देश में 19 साल पहले लागू हुआ था सूचना का अधिकार कानून, कार्यकर्ताओं को करनी पड़ी थी लंबी मशक्कत
यह कानून 2005 में लागू हुआ था
पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए बने क्रांतिकारी कानून को लागू करने की अलख ब्यावर के चांग गेट से शुरू हुई थी।
जयपुर। सरकारी काम काज में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए लागू किए गए सूचना का अधिकार कानून को 19 साल पूरे हो रहे हैं। यह कानून 2005 में लागू हुआ था। राजस्थान में यह अधिनियम पहली बार 2000 में लागू हुआ था। इस कानून के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं को लंबी मशक्कत करनी पड़ी थी। इस कानून को लागू करने के लिए राजस्थान में अजमेर में जन आंदोलन शुरू हुआ था। पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए बने क्रांतिकारी कानून को लागू करने की अलख ब्यावर के चांग गेट से शुरू हुई थी।
चांग गेट पर मजदूर किसान शक्ति संगठन ने सरकारी सूचनाओं और कागजों में पारदर्शिता की मांग को लेकर धरना दिया था। देश की प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा रॉय के नेतृत्व में दिए गए धरने में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। यह ऐसा समय था, जब कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि सरकारी ऑफिस की किसी फाइल में से कागज की नकल उसे लेने का अधिकार है। जन आंदोलन के बाद कानून लागू हुआ तो देश के प्रथम सूचना आयुक्त ने 2015 को चांग गेट पर सूचना का अधिकार का शिलान्यास किया। शिलालेख का लोकार्पण राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुरेंद्र नाथ भार्गव ने 2016 में किया।
49 साल पहले शुरू हो गई थी मशक्कत
सूचना के अधिकार के लिए सजगता 1975 में आई थी, जब सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार बनाम राजनारायण के मामले की सुनवाई हुई। इस प्रकरण में कोर्ट ने अपने आदेश में सरकारी अधिकारियों को सार्वजनिक कार्यों का ब्यौरा जनता को उपलब्ध कराने आदेश दिया। केंद्रीय कानून बनने के बाद राजस्थान में राज्य सूचना आयोग का गठन 2006 में किया गया। राज्य सूचना आयोग का कार्यालय जयपुर में है। राज्य के प्रथम मुख्य सूचना आयुक्त एमडी कोरानी को नियुक्त किया गया था।
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