिंचाई के लिए आवश्यक पानी नहीं मिल पाएगा। मध्य प्रदेश ने भी यहीं आपत्ति जताई है। वे चाहते हैं कि 75 फीसदी क्षमता अनुसार ही राजस्थान में कैनाल बनें। अगर केन्द्रीय नियमों से कैनाल बनी तो सिंचाई को पानी का टोटा तय है।

केन्द्रीय मंत्री शेखावत ये बोले
डीपीआर 50 फीसदी यानी लॉअर डिपेंडेबिलिटी पर बना दी है। 1952 से अब तक 75 फीसदी डिपेंडेबिलिटी से ही नेशनल प्रोजेक्ट बने हैं। कांग्रेस की तत्कालीन केन्द्र सरकारों ने ही इसके नियम बनाए थे। राष्टÑीय स्तर के नियमों के विपरीत कैनाल निर्माण को कैसे मंजूरी मिलेगी। मेरी प्रदेश सरकार से अपील है कि इससे बाहर निकले। 13 जिलों में सिंचाई के प्रोजेक्ट को विड्रो करे। नई डीपीआर बनाए तो राष्टÑीय परियोजना का दर्जा देने पर शीघ्रता और तत्परता से विचार किया जाएगा।
-गजेन्द्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री (जलजीवन मिशन की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत)

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