'राजकाज'
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नजरें झीलों की नगरी की तरफ
इन दिनों सूबे के पॉलिटिशियन के साथ ब्यूरोक्रेसी की नजरें झीलों की नगरी पर टिकी हैं। टिके भी क्यों नहीं, मेवाड़ में बनी पांच अक्षरों वाली इस नगरी में तीन दिन तक गहन मंथन के साथ अमृत जो निकालेगा। अमृत निकालने वाले और कोई नहीं, बल्कि हाथ वाले भाई लोग हैं। इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के ठिकाने पर चर्चा है कि उदयपुर के मंथन में निकलने वाले अमृत का ब्रांड वो ही होगा, जो मेष राशि वाले भाई साहब अपने जादू से निकालेंगे। अब समझने वाले समझ गए, ना समझे वो अनाड़ी हैं।
तुम नहीं होते तो
आज हम चर्चा करेंगे, हे मेरे अल्लाह और हे मेरे राम की। करना भी लाजमी है, चूंकि इन दिनों इन दोनों पर पूरे इंडिया की नजर है। इनसे न पॉलिटिशियन अछूते हैं और न ही ब्यूरोक्रेट्स। खाकी और खादी वाले तक इन दोनों के भंवरजाल में फंसे हुए हैं, जिनको न आगा सूझ रहा है और न ही पीछा। हर गली और मौहल्ला इनमें बंटा हुआ है। सरदार पटेल मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा के ठिकाने के साथ इंदिरा गांधी भवन में बने हाथ वालों के दफ्तर में आने वाले भाई लोग सिर्फ ये ही गुनगुना रहे हैं कि हे अल्लाह और हे मेरे भगवान, आज तुम नहीं होते, तो हम राजनीति कैसे करते।
असर अफवाहों का
सूबे में इन दिनों कई तरह की अफवाहों का दौर है। ढाणी-गांव से लेकर शहर की गलियों तक अफवाह फैलाने वालों की कमी नहीं है। अफवाहें भी हाथ वालों के साथ भगवा वाले नेताओं को लेकर है। हाथ वाले भाई लोगों का एक गुट जोधपुर वाले भाईसाहब को लेकर अफवाह फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, तो भगवा वाले भाई लोगों के तीन गुट मैडम को लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाने में दिन-रात एक किए हुए हैं। राज का काज करने में वालों में हकीकत को लेकर चर्चा है कि न तो जोधपुर वाले भाई साहब कहीं जा रहे हैं और न ही मैडम सूबे से दूर हो रही हैं। अब अफवाह फैलाने वालों को कौन समझाए कि मिशन-2023 के लिए इन दोनों सेनापतियों की सेना ही मैदान में उतरेगी, जो आप को बोर्डर पर ही रोकने का दम रखती है। सो दीपावली पर सिविल लाइंस के बंगला नंबर 13 में पटाखों के साथ रंग बिरंगी फुलझड़ियां भी छूटे बिना नहीं रहेगी।
कमाल मीठी माई का
जोधपुर वाले भाईसाहब कब क्या पैंतरा फेंक दें, पता नहीं चलता। भगवा वाले तो दूर की बात हाथ वाले भी नहीं समझ पा रहे कि आखिर माजरा क्या है। दोनों ओर के नेता इधर-उधर टोह लेने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इन दिनों साहब की बदली चाल-ढाल को लेकर भारती भवन में भी चर्चा, चिंतन और बैठकों का दौर जारी है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में आने वाले भाईसाहबों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरें साफ दिखाई देने लगी हैं। सुबह-शाम हाजरी भरने वाले साहबों की लाइन भी लंबी होने लगी है। दिल्ली दरबार में बढ़ती साख से कइयों के आफरा आने लगा है। अब उनको कौन बताए कि यह सारा कमाल सूर्यनगरी स्थित सोजती गेट वाले गणेश मंदिर के साथ मीठी माई का है।
एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि ब्यूरोक्रेसी को लेकर है। जुमला है कि सूबे में रनिंग ब्यूरोक्रेसी की स्पीड में कई तरह के ब्रेक लगे हैं। ब्रेक लगाने वाले और कोई नहीं, बल्कि रिटायरमेंट के बाद भी डांग पटेलाई करने वाले साहब लोग हैं। सचिवालय से सिविल लाइन तक खुसरफुसर है कि रिटायरमेंट के बाद राज को सलाह देने वाले न तो सिस्टम को चलने दे रहे और न ही हार्ड कोर वर्कर को स्पीड से बढ़ने दे रहे। अब बेचारे अफसरों के पास उनकी एडवाइस का इंतजार करने के सिवाय कोई चारा नहीं है।
एल. एल. शर्मा, पत्रकार
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