दो साल बाद सावों की धूम के चलते बाजारों में लौटी रौनक

कस्बे के बाजार में शादी ब्याह के सीजन में रहा 2 करोड़ का व्यापार

दो साल बाद सावों की धूम के चलते बाजारों में लौटी रौनक

ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो वर्ष से अक्षय तृतीया के अबूझ सावे पर लॉकडाउन के चलते विवाह नहीं हो सके थे। दो सालों की तुलना में इस बार शादी ब्याह में छूट के चलते बाजार गुलजार हुए। टेंट, रेडीमेड कपड़ों का व्यापार, ज्वेलर्स, बर्तन जैसे बिजनेस में इस साल में अब तक 2 करोड़ का कारोबार हुआ है।

सुल्तानपुर। नगर के बाजारों में कोरोना महामारी के चलते लगे लॉक डाउन के बाद से ही बाजारों में खामोशी छाई हुई थी जिसके चलते व्यापारियों में निराशा छाई हुई थी। ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले दो वर्ष से अक्षय तृतीया के अबूझ सावे पर लॉकडाउन के चलते विवाह नहीं हो सके थे। साथ ही बाजार बंद होने से भी व्यापारियों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा था। दो सालों की तुलना में इस बार शादी ब्याह में छूट के चलते बाजार गुलजार हुए। टेंट, रेडीमेड कपड़ों का व्यापार, ज्वेलर्स, बर्तन जैसे बिजनेस में इस साल में अब तक 2 करोड़ का कारोबार हुआ है। बाजार गुलजार होने से व्यापारियों में उत्साह का माहौल है।

 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष  शादी विवाह के सावे है। साथ ही किसानों की फसलें भी बढ़िया हुई है जहां सरसों की फसल की पैदावार बढ़िया होने के साथ ही भाव भी अच्छे मिल रहे हैं जिससे किसानों का मनोबल भी बढ़ा है लेकिन लहसुन के भाव और पैदावार कम होने के कारण मिलाजुला असर देखने को मिला। अब तक किसान खेतों में अपनी फसलों को तैयार करने के लिए लगे हुए थे इसके चलते बाजारों में खामोशी छाई हुई थी लेकिन सावो के अवसर को देखते हुए कस्बे सहित क्षेत्र में सैकड़ों शादियां हो चुके हैं और कई शादियां होनी बाकी है जिसके चलते बाजार में पिछले कुछ दिनों से अच्छी खासी रौनक छाई हुई है जिससे व्यापारियों की बांछें खिल गई है। दीपावली पर्व के बाद से ही व्यापारी बाजार में खरीदारी नहीं होने से खामोश बैठे हुए थे लेकिन अबूझ सावे की रौनक को देखते हुए खरीदारी बढ़ने लगी है।

 पंडित विमल आचार्य  एवं  संदीप आचार्य ने बताया कि  ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय तृतीया के अबूझ सावे  में शादियों की धूम धाम देखने को मिली क्योंकि अक्षय तृतीया को ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे बड़ा पर्वत माना जाता है साथ ही अक्षय तृतीया के 1 दिन पूर्व 2 मई को भी इस वर्ष शादी विवाह के लिए बहुत अच्छा योग होने के कारण 2 मई के भी अत्यधिक शादियों के सावे थे। शादी विवाह की धूम देखी गई जिससे ग्रामीण लोग शादियों की खरीदारी करने में लग गए हैं लेकिन अब सावों के खुलने एवं अक्षय तृतीया का अबूझ सावा खत्म होने के बाद भी बाजारों में खरीदारी बढ़ गई है। इसी के तहत बाजारों में रौनक छाई रही।  कस्बे के मुख्य बाजार में किराना की दुकानें, रेडीमेड कपड़ों के व्यापार, बर्तन की दुकान, आभूषणों,टेंट और डकोरेशन की दुकानों पर भी रौनक दिखाई दी।

रेडीमेड कपड़ों की बढ़ी डिमांड
रेडीमेड व्यापारी अमन खंडेलवाल, उमेश शर्मा,बंटी ऋषि अश्वनी नामा का कहना है कि युवाओं में रेडीमेड कपड़ों के प्रति अधिक रुझान देखने को मिल रहा है पिछले 2 वर्षों से व्यापार कोरोना का हाल के चलते ठप पड़ा हुआ था इस वर्ष रेडीमेड व्यापारियों की अच्छी चांदी हुई है। कस्बे में करीब 40 लाख रुपए तक का कारोबार हुआ है। आगामी समय में शादी विवाह के मुर्हूत होने से बाजार में अच्छा व्यापार होने की उम्मीद है।

मैरिज गार्डन, बैंड बाजे एवं बस मालिकों की मौज
इस वर्ष कोरोना महामारी का प्रभाव नहीं होने के कारण शादियों की धूम के चलते कस्बे में मैरिज गार्डन बैंड बाजे एवं बस मालिकों की मौज रही। सावा होने के चलते मैरिज गार्डन कहीं माह पूर्व ही बुक हो चुके है। ऐसे में कई विवाह समारोह करने वाले अभिभावकों को शादी के लिए जगह मिलना भी मुश्किल हो रहा है। यही हाल है बैंड बाजा की भी है क्योंकि दो और तीन के अधिक सावे होने से बैंड बाजे की बुकिंग पूर्व में ही हो चुकी है। बस संचालक जय प्रकाश शर्मा,अब्दुल कयूम, हमीद अंसारी का कहना है कि सावा होने के कारण मार्च माह में ही बसों की बुकिंग पूर्ण हो चुकी है जिन लोगों ने आनन-फानन में शादी की तारीख तय की है ऐसे लोगों को बसे तक नहीं मिल पा रही है। मैरिज गार्डन संचालक रामदयाल नामा रामस्वरूप नामा का कहना है कि इस बार सावे खुलने के कारण अच्छी बुकिंग आ रही है पिछले 2 वर्षों से कोरोना के चलते हैं मैरिज गार्डन व्यवसाय का धंधा चौपट हो गया था। इस वर्ष सावो की धूमधाम होने के कारण अच्छा व्यवसाय हुआ। शादी-विवाह के सीजन में इस वर्ष करीब 3 लाख का कारोबार हुआ है।

बाजारों में देखने को मिल रही है ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले खरीददारों की भीड़
कस्बे के बाजार में अब शादी विवाह के सावो के चलते ग्रामीणों की भीड़ देखने को मिल रही है कस्बे के मुख्य बाजार में बर्तन की दुकानों, कपड़ों की दुकानों, रेडीमेड की दुकानों, किराने की दुकानों  एवं सरार्फा बाजार में ग्राहकों की चहल-पहल दिखाई दिए हैं। शादियों के लिए सामान खरीदने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से लोग सुबह से ही आने लगे हैं जिससे बाजारों में चहल-पहल देखने को मिल रही है। बर्तन व्यवसायी राजेंद्र शर्मा, रामस्वरूप नामा, पंकज नागर का कहना है कि पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष बर्तनों की रेट में करीब 30 से 40% का इजाफा होने इसका असर खरीदारी पर देखने को मिल रहा है क्योंकि पूर्व में शादी के सामान खरीदने के लिए ग्रामीणों का जो बजट हुआ करता था उसमें महंगाई के चलते इजाफा हो गया है 2020 एवं 2021 में कोरोना काल के चलते लॉक डाउन लग गया था जिससे व्यापार प्रभावित हुआ था इस वर्ष कस्बे के बर्तन व्यापारियों ने सावो के दौरान करीब 20 लाख रुपए का कारोबार किया है। कपड़ा व्यापारी इमामुद्दीन खान, सुरेश बडेरा का कहना है कि व्यापारियों के द्वारा शादियों के सीजन को देखते हुए खरीदारी पूर्ण कर ली गई है नई नई वैरायटी के कपड़े बाजार में आए। कपड़ा व्यापारियों ने 50 लाख का कारोबार शादी विवाह के सीजन में किया है।

सामूहिक विवाह सम्मेलन की रहेगी धूम
नगर सहित क्षेत्र में सामूहिक विवाह की धूम रहेगी। क्षेत्र में नागर समाज, मीणा समाज, मेघवाल समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन प्रस्तावित है। सम्मेलनों की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। भगवान गणपति को निमंत्रण दिया जा चुका है। आगामी दिनों में सामूहिक विवाह के आयोजनों से बाजार भी गुलजार रहेंगे।

पिछले साल की अपेक्षा इस साल तीन माह में 350
शादियां हुईसुल्तानपुर पंडित संदीप आचार्य एवं पंडित मयंक गौतम ने बताया कि गत तीन साल में अप्रैल, मई जून में शादियों के आंकड़ों पर नजर डाले तो पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष में कोरोना महामारी नहीं चलने के कारण 150 शादियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। जहां 2020 में अप्रैल, मई, जून में शादियों का सीजन आने से पहले ही कोरोना वायरस का प्रभाव चालू हो जाने से शादियां नहीं हो पाई थी। 2021 में शादियां तो शुरू हो गई थी करीब 200 शादियां हो पाई थी कि कोरोना का प्रभाव तेज होने के कारण सरकार ने शादियां नहीं करने की गाइडलाइन निकाल दी थी जिस पर शादियों पर रोक लग गया था। इस वर्ष सुल्तानपुर कस्बे सहित क्षेत्र में करीब 350 शादियां अब तक हुई है करीब ढाई सौ शादियां आगे भी होनी बाकी है।

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