संस्कृत विवि में होगी भक्ति की पढ़ाई

कैम्पस में स्थापित होगा अध्ययन केन्द्र, तैयार हुआ ड्राफ्ट, विद्या परिषद् में रखा जाएगा

संस्कृत विवि में होगी भक्ति की पढ़ाई

भक्ति और शक्ति की भूमि राजस्थान में भक्ति व भक्तों को लेकर अध्ययन करने की कवायद शुरू होने जा रही है

 जयपुर। भक्ति और शक्ति की भूमि राजस्थान में भक्ति व भक्तों को लेकर अध्ययन करने की कवायद शुरू होने जा रही है। जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, मदाऊ में भक्ति अध्ययन केन्द्र की स्थापना का काम शुरू हो गया है और सब कुछ ठीक रहा तो आगामी शैक्षणिक सत्र 2022-23 में इस केन्द्र में डिप्लोमा और शोध से संबंधित कार्य छात्र कर सकेंगे। विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अनुला मौर्य के निर्देशन में तैयार किया गया ड्राफ्ट विश्वविद्यालय की विद्या परिषद् की बैठक में रखा जाएगा।

यह भी होगा
विवि के भक्ति अध्ययन केन्द्र में पुरा, मध्य एवं आधुनिक कालीन संदर्भों में भक्ति, उसके स्रोत, विकास तथा भक्ति संप्रदायों पर अकादमिक अध्ययन, अनुसधान एवं कार्यशाला तथा संगोष्ठी होगी। दक्षिण भारत के आलवार वैष्णव और नयनार शैव परम्पराओं के उत्तर भारत में मध्यकाल में प्रस्फुटित भक्ति परम्पराओं पर विस्तार से शोध भी किया जाएगा।

रिसर्च पर फोकस
केन्द्र में श्रीरामानुजाचार्य, मध्याचार्य, निम्बार्काचार्य, वल्लभाचार्य, विष्णु स्वामी, चैतन्य महाप्रभु के भक्ति प्रस्थान और उनके सम्प्रदायों के संतों, भक्तों एवं कवियों पर शोध कार्य किए जाएंगे। मध्यकालीन भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक स्वामी रामानन्दाचार्य, उनके द्वादश शिष्य, सगुण परम्परा के भक्ति, संत, कवि गोस्वामी तुलसीदास, मीरा बाई और सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के अतिरिक्त निर्गुण सम्प्रदायों कबीर, दादू, रामस्रेही, रविदास, धन्ना, पलटू और घीसा पर विस्तार से अनुसंधान और व्याख्यान होंगे। इससे बच्चे उनके बारे में विस्तार से जान सकेंगे।

अध्ययन की योजना
विश्वविद्यालय के भक्ति अध्ययन केन्द्र के प्रभारी शास्त्री कोसलेन्द्रदास ने कहा कि दक्षिण भारत में दसवीं शताब्दी में शुरू हुए भक्ति आंदोलन से लेकर अभी तक के भक्ति साहित्य के अध्ययन की योजना बनाई जा रही है। राजस्थान के संतों धन्ना, पीपा, मीराबाई, दरियावजी, दादू एवं रामचरणदास जैसे संतों पर केन्द्र में विशेष शोध कार्य होगा। निरगुण और सगुण भक्ति परम्पराओं पर भी केन्द्र काम करेगा।

गुरु परम्परा भी सिखेंगे स्टूडेंट्स
सिखों की गुरु परम्परा और श्रीगुरु ग्रंथ साहिब पर अध्ययन के साथ ही तसव्वुफ और सूफी मत पर केन्द्र कार्य करते हुए भारतीय भक्ति परम्पराओं से इसके तुलनात्मक अध्ययन पर भी विशेष कार्य करेंगे।

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