एसीबी ने पद के दुरुपयोग के 336 मामलों की मांगी जांच

लागू कराने में असमर्थ साबित हो रही है

एसीबी ने पद के दुरुपयोग के 336 मामलों की मांगी जांच

प्रदेश में एसीबी ट्रैप के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है, लेकिन पद के दुरुपयोग के मामलों में अन्य विभागों से अनुमति नहीं मिलने के कारण एसीबी नीति को पूरी तरह से लागू कराने में असमर्थ साबित हो रही है।

जयपुर। प्रदेश में एसीबी ट्रैप के मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है, लेकिन पद के दुरुपयोग के मामलों में अन्य विभागों से अनुमति नहीं मिलने के कारण एसीबी नीति को पूरी तरह से लागू कराने में असमर्थ साबित हो रही है। एसीबी ने पद के दुरुपयोग की जांच करने के लिए 336 मामले संबंधित विभाग को भेज चुकी है, लेकिन केवल आठ अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ ही अनुमति मिली है। वहीं 16 अधिकारियों के खिलाफ संबंधित विभागों ने जांच कराने से मना ही कर दिया। यदि देखा जाए, तो 31 दिसंबर 2021 तक 248 मामले और इस वर्ष 88 मामले पद के दुरुपयोग की जांच के लिए लंबित हो चुके हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, राजस्व, स्वायत्त, खाद्य और डेयरी विभाग ने एक-एक और चिकित्सा विभाग ने तीन के खिलाफ जांच की अनुमति दी है।

किस विभाग में कितने मामले लम्बित
अब तक ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में 87, राजस्व में 26, स्वायत्त शासन में 57, नगरीय विकास एवं आवास में 27, खान एवं भूविज्ञान में 12, पीएचईडी में 11, वन विभाग में 6, डेयरी में 5, कार्मिक में 10, स्थानीय निकाय में 8, चिकित्सा में 18, ऊर्जा में 13, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति में 5, राजकॉम्प में 3, तकनीकी शिक्षा में 2, कृषि में 3, पीडब्ल्यू-आरएसआरडीसी में 3, सहकारिता में 10, विश्वविद्यालय में 2, पंजीयन एवं मुद्रांक में 3, परिवहन में 2 और आरएसआरटीसी, उच्च शिक्षा, पशुपालन, चिकित्सा शिक्षा, एनएचएआई, प्रशासनिक सुधार, वित्त, देवस्थान, युवा एवं खेल मामलात, एसबीआई, महिला एवं बाल विकास, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वाटर सील्ड डवलपमेंट विभाग में 1-1 मामला जांच के लिए लंबित है।

पद का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ जांच के लिए एसीबी ने उनके संबंधित विभाग को पत्र लिखा था। इसमें से मात्र आठ लोगों के खिलाफ ही अनुमति मिली है, जबकि 16 के खिलाफ जांच कराने से मना कर दिया गया है। अब अनुमति के लिए 312 मामले पेंडिंग है। यदि अनुमति मिलती है तभी जांच शुरू हो सकेगी।
- बीएल सोनी, महानिदेशक एसीबी

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