दो साल बाद एक दिन में एक हजार करोड़ के गहने बिके

आखातीज पर सोने-चांदी के आभूषणों की रिकॉर्ड बिक्री, केन्द्रीय मंत्री को दिया मांग पत्र

 दो साल बाद एक दिन में एक हजार करोड़ के गहने बिके

ड्यूटी फ्री गोल्ड-सिल्वर उपलब्ध नहीं, निर्यातकों को ऑर्डर पूरा करने में परेशानी

जयपुर। दो साल में कोरोना के कारण सोने-चांदी को इस बार आखातीज ने नई चमक दी है। प्रदेश में इस आखा तीज पर दस हजार से अधिक शादियों के कारण आभूषणों की बिक्री खूब हुई है। सर्राफा कारोबार विश्लेषकों के अनुसार एक दिन में एक हजार करोड़ का कारोबार संभव है। जयपुर में 200 से 250 करोड़ का कारोबार हुआ है। इंडिया ज्वैलरी फोरम, राजस्थान के अध्यक्ष मनीष खूटेंटा ने बताया कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी सोने के गहनों की बिक्री बढ़ गई है।

देश में 15,000 करोड़ का अनुमान
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के सीईओ पीआर सोमसुंदरम के मुताबिक दो सालों के बाद अक्षय तृतीया पर सर्राफा कारोबार अच्छा हुआ है। एक दिन में देश में 15 हजार करोड़ रुपए का सोना बिकने का अनुमान है। जो प्री.कोविड की तुलना में करीब डेढ़ गुना है। वजन में सोने की बिक्री प्री.कोविड की तुलना में 23 फीसदी अधिक की उम्मीद है।  

कोरोना से अच्छा नहीं रहा कारोबार
सर्राफा ट्रेडर्स कमेटी के महामंत्री मातादीन सोनी ने बताया कि पिछले दो साल अक्षय तृतीया के दौरान लॉकडाउन रहने की वजह से कारोबार बहुत अच्छा नहीं रहा था, इस साल कोविड का प्रकोप कम है और आर्थिक गतिविधियों में तेजी है।

ड्यूटी फ्री गोल्ड-सिल्वर उपलब्ध नहीं, निर्यातकों को ऑर्डर पूरा करने में परेशानी
रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद राजस्थान के क्षेत्रीय अध्यक्ष निर्मल कुमार बरडिया के अनुसार आभूषण निर्यातकों को सीमा शुल्क मुक्त सोना-चांदी मिलने मे कठिनाई आ रही है। विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत बहुमूल्य धातुएं जैसे सोना, चांदी, प्लेटिनियम आदि का आयात नोमिनेटेड एजेंसी ही कर सकती हैं।

मुंबई में उपलब्ध जयपुर में नहीं
निजी क्षेत्र की एक कंपनी मुंबई में निर्यातकों को यह शुल्क मुक्त धातुएं उपलब्ध करवा रही है परन्तु जयपुर में वह कार्यरत नहीं है। रत्न तथा आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को पत्र लिख कर एमएमटीसी को पुन: शुल्क मुक्त धातुएं निर्यातकों को उपलब्ध करवाने के लिए निर्देशित करने का आग्रह किया है।

ड्यूटी ड्रॉबेक का सहारा
सभी निर्यातक उपयोग कर रहे हैं और वह हैं निर्यात के उपरांत सीमा शुल्क विभाग द्वारा देय ड्यूटी ड्रॉबेक। ड्रॉबेक की दरें वित्त मंत्रालय तय करता है जिसका उद्देश्य है कि निर्यात की गई वस्तु के निर्माण मे इस्तेमाल किए गए कच्चे माल पर दी गई जीएसटी और सीमा शुल्क का पुनर्भरण। अमूमन यह दर वास्तविक रूप मे दिए गए शुल्क और टैक्स से कम ही रहता है जिसका नुकसान निर्यातकों को उठाना पड़ता है।

निर्यातक घरेलू बाजार पर निर्भर
निर्यात ऑर्डरों को पूरा करने के लिए  घरेलू बाजार पर निर्भर हो गए हैं जिसमें साढ़े सात प्रतिशत की दर से सीमा शुल्क शामिल है और यह उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजर में प्रतिस्पर्धा से बाहर कर रहा है।

एमएमटीसी से नहीं मिल रहा सोना
एमएमटीसी एक मात्र नोमिनेटेड एजेंसी है जो जयपुर के निर्यातकों को आयात शुल्क मुक्त सोना चांदी धातुएं दे रही है और इस सुविधा की बदौलत यहां के निर्यातक अंतरराष्टÑीय बाजार की प्रतिस्पर्धा मे टिक रहे थे परन्तु एक महीने से एमएमटीसी ने बिक्री बंद कर रखी है। निर्यातक परेशान हैं।

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