23,665 मुकदमों का बोझ है हाईकोर्ट के हर न्यायाधीश पर

जयपुर और जोधपुर पीठ में कुल पांच लाख 91 हजार 647 मुकदमे लंबित

23,665 मुकदमों का बोझ है हाईकोर्ट के हर न्यायाधीश पर

स्वीकृत 50 न्यायाधीशों में से 25 जज की मौजूद

जयपुर। प्रदेश की न्यायपालिका के लंबित मुकदमों की संख्या घटाने के प्रयासों के बावजूद हाईकोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। फिलहाल वर्तमान में हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर और जयपुर पीठ में कुल पांच लाख 91 हजार 647 मुकदमे लंबित चल रहे हैं। वहीं हाईकोर्ट में एक न्यायाधीश के बीते सोमवार को सेवानिवृत्त होने के बाद अब जजों की संख्या घटकर 25 ही रह गई है। यानि हाईकोर्ट के हर जज पर 23 हजार 665 मुकदमे निस्तारण करने का बोझ है।

आज तक नहीं भरे स्वीकृत पद
हाईकोर्ट में वैसे तो जजों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या पचास है, लेकिन आज तक प्रदेश की इस सर्वोच्च अदालत के पूरे स्वीकृत पद कभी भरे ही नहीं गए हैं। वर्तमान में आधे पद खाली चल रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि मुख्य न्यायाधीश का पद भी सीजे अकील कुरैशी के गत माह सेवानिवृत्त होने के बाद खाली पड़ा है। हालांकि व्यवस्था सुचारू रखने के लिए वरिष्ठतम जज एमएम श्रीवास्तव को बतौर एक्टिंग सीजेए सीजे का कार्यभार दे रखा है।

759 मुकदमों को तीस साल से न्याय का इंतजार
राजस्थान हाईकोर्ट में 759 मुकदमे ऐसे हैं, जो बीते तीस साल से भी अधिक अवधि से लंबित चले आ रहे हैं। इनमें 199 सिविल और शेष 560 केस आपराधिक प्रकृति के हैं।

हाईकोर्ट खुद जता चुका है चिंता
लंबित मुकदमों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट भी कई बार चिंता जता चुका है। हाल ही में हाईकोर्ट के समक्ष 13 साल पुराने नरेगा कार्य में आठ हजार रुपए के गबन के मामले में आरोपियों पर आरोप तय नहीं होने का मामला आया था। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि केस की सुनवाई जल्दी नहीं होनाए संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन है।

न्यायपालिका में जजों की संख्या काफी कम है। ऐसे में एक जज को रोजाना सैकडों मुकदमों की सुनवाई करन पडती है। अदालतों में अवकाश भी काफी अधिक रहते हैं। जिसके चलते मुकदमों की सुनवाई प्रभावित हो रही है।- राजकुमार गुप्ता, अधिवक्ता, राजस्थान हाईकोर्ट

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