NEET में सीट ‘ब्लॉकिंग’ का खेल

प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के बड़े रैकेट का हो सकता है खुलासा

NEET में सीट ‘ब्लॉकिंग’ का खेल

बिहार के चार डॉक्टरों को पुलिस ने पकड़ा

जयपुर। राजस्थान में पीजी नीट में सीट की ब्लॉकिंग कर कम रैंक के अभ्यर्थियों को मौका दिलाने के बड़े खेल का पुलिस जल्द खुलासा कर सकती है। इसकी कड़ी पुलिस के हाथ लग गई है। चार ऐसे डॉक्टरों मोहम्मद सरफराज आलम, मोहम्मद शाहबाज, अमित कुमार और आदित्य रोशन को पकड़ा है। सभी बिहार के रहने वाले हैं। ये अपने ओरिजनल दस्तावेजों की जगह कलर फोटोकॉपी के जरिए राजस्थान के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल पीजी की सीट को ब्लॉक करने की तैयारी में थे। राजस्थान नीट पीजी काउंसलिंग के चेयरमैन डेंटल कॉलेज के डॉ. संदीप टंडन को काउंसलिंग में शक हुआ तो 30 अप्रैल को शास्त्री नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई। चौबीस घंटे में ही पुलिस ने चार एमबीबीएस डॉक्टरों को पकड़ लिया। मॉर्कशीट इत्यादि कलर फोटोकॉपी ही निकली। अब पुलिस आगे की गहन जांच कर इनके पीछे बड़े रैकेट का अंदेशा जता रही है।

यूं होती है ब्लॉकिंग, कॉलेजों के मोटे डोनेशन से एडमिशन का अंदेशा
एमबीबीएस के बाद पीजी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीट होती है। चयनित सीटों में रैंक के मुताबिक अभ्यर्थियों को मेडिकल कॉलेजों का आवंटन होता है। जब तक सीट पूरी नहीं भर जाती काउंसलिंग चलती रहती है। जिनकी कम रैंक आती है, उनका चयन नहीं हो पाता है। ऐसे में एडमिशन का रैकेट सक्रिय होता है। जिनकी रैकिंग ठीक-ठाक होती है उनसे कॉलेजों में पहली और दूसरी काउंसलिंग के बाद मॉपअप राउंड में एडमिशन का आवेदन करवाया जाता है। इनका कॉलेज में चयन होने पर ये एडमिशन के लिए आते नहीं है। सीट खाली रहने पर दोबारा से काउंसलिंग को आवेदन लिए जाते हैं, जिनमें पहले से तय कम रैंक के अभ्यर्थियों को एडमिशन के लिए एंट्री करवा ली जाती है। इसे ही सीट ब्लॉकिंग कहते हैं। फिर कॉलेज मोटे डोनेशन लेकर एडमिशन करता है। इसमें संभवत: सीट ब्लॉक करने वाले डॉक्टरों को मोटी रकम दी जाती है।

काउंसलिंग को आए तो इन डॉक्टरों को जिन प्राइवेट कॉलेजों में एडमिशन लेना चाहते थे, उनकी फीस तक पता नहीं थी। उनके मॉर्कशीट, दस्तावेज भी कलर फोटो कॉपी लग रहे थे। शक हुआ तो एफआईआर दर्ज कराई।
-डॉ. संदीप टंडन, चेयरमैन, नीट काउंसलिंग, राजस्थान

पूछताछ में पता लगा है कि चारों सीट ब्लॉक कर रहे थे। संबंधित मेडिकल कॉलेज या दलाल से मिलीभगत कर रुपए मिलने के बाद पीजी में एडमिशन नहीं लेते। उसके बाद कॉलेज अन्य अभ्यर्थी को डोनेशन के आधार पर कॉलेज में एडमिशन दिया जाता। अभी जांच जारी है।
-परिस देशमुख, पुलिस उपायुक्त, उत्तर

सीट ब्लॉकिंग का क्या खेल है। इन्होंने किस से कितने पैसे लिए, कौन लोग हैं जो इनसे यह करवा रहे थे। पूरी जांच होने के बाद ही इसका खुलासा हो पाएगा।
-दिलीप सिंह, थाना प्रभारी, शास्त्री नगर

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