संतुलन का फैसला
संतुलन बनाए करने का फैसला लिया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आखिरकार सामने दिख रही आर्थिक हकीकत के साथ संतुलन बनाए करने का फैसला ले ही लिया। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी नियमित बैठकों से अलग एक बैठक में फैसला किया कि नीतिगत रेपो दर में तत्काल से 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की जाएगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आखिरकार सामने दिख रही आर्थिक हकीकत के साथ संतुलन बनाए करने का फैसला ले ही लिया। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने अपनी नियमित बैठकों से अलग एक बैठक में फैसला किया कि नीतिगत रेपो दर में तत्काल से 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी की जाएगी। समिति ने स्थायी जमा सुविधा और सीमांत स्थायी सुविधा दरों को भी इसी अनुरूप समायोजित किया। आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों का इजाफा किया, जो 21 मई से प्रभावी होगा। अब यह दर 4.5 फीसदी हो गई है। दरें तय करने वाली समिति ने बैठक में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रहने दिया था। आरबीआई ने नकदी समायोजन सुविधा को सामान्य करने के लिए स्थायी जमा सुविधा पेश कर दी थी। इस सारी कवायद के पीछे की मुख्य वजह महंगाई का असहज तरीके बढ़ता रहा है। हालांकि नीतिगत दरों में अचानक बढ़ोतरी ने सभी को चौंकाया जरूर है, लेकिन इसके संकेत पहले से ही मिल रहे थे। रिजर्व बैंक के गवर्नर शशिकांत दास कहते भी रहे हैं कि नीतिगत दरों के मामले में उदार रुख को बहुत लंबे समय तक नहीं बनाए रखा जा सकता। पिछले महीने की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में साफ कहा था कि बैंक की प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रित करना है। इसलिए नीतिगत दरें कभी भी बढ़ाई जा सकती हैं।
महंगाई की दर 6 फीसदी के दायरे से भी ऊपर निकल गई है और इसके और बढ़ने की पूरी संभावना बनी हुई है। ऐसे में रिजर्व बैंक चुपचाप नहीं बैठ सकता था। हमने देखा है कि मार्च के महीने में ही महंगाई थी, जो 17 महीने में सबसे ज्यादा थी। ऐसे में रिजर्व बैंक की यह जिम्मेदारी है कि वह खुदरा महंगाई दर को निर्धारित 6 फीसदी से ऊपर ने जाने दे। नीतिगत दरों में बढ़ोतरी का कदम उठाकर महंगाई को थामने का प्रयास किया गया है। फिर यह इसलिए भी जरूरी था कि इसी तरह बढ़ती महंगाई से अर्थव्यवस्था पर भी विपरीत असर पड़ता है। महंगाई बढ़ने के कई कारण हैं और अब रूस-यूक्रेन युद्ध ने संकट को गहरा कर दिया है। इसकी वजह से ही पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए। महंगाई और बढ़ती है तो देश नए संकट में फंस जाएगा। यदि महंगाई बढ़ी, तो आरबीआई नीतिगत दरों में और बढ़ोतरी कर सकता है। अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों में संतुलन बैठाना जरूरी हो जाता है।
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