MPUAT को सवा साल में मिले 10 पेटेंट

छह शोध कार्यों को मिले चार ऑस्ट्रेलियाई पेटेंट

MPUAT को सवा साल में मिले 10 पेटेंट

उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) देश का पहला ऐसा यूनिवर्सिटी बन गया है जिसने गत 15 माह में उसके छह शोध कार्यों के लिए 10 पेटेंट मिले हैं।

उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमपीयूएटी) देश का पहला ऐसा यूनिवर्सिटी बन गया है जिसने गत 15 माह में उसके छह शोध कार्यों के लिए 10 पेटेंट मिले हैं।
कुलपति प्रो. एनएस राठौड़ ने बताया कि देश में करीब एक हजार यूनिवर्सिटी हैं, लेकिन किसी ने भी इतनी अल्पावधि में इतने पेटेंट प्राप्त नहीं किए हैं। विशेष बात यह है कि इन दस पेटेंट में से 6 भारतीय एवं 4 ऑस्ट्रेलियाई पेटेंट हैं, जो एक बड़ी उपलब्धि है। एमपीयूएटी की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुलपति प्रो. राठौड़ को प्रशंसा पत्र भेजते हुए कहा कि एमपीयूएटी में जिस स्तर पर प्रो. राठौड़ ने शोध कार्यों के पेटेंट प्राप्त किए हैं, उसके लिए अन्य यूनिवर्सिटीज प्रो. राठौड़ को प्रेरणास्रोत बनाए और उनके शोध कार्यों को इसी तरह आगे बढ़ाएं।
 
कुछ प्रमुख शोध कार्य और पेटेंट

  • वर्तमान में विश्व वेस्ट मेटेरियल के प्रबंधन की समस्या से जूझ रहा है एवं ग्लोबल वार्मिंग का खतरा भी बना हुआ है जिससे भारत भी अछूता नहीं है। एमपीयूएटी के संघटक सीटीएई के सिविल विभाग ने वेस्ट मेटेरियल का सिविल कंस्ट्रक्शन में उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया। अगर हम अनुपयोगी मेटेरियल को कंस्ट्रक्शन में काम में लेते हैं जो एग्रीकल्चर के बाद सबसे बड़ी इंडस्ट्री है। इन टेक्नोलॉजी के डवलपमेंट और व्यावसायिककरण से यूनिवर्सिटी को राजस्व की प्राप्ति भी होगी।
  •  सिविल इंलीनियरिंग विभाग के डॉ त्रिलोक गुप्ता ने सिंगल यूज्ड प्लास्टिक का उपयोग कर विभाग में ही सड़क का निर्माण किया है। इसी तरह वेस्ट टायर का पेवर ब्लॉक बनाने में उपयोग कर उसे मजबूती प्रदान की गई। साथ में गन्ने के अपशिष्ट को जलाने के बाद बची हुई राख का फ्लोर टाइल बनाने में उपयोग किया है। इस प्रकार विभाग के डॉ त्रिलोक गुप्ता ने एक वर्ष में भारत एवं आॅस्ट्रेलियन सरकार से पेटेंट प्राप्त किए हैं।
  •  संघटक राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ एसएस शर्मा ने बताया कि मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एवं बायो टेक्नोलॉजी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. विनोद सहारण ने यूरिया नैनो फार्मूलेशन के कंट्रोल रिलीज पर भारत सरकार से एक पेटेंट प्राप्त किया  है। उनकी इस खोज से खेती में यूरिया खाद का अपव्यय रूकेगा और काफी कम मात्रा में यूरिया से फसल ली जा सकेगी जिससे किसान की फसल लागत में कमी के साथ पर्यावरण को नुकसान को कम किया जा सकेगा। 
     
    सुधरेगी आईसीएआर की रैकिंग
    विश्वविद्यालय को मिले इन पेटेंट के कारण आईसीएआर की रैंकिंग में भी फायदा मिलेगा। इन पेटेंट द्वारा विवि को आय अर्जित करने का मौका मिलेगा। साथ ही सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा तथा वह और अधिक ऊर्जा के साथ काम करेंगे। 

 

Related Posts

Post Comment

Comment List

Latest News

प्रदेशभर में मनाया लैब टेक्नीशियन दिवस प्रदेशभर में मनाया लैब टेक्नीशियन दिवस
प्रदेश भर के सभी चिकित्सा संस्थानों में 15 अप्रैल को लैब टेक्नीशियन दिवस बड़े जोश उल्लास के साथ मनाया गया।...
5.25 लाख की आबादी भुगत रही जेडीए की हठधर्मिता का खामियाजा
भाजपा के संकल्प पत्र पर गहलोत का निशाना- मंहगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर बात नहीं करती भाजपा
आरपीआई पार्टी के अध्यक्ष और केन्द्रीय मंत्री रामदास अठावले बोले- पार्टी भाजपा के साथ
निर्वाचन आयोग ने की रिकार्ड 4650 करोड़ की जब्ती, 75 साल के इतिहास की सबसे बड़ी जब्ती
ट्यूबवेल सात माह से खराब, पेयजल का संकट
टोल बचाने की जुगत: सुकेत में भारी वाहनों का दबाव बढ़ा