परमाणु हमले के खतरे ने बढ़ाई न्यूक्लियर बंकर की डिमांड, जाने कैसे काम करता है न्यूक्लियर बंकर

यूरोप से अमेरिका तक लोगों में फैला डर

परमाणु हमले के खतरे ने बढ़ाई न्यूक्लियर बंकर की डिमांड,  जाने  कैसे काम करता है न्यूक्लियर बंकर

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में पूरी दुनिया के लिए परमाणु बम एक बड़ा खतरा बना हुआ है।

लंदन। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में पूरी दुनिया के लिए परमाणु बम एक बड़ा खतरा बना हुआ है। परमाणु बमों से सिर्फ न्यूक्लियर बंकर ही बचा सकता है। न्यूक्लियर युद्ध के खतरे से लोग इस कदर डरे हैं कि यूरोप में परमाणु बंकरों की डिमांड में बड़ा उछाल देखने को मिला है। लोगों को इस बात का अंदेशा है कि रूस किसी भी वक्त परमाणु बम से भरे रॉकेट को लॉन्च कर देगा। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक बंकर बनाने वाली कंपनियों ने कहा है कि जर्मनी, स्विटजरलैंड, फ्रांस और यूके के नागरिक न्यूक्लियर बंकर खरीदने और उनके निर्माण से जुड़ी जानकारी मांग रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लगातार यूक्रेन युद्ध में रूस पश्चिमी देशों को न्यूक्लियर स्ट्राइक की चेतावनी दे रहा है। दो महीन से जारी जंग में यूरोप और अमेरिका में कुछ लोगों को इस बात का डर है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन किसी भी वक्त दूसरे देशों को निशाना बनाने के लिए परमाणु हमला कर सकते हैं। स्विटजरलैंड में न्यूक्लियर बंकर बनाने और रिपेयर करने वाली एक कंपनी ने बताया कि मार्च की शुरूआत में लोग बेहद डरे हुए थे।

वह तुरंत मदद मांग रहे थे। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद तो डिमांड तेजी से बढ़ी है। यूके की एक फर्म ने भी बताया कि बंकर की डिमांड पिछले साल की तुलना में दोगुनी हो गई है। जर्मनी की एक कंपनी ने बताया कि देश में 599 पब्लिक शेल्टर हैं। हम इसे अपग्रेड करने का तरीका खोज रहे हैं। यूरोप के साथ ही अमेरिका में भी इसका खतरा बरकरार है और वहां भी न्यूक्लियर बंकर की डिमांड बढ़ी है।


कैसे काम करता है न्यूक्लियर बंकर
न्यूक्लियर बम के कारण एक बड़ा धमाका होता है। अगर इसके सीधे संपर्क में कोई आ जाए तो उसे यह पता भी नहीं चलेगा कि वह कब राख बन गया। इन धमाकों के बाद सबसे खतरनाक चीज रेडिएशन होती है। इसी से बचने के लिए बंकर बनाए जाते हैं जो जमीन के नीचे बने घर की तरह होते हैं। इनकी दीवारें मोटी कंक्रीट से बनी होती हैं, ताकि रेडिएशन न पहुंचे। बंकरों में आॅक्सीजन और खाने-पीने की व्यवस्था रखी जाती है, क्योंकि धमाके के कई दिनों बाद तक उसी में रहना होगा। कोल्ड वार के समय बड़ी संख्या में न्यूक्लियर बंकर बने थे।

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