बाथरूम के पास वाटर कूलर आम का, खास के लिए कैम्पर का पानी

नगर निगम में हर साल आ रहा पीने के लिए लाखों का पानी

बाथरूम के पास वाटर कूलर आम का, खास के लिए  कैम्पर का पानी

गर्मी के मौसम में जहां ठंडे पानी के लिए अधिकतर सरकारी कार्यालयों में आमजन के साथ ही अधिकारी-कर्मचारी भी वाटर कूलर का पानी पी रहे हैं। वहीं नगर निगम की हालत यह है कि वाटर कूलर बाथरूम के पास लगे होने से वहां का कोई भी अधिकारी कर्मचारी वाटर कूलर का पानी नहीं पी रहा। उनके लिए बाहर से पानी के कैम्पर आ रहे हैं।

कोटा। गर्मी के मौसम में जहां ठंडे पानी के लिए अधिकतर सरकारी कार्यालयों में आमजन के साथ ही अधिकारी-कर्मचारी भी वाटर कूलर का पानी पी रहे हैं। वहीं नगर निगम की हालत यह है कि वाटर कूलर बाथरूम के पास लगे होने से वहां का कोई भी अधिकारी कर्मचारी वाटर कूलर का पानी नहीं पी रहा। उनके लिए बाहर से पानी के कैम्पर आ रहे हैं। नगर निगम के राजीव गांधी प्रशासनिक भवन में ए-बी और सी तीन ब्लॉक बने हुए हैं। तीन मंजिला इस भवन के हर मंजिल में दो-दो वाटर कूलर भी लगे हुए हैं। जिससे निगम में आने वाले लोगों और वहां काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों को गर्मी में ठंडा पानी पीने को मिल सके। लेकिन उन वाटर कूलर का उपयोग नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी बिल्कुल नहीं कर रहे हैं। वाटर कूलर का पानी अधिकतर निगम में आने वाले आमजन ही पी रहे हैं। निगम अधिकारियों व कर्मचारियों के पीने के लिए अलग से कैम्पर आ रहे हैं। वैसे तो पूरे साल ही निगम में पानी के कैम्पर आ रहे हैं। लेकिन गर्मी में पानी की खपत अधिक होने से कैम्परों कीे संख्या भी पहले से काफी अधिक हो गई है। हालांकि निगम में पानी व अल्पाहार के नाम से अलग से बजट की व्यवस्था है। सूत्रों के अनुसार दोनों नगर निगमों में प्रति वर्ष करीब 8 से 10 लाख रुपए पानी व अल्पाहार पर ही खर्च हो रहे हैं।

जनता पी रही, कर्मचारी हाथ धो रहे
नगर निगम के तीनों ब्लॉक में करीब 10 वाटर कूलर लगे हुए हैं। ये सभी वाटर कूलर बाथरूम के पास बाहर की तरफ लगे हैं। बाहर से आने वाले लोगों को प्यास लगने पर वे तो उन वाटर कूलर का ठंडा पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं। जबकि निगम के अधिकारी व कर्मचारी उन वाटर कूलर का उपयोग अधिकतर हाथ धोने में ही काम ले रहे हैं। निगम कर्मचारी सूत्रों के अनुसार वाटर कूलर में बोरिंंग का पानी आ रहा है। साथ ही बाथरूम के पास होने से कई लोग उनमें गंदे हाथ भी लगा देते हैं। ऐसे में उन वाटर कूलर का पानी पीने की इच्छा नहीं होती। कई कर्मचारी भी लोगों की देखा-देखी  वाटर कूलर के ठंडे पानी को हाथ धोने में ही उपयोग कर रहे हैं।

हर कमरे में पानी के कैम्पर
नगर निगम की हालत यह है कि यहां अधिकारियों और कर्मचारियों के हर कमरे में पानी के कैम्पर देखे जा सकते हैं। गर्मी में पानी की खपत अधिक होने से हर कमरे में सामान्य दिनों में जहां एक कैम्पर रखा रहता है वहां गर्मी में हर कमरे में दो से तीन कैम्पर रखे हुए हैं। वहां रोजाना कैम्पर लेकर लोडिंग वाहन आता है और उनके कर्मचारी लिफ्ट से पानी के कैम्परों को ऊपरी मंजिल तक पहुंचा रहे हैं।

महापौर-उप महापौर के कक्ष में पानी की बोतल
इतना ही नहीं महापौर और उप महापौर के कक्ष में छोटी-छोटी बोतल में पानी अलग से आ रहा है। उनके यहां आने वाले मेहमानों को गिलास में पानी पिलाने की जगह छोटी बोतल का ही पानी दिया जा रहा है। जिसका भी अलग से खर्चा हो रहा है। हालांकि इस संबंध में कई कर्मचारियों का तर्क है कि कोरोना काल में गिलास से पानी का उपयोग कम कर दिया है। इस काण से बोतल में पानी दिया जा रहा है। छोटी बोतल इसलिए कि उसमें कम पानी होने से एक बार में पीया जा सकता है। जबकि बड़ी बोतल होने से उसमें से थोड़ा पानी पीने के बाद बाकी पानी व्यर्थ होता है। दूसरा व्यक्ति आधी बोतल का पानी नहीं पीता। जिससे पानी की बर्बादी भी अधिक हो रही है।

कार्यालयों से गायब हुए मटके
पहले जहां अधिकतर सरकारी कार्यालयों में पानी के लिए मटके रखे जाते थे। वह अब सभी जगह से गायब हो गए हैं। उनकी जगह पर वाटर कूलर लगे हुए हैं।

इनका कहना है
नगर निगम का नया भवन बनने के बाद नीचे दो टैंक व ऊपर 6 टंकिया बनाई गई हैं। एक टैंक में बोरिंग का और दूसरे में अकेलगढ़ का पानी आता है। बोरिंग के पानी से ऊपर की चार टंकियां भरी जाती हैं जिनका पानी बाथरूम में आता है। जबकि एक टैंक के पानी से दो टंकियां भरी जातीे हैं जिनमें अकेलगढ़ से पानी आता है। वह पानी दो टंकियों से वाटर कूलर में जा रहा है। वाटर कूलर में आरओ लगा होने से शुद्ध पानी पिलाया जा रहा है। जहां तक वाटर कूलर का गलत जगह पर लगा होने का सवाल है वह शुरुआत से ऐसे ही लगे हैं। यदि गलत जगह पर हैं तो अधिकािरयों से चर्चा कर उनकी जगह बदलवाई जा सकती है।
-ए.क्यू कुरैशी, अधिशासी अभियंता, नगर निगम कोटा दक्षिण

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