महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड पर है कोल इंडिया का सबसे ज्यादा बकाया

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड पर भी बकाया

महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और झारखंड पर है कोल इंडिया का सबसे ज्यादा बकाया

पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड पर दूसरी सबसे बड़ी राशि बकाया

नई दिल्ली।  महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश की राज्य बिजली उत्पादन कंपनियों पर कोल इंडिया लिमिटेड का सबसे अधिक पैसा बकाया है। सबसे अधिक राशि महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी पर बकाया है। महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी पर कोल इंडिया लिमिटेड का 2,608.07 करोड़ रुपये का बकाया है। अनडिस्प्यूटेड अमाउंट 2591.45 करोड़ रुपए है।

पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड पर दूसरी सबसे बड़ी राशि बकाया
सूत्रों ने बताया कि दूसरी सबसे बड़ी राशि पश्चिम बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड का बकाया है। कंपनी पर कोल इंडिया लिमिडेट का 1066.40 करोड़ रुपए बाकी है। सूत्रों ने कहा कि अनडिस्प्यूटेड अमाउंट 955.54 करोड़ रुपए है। बकाया राशि के मामले में तीसरी सबसे बड़ा तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड है, जो झारखंड सरकार का उपक्रम है। इस पर कोल इंडिया लिमिटेड का 1018.22 करोड़ रुपए बकाया है। यह पूरा अनडिस्प्यूटेड अमाउंट है।

एमपी पावर जनरेटिंग कंपनी पर भी चौथी सबसे बड़ी राशि बकाया
चौथी सबसे बड़ी राशि तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉपोर्रेशन लिमिटेड पर बकाया है। इस पर कोल इंडिया लिमिडेट का 823.92 करोड़ रुपये का बकाया है। अनडिस्प्यूटेड अमाउंट 704.94 करोड़ रुपए का है। वहीं, मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी पर 531.42 करोड़ रुपए बकाया है, जो पांचवीं सबसे बड़ी राशि है। अनडिस्प्यूटेड अमाउंट 480.54 करोड़ रुपए का है। सूत्रों ने बताया कि बकाया राशि के मामले में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड छठे नंबर पर है। इसपर 429.47 करोड़ रुपया बकाया है। अनडिस्प्यूटेड अमाउंट 423.13 करोड़ रुपए का है। महाराष्ट्र, राजस्थान और पश्चिम बंगाल की राज्य बिजली उत्पादन कंपनियों का बकाया बहुत अधिक है लेकिन इसके बावजूद कोल इंडिया लिमिटेड ने कभी भी इनकी आपूर्ति को विनियमित नहीं किया और उप-समूह योजना तथा रेक्स की उपलब्धता के अनुसार पर्याप्त आपूर्ति की।

कांग्रेसी नेताओं ने केन्द्र सरकार को घेरा
देश के आधे से ज्यादा राज्यों में कोयले की कमी से उत्पन्न बिजली संकट पर अब राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार को घेरने में जुट गए हैं। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला है। सिब्बल ने कहा कि सरकार की खराब नीतियों के चलते ही देश के लोग इस संकट को झेल रहे हैं। सिब्बल ने कहा कि इस बिजली संकट की उत्पत्ति तब हुई, जब बीजेपी और सीएजी ने रिपोर्ट दी कि कांग्रेस सरकार के दौरान गलत तरीके से कोल ब्लाक आवंटित किए गए थे और एससी ने उन्हें रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद बीजेपी सरकार ने फिर से नीलामी की। इस दौरान बढ़ी हुई कीमतों को तक पूरा नहीं किया गया है। जिस कारण यह संकट गहराया है। सिब्बल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि बीजेपी सरकार की गलत नीतियों के कारण शायद ही कोई निजी क्षेत्र कोयला उत्पादन कर रहा है और राज्यों के पास खरीदने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। जिसका परिणाम आज सबके सामने है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस को बदनाम करके राजनीतिक फायदा तो उठाया, लेकिन अब आम लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है।

भूपेश बघेल ने भी केंद्र को ठहराया जिम्मेवार
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भी रविवार को बिजली संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेवार ठहराया। बघेल ने  कहा कि यह सुनिश्चित करना कि देशभर के बिजली संयंत्रों को पर्याप्त मात्रा में कोयले की आपूर्ति हो ये भारत सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कोयले की कमी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकार ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया जिसके कारण यह हुआ है।

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