मोदी की यूरोप यात्रा

विशिष्ट व्यक्ति यात्रा पर गए थे

मोदी की यूरोप यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय यूरोप यात्रा भारत के लिए काफी सफल रही। कोरोना महामारी के बाद मोदी की यह पहली यात्रा थी मोदी के साथ भारत के विदेश मंत्री, वित्त मंत्री के अलावा कुछ और विशिष्ट व्यक्ति यात्रा पर गए थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय यूरोप यात्रा भारत के लिए काफी सफल रही। कोरोना महामारी के बाद मोदी की यह पहली यात्रा थी मोदी के साथ भारत के विदेश मंत्री, वित्त मंत्री के अलावा कुछ और विशिष्ट व्यक्ति यात्रा पर गए थे। मोदी ने जर्मनी और फ्रांस के अलावा डेनमार्क, स्वीडन, नार्वे, आइसलैंड और फिनलैण्ड के नेताओं से भी मुलाकात की। पहले इस बात की आशंका थी कि रूस-यूकेन युद्ध के बीच भारत रूस के मामले में अपनी तटस्थता की नीति को लेकर सवालों के घेरे में पड़ सकता है। क्योंकि यूरोपीय देश रूस के खिलाफ यूक्रेन का साथ दे रहे हैं और ये देश चाहते हैं कि भारत भी उनके साथ रूस का विरोध करे और उसकी भर्त्सना करे। लेकिन भारत ने पहले ही कई बार स्पष्ट कर दिया है कि भारत अपनी तटस्थता की नीति का पालन करेगा। पिछले दिनों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सला वॉन देर लेयन ने भारत आकर बहुत कोशिश की कि भारत यूरोप के साथ चले और रूस की भर्त्सना करें। उस समय भी भारत ने स्पष्ट कह दिया था कि वह रूसी हमले का समर्थन नहीं करता, लेकिन रूस का विरोध करना भी निरर्थक होगा।

यूरोपीय देशों का दबाव न मानने के बावजूद मोदी की यात्रा के दौरान यूरोपीय देशों ने गर्मजोशी से मोदी की अगवानी की। इसे देखते हुए सहज ही अंदाजा हो जाता है कि भारत दुनिया के देशों का सिरमौर बनने की और अग्र्रसर है। हालांकि ऐसी खबरें भी हैं, जब मोदी अपने शिष्टमण्डल के साथ जर्मनी की यात्रा पर थे, तब वहां के मीडिया ने भारत की रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में तटस्थ नीति की आलोचना की। हालांकि यहां भी मोदी ने आगाह किया कि इस युद्ध से किसी को लाभ नहीं होगा, बल्कि सभी को नुकसान होगा और आज सभी देश कई संकटों का सामना कर रहे हैं। दुनियाभर की अर्थव्यवस्था युद्ध की विभीषिका झेल रही है। पेट्रोलियम पदार्थों, प्राकृतिक गैस, अनाज और दूसरे संसाधनों की किल्लत हो गई है। कीमतें आसमान छू रही है। भारत तो तटस्थ रहकर भी युद्ध की खिलाफत कर रहा है अब यूरोपीय देशों को अपनी भूमिका के बारे में सोचना चाहिए। भारत की आलोचनाओं के बावजूद मोदी की यात्रा के दौरान कई व्यापारिक समझौते हुए और भारत व यूरोपीय देशों के कूटनीतिक संबंधों को बढ़ाने पर भी वार्ताएं हुईं। दुनिया में भारत का महत्व बढ़ रहा है और मोदी की यात्रा में यह देखने को मिला।

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