पूनिया के 22 साल पुराने पत्र पर गरमाई बीजेपी की सियासत, रोहिताश्व बोले- खुद अनुशासनहीन दूसरों को क्या सलाह देंगे
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का 22 साल पहले चुनाव में टिकट ना मिलने से क्षुब्ध होकर भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का पत्र वायरल होने के बाद पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी और सियासत गरमाई हुई है। पूनिया ने तब तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष गुलाबचंद कटारिया को पत्र लिखकर इस्तीफा दिया था, जिसमें पूनिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललित किशोर चतुर्वेदी और हरिशंकर भाभड़ा पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था।
जयपुर। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का 22 साल पहले चुनाव में टिकट ना मिलने से क्षुब्ध होकर भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का पत्र वायरल होने के बाद पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी और सियासत गरमाई हुई है। पूनिया ने तब तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष गुलाबचंद कटारिया को पत्र लिखकर इस्तीफा दिया था, जिसमें पूनिया ने पूर्व मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललित किशोर चतुर्वेदी और हरिशंकर भाभड़ा पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था। साथ ही वर्तमान में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और सांसद राम सिंह कस्वां जैसे नेताओं को 'भस्मासुर' बताया था। सतीश पूनिया ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बार-बार टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर जुलाई 1999 में इस्तीफा दिया था।
पत्र के वायरल होने के बाद पूनिया ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 22 वर्ष पुराना पत्र इस समय जारी होना अजब सियासत की गजब कहानी है। फिर भी मैं तब भी कार्यकर्ताओं के साथ था और अब भी साधारण कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधि हूं। पार्टी के मंच पर कही गई बात के बाद ही नेतृत्व ने मुझे पार्टी में महत्वपूर्ण दायित्व दिए, जिनका मैंने निष्ठापूर्वक निर्वहन किया। पूनिया का पत्र वायरल होने के बाद हाल ही में अनुशासनहीनता की गाज झेल रहे पूर्व मंत्री रोहिताश्व शर्मा ने हमलावर रुख अपनाते हुए कहा कि जो व्यक्ति खुद अनुशासनहीनता कर चुका हो और अनुशासनहीनता की परकाष्ठा कर चुका हो। वो अब दूसरों को क्या अनुशासन की सीख दे सकता है। बड़े खेद की बात है। अभी इस लेटर बम पर और सियासत गरमाने की अटकलें पार्टी के नेता लगा रहे हैं।
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